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P. 93

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                                   7
                त -Pवœ yत अंधर म                                मुझे भी  #मलता जीवन
                                े
                                      ै
               9फर  भी  वीकाय  नह!ं ह


                                                                मg  हो गई हँ मौन
                                                                            ू
               Pपर रह!
                                                                 तhध, समPप त
                      े
               धानी क संग
                                                                       7
                                                                अंधर म तुम 5बन
                                                                   े
                                                                    े
               जैसे कोnह का बैल
                        ू

                                                                बह उतरा
                          ै
               &या पाता ह ?
                                                                                 ं
                                                                मांग से वह लाल रग
                                    ै
               थक कर  झुक जाती ह
                                                                जैसे अ~ु लह
                                                                            ू
                                    g
               Pववाइयाँ  फट जाती ह

               रोज़ाना  Uगर रह!  ह बूँद बूँद
                                  ै
                                                                उमड़ पड़ा सागर

                                                                भव- भंवर
               पKर$मा लगाते हए                                  उतन  बवंडर बन
                               ु
                                                                               े
                                                                    े
               बुदबुदाती ह  -"कब मुि&त #मलेगी  "
                         ै


                                                                जैसे चू रहा हो मोम  %नश 1दन
                 े
               ह अSनदाता  !
                                                                               ै
                                                                                       े
                                                                आँच  झर रह! ह ब?ती स
                 े
               ह +भु  !
                                                                                         7
                                                                इतने फ ू ल Lखले &याKरय' म
               बड़े Áामक शhद
                                                                      ं
                                                                Vय' उगल! पर अं9कत
               बैल क मुँह से उfचाKरत हए
                     े
                                       ु
               अब वह  च&कर नह!ं लगाती ह
                                           ै
                                                                पर  एकदम जज र शाख

                                                                œ %तज ताक रह! ह
                                                                                 ै
                                       ै
               दहल!ज़ पर खड़ी सोचती ह
                                                                चोखट पर कदम रखते ह!
               अनेक उ?पीड़न क>
                                                                छSनी हआ Éदय
                                                                       ु
                                   7
                          े
               अवधारणा क Pवषय म


                                                                कहाँ जाऊ  ?
                                                                        ँ
               और 9फर कम ठ 1दन' का
                                                                               ै
                                                                कौन िजJमदार ह
                                                                          े
               1हसाब-9कताब करने लगती ह
                                         ै
                                                                अशेष  मृ?यु
               #लखती ह  दो और दो चार नह!ं
                        g

               बाईस वीं  सद!
                                                                अकल! या6ा
                                                                   े

                                                                हर एक  िMट मुझे ऐसे दखती ह
                                                                                      े
                                                                                             ै

                                                                   े
                                                                जैस  मg अपराUधनी  हँ
                                                                                    ू


               मई – जुलाई                             93                                                                   लोक ह ता र
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