Page 4 - HINDI_SB61_Revelation2
P. 4

ं
                                                े
                         "जब उस ने पाचवीं मुहर खोली, तो म� न वेदी
                             े
                        के  नीच उन लोगों के  प्राणों को देखा िजन लोगों
                              े
                         को परम�र के  वचन और उसकी गवाही देन  े
                             के  कारण मार िदया गया था।"






















                                                                                                                                                                   �
                                                                                                                                                      अ�ाह अकबर! िसफ ई�र
                                                                       ु
                                                                            ू
                                                                    े
                                                                                                                                                               े
                                                                                                                                                                    ु
                    मत डर, य�दा का शेर                      मा�र �रडल, मन� की भिमका                                                                  महान है। इस शहर म� िकसी भी
                                                                                                                                                      मसीही को रहन की अनमित
                                                                           �
                   जयव� �आ है, और हम                         िनभा; हम इसी िदन इं�ड म�                                                                      नहीं होगी।
                                                               े
                                                                     ु
                      े
                             े
                   उसक साथ रह�ग – आज।                       परम�र की अनग्रह से इस प्रकार
                                                                         ै
                                                                      ं
                                                                       े
                                                                  ं
                                                            मोमबि�या जलाएग, जसा िक मुझे
                                                              िव�ास है िक िज�� कभी भी
                                                                 ु
                                                                बझाया नहीं जाएगा।














                                                                                                        कब तक, हे सव�श्रे� प्रभु, पिवत्र और
                                                                                                       स�, कब तक तू पृ�ी के  िनवािसयों का
                                                                                                                       े
                                                                                                        �ाय नहीं करेगा और हमार खून का
                                                                                                            बदला नहीं लेगा? [1]
                                                                                                                                          े
                                                                                                                                             े
                                                                                                                                     ु
                                                                                                                                        े
                                                                                                                               जब तक त�ार मार जानवाल  े
                                                                                                                               भाइयों की िगनती पूरी न हो
                                                                                                                               जाए, तब तक तुम को थोड़ी
                                                                                                                                देर और ठहरना चािहए।
                                �
         ं
                       �
      [1] पाचवीं मुहर संतों की प्राथनाओं की साम� और श�� का
      वण�न करती है �ोंिक वे परम�र से बदल की मांग करत ह�।
                       े
                              े
                                       े
                                                                                                                                                                           प्रकािशतवा� 6:9-11
     2 2                                                                                                                                                                  प्रकािशतवा� 6:9-11
   1   2   3   4   5   6   7   8   9