Page 131 - Sanidhya 2024
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“समापडण, सातिनध्या औरा स्र्वार्वलांबन”
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साानि�ध्य �बा तम्हेा�ा ह, तो �ीर्व� म उल्लाासा ह,
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�एँ सापु�, �ई मनि�ल, �ई उड़ा�ो की आसा ह, ै
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हमा�ी प्रममयोी �गलबादाी का, �हीं कोई साा�ी ह, ै
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दाो कदाम तम्हेा� औ� दाो म�, बासा इत�ा ही प्रयोासा ह।।
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प्रा�कित� रूप स पदाथा औ� ऊँजाा �ा बकिमुसाल सयांगी हैी जाीवान �ा मुल/सा� है औ� जाीवान �ी
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अभाी�ता प्राप्त हैंती है �छु ऐस साकिनध्यंं स, किजान� साथा हैंन � एहैसास मुा� स हैी हैमु पलकि�त हैं, सम्पण ि
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ऊँजाा एवा सामुथ्यो � साथा किनयांकिजात लक्ष्ंं �ी प्राल्किप्त �� स�। बानिबाता कमा�ी
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पत्नीी – �ी प्रमुंद चौधै�ी, 2IC
208 �ंब�ा, बालाघााटी, (मुप्र.)
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जाीवान प्रवााहै � दौ�ान उ� साकिनध्य किफ� चाहै खबस�त बचपन �ी याादंं मु किसमुटीी, मुा–बाप, दादा–
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दादी, नाना–नानी, चाचा–चाची, मुामुा–मुामुी, बआ–फफा आकिद �ी झेल� हैं याा किफ� कि�शं�ावास्थाा मु भााई–बहैनंं औ� सखी–सहैकिलयांं/
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किमु�ंं �ा अल्हड़ीपन।
जावाानी �ी दहैलीजा प� �ंमु-�ंमु �ं पलकि�त ��न वााल मुासमु प्रमु �ा एहैसास हैं याा किफ� जाीवान साथाी सगी किमुल�� �ंमुाच� भाकिवाष्य
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�ी सपनंं औ� याथााथा स भा�ी याा�ा....औ� नवा जाीवान � सजान �ा अप्रकितमु आनद।
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प्रौढ़ाावास्थाा मु अपक्षेाओंं औ� �तव्यंं �ी �ाटींं भा�ी डोगी� हैं याा किफ� वाद्धाावास्थाा �ा शाकित औ� स�न भा�ा आल्किख�ी सफ�।
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इस समुस्तं जाीवान याा�ा � दौ�ान इन सभाी �ं आवाश्य�ता हैंती है अपनंं � साकिनध्य �ी ।
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हैालाकि�, सामुान्य परि��ल्पना स प�, जाब बात हैं पकिलस बलंं मु �ाया�त हैमुा� बहैाद� स�मुाओंं औ� उन� परि�जानंं �ी; तं
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साकिनध्य � उ� आयाामुंं � किवास्तंा�ी��ण � साथा-साथा उन्हे नए �लवा� मु सजांन औ� परि�भााकि�त ��न �ी गीभाी� आवाश्य�ता प्रतीत
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हैंती है। ै
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इस क्रमु मु ए� ओं� हैमुा� जााबाज़ ज्यादात� समुया अपन किप्रयाजानंं स द� �ा� ी ीया स�क्षेा � बहैद जांल्किखमु भा� दाकियात्वंं � किनवाहैन
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मु व्यस्तं �हैत है, वाहैीं दस�ी ओं� कि�सी अनहैंनी �ी आश�ा स परि�पण �ंजामु�ा � तनावा औ� चनौकितयांं स या� वाातावा�ण मु बच्चोंं �ं
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पालती उन�ी अधैाकिगीकिनयाा, इन दंनंं हैी पक्षेंं �ं न �वाल आवाश्य�ता है दृढ़ा स�ल्किल्पत मुानकिस� औ� आपसी साकिनध्य �ी, अकिपत ु
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�ायास्थाल/किनवाास-स्थाल मु किवाभाागीीया व्यवास्थाा � अतगीत प्रदान कि�ए जाान वााल व्यावाहैारि��, सामुाकिजा� एवा मुनंवाज्ञााकिन� सबल �ी भाी।
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औ� इन सबस प� इस साकिनध्य �ी सवााकिधै� आवाश्य�ता है हैमुा�ी उन वाी� नारि�यांं औ� उन बहैाद� किदव्यागी साकिथायांं �ं किजान्हेंंन �त्तव्य
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�ी बकिलवादी प� अपना सवास्वा न्यंछुावा� ��न मु भाी �ंई किहैचकि�चाहैटी नहैीं किदखाई।
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अत वातमुान परि�दृश्य मु हैमु ए�जाटी हैं�� अपन सभाी बहैाद� साकिथायांं औ� उन� परि�जानंं � किलए सामुाकिजा�, आकिथा� औ�
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मुानकिस� किवा�ास � किलए ए� आधैा�भात ढोाचा तयाा� ��न �ी आवाश्य�ता है, किजासस कि� वा अपना आगी �ा जाीवान सम्माान औ�
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आत्मकिनभा�ता � साथा जाी स�।
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हैालाकि� इन सब� किलए हैमु किन�त� प्रयात्नीशील है, तथााकिप प्रयाासंं �ी इस �ड़ीी �ं औ� अकिधै� सदृढ़ा औ� किवास्तंारि�त कि�ए जाान े
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�ी आवाश्य�ता है। ै
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त� निच�ाग अलग ह , म� निच�ाग भी कछो �दाा,
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चलों अबा साार्थ निमलक� �ौशु�ी को दाोग�ा क� दा ||
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