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“मने �ि� की और देखा िक जैसे
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ही उसन छठी मुहर खोली थी। तो
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ब�त बड़ा भकं प �आ।" [1]
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पृ�ी के पि�यों के बड़ िह� �खसकन े
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लग, िजसस भारी तबाही होन लगी। "सूय� बकर के बालों से बन �ए
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टाट के समान काला हो गया, और
सारा च�मा ल� के समान लाल
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हो गया, [2] और तार पृ�ी पर िगर
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पड़, [3] जैसे ब�त तेज आँधी के
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चलन से अंजीर के पेड़ म� से क�े
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ही फल िगर जात ह�।”
हम पर िगर पड़ो, और
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हम� उसक मुंह से जो
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िसहासन पर िवराजमान
है, और मे�े के क्रोध से
िछपा लो! [4]
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क् योंिक उसक
क्रोध का बड़ा िदन "आकाश पत्र के
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आ प�चा, और अब समान सरक गया,
कौन ठहर सकता और सब पहाड़ और
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है? [5] टाप अपन स्थान से हट
गए।"
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[1] पृ�ी की च�ान एक साथ टू टन लगी, िजसस पृ�ी पर ऐसा भकं प �आ
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जसा पहल कभी अनभव नहीं िकया गया था।
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[2] यह सभवतः भकं प के होनवाल �ालामखी िव�ोटों से पृ�ी के
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वायमडल म� भारी मात्रा म� राख और मलब के उड़न के कारण हो सकता है।
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पुरान िनयम म� भी यह भिव�वाणी की गई थी (योएल 2:31)।
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[3] यह सभवतः एक बड़ उ�ा िप� या उपग्रह की बौछार हो सकती है जो पृ�ी से टकराती है। "पृ�ी पर के सभी - राजा, राजकमार,
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सनापित, धनी, सामथ�, और हर एक
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[4] पृ�ी के रहनवाल इन घटनाओं के पीछ के मूल कारणों को समझन लगग। े दास और हर एक �तंत्र ���
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गुफाओं म� और पहाड़ों की च�ानों के
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[5] छठी मुहर उस समय से शु� होती है िजस समय के िलए भिव�व�ाओं बीच म� जा िछप।"
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न "प्रभु का िदन" कहा था। पहली पांच महर मन�ों के काय� के प�रणाम ह�,
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लिकन इस समय परम�र सीध ह��प शु� करता है।
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4 4 प्रकािशतवा� 6:12-17
प्रकािशतवा� 6:12-17