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P. 94

समाज  म रोम  -  रोम 5बंधा                        %तनक पर  सटकर
                                                                     े
                         7
               'मg 'सम हआ                                       कोर से बैठा
                        ु
               Pवल!न शूSय म
                             7
                                                                %तनक  स
                                                                     े
                                                                         े
                            7
               अंधर! गुफा म                                     मचा  हड़कJप
                   े
               वह जीवन भर करती रह! Pवलाप                        आंधी  और मेघ
                                   ै
               चेतना जा–त कहती ह
               जो #मलता  मुझे भी जीवन                           वहाँ बेव&त पहँची
                                                                             ु
                                                                जहाँ रUग तान क> रत पर
                                                                                  े
                                                                      े
                                                                                 7
               Dयि&त  सJमान और सम  िMट                          Lझल#मलाती 9करण थीं
               मुझे भी #मलता
               य1द सूय लोक                                      उसी क सामने आyलाPवत समु\
                                                                      े
                                                                1हचक> - दर  -1हचक>
               मg गौरवािSवत होती  6ी होने पर                    जीवन मोती Pपरोता

                                        े
               तमाम शhद औजार' ने काट
               हई परािजत                                        आ?मसंवाद पूछता  - &य'
                ु
                                                                9कस PवUध हई  धूल  'मg '
                                                                            ु
                                                                                           ै
               वह िजया पुनः  पुन :                              कौन भीतर दुःख म धकलता ह
                                                                                 7
                                                                                     े
               मg मृत  +ाय :                                    एक लJबी सुरग खुलती  जाती ह
                                                                                              ै
                                                                             ं
                       े
               समाज क आईने म
                                7
                                                                महज, दो Dयि&त हg साथ
                                                                           7
               दस |वार                                          जीवन पव  म
                                                                9फर भी


               रो कर उठtं ि 6य' स
                                  े
                                                                एक नह!ं,
               मत पूछना
                                                                                 े
                                                                दो  - दस |वार स
               वे कहाँ से आई हg ?
                                                                                  g
                                                                वे रो कर लौटतीं  ह


               वे बताएंगी
                                                                                 े
                                                                                   ु
               स1दय' पुरानी                                     पराधीन सपनहँ सुख नाह!ं
               युग-बोध क> कहानी
                                                                हम जो ढ ूंढने %नकले ह
                                                                                    g
               वह!,                                             संसार म कहाँ बसा ह  ?
                                                                                   ै
                                                                       7


               मई – जुलाई                             94                                                                   लोक ह ता र
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