Page 3 - Aahaar Kranti Hindi July 2021
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  भारत के
स्ास्थ्य आहार
जय चावला अए
महामारी का सामना करने के जलए स्ववोत्तम ह।ै आि की दादी माूँ के जलए यह सब िाना पहचाना ह,ै िसै ातकउनकीदादीमाूँ के जलएथा।
लतेकन क्ा, यह सूपरफूड सच मेंइिनेअच्े हैं जििना तक दा्वा तकया िािा ह?ै आहारत्वद् रुििु ातद्वके र,के अनसु ारसूपरफूडमेंकमसे कम यह पां च समान बािें होनी चातहए- •्वेउसीभूधमपरप्राकृतिकरूपसेपदै ातकएिािे
ह,ैं िहां आप रहिे ह;ैं
• ्वे सूक्ष्म पोषक ित्वों और स्वाद से भरपूर
होिे हैं;
• फसल/पौधे के प्रत्के भाग को त्वशशष् रूप से
उपयोग में लाया िा सकिा है
• ्वे आपके भोिन में त्वत्वधिा को प्रोतसातहि
करिे ह;ैं और
• ्वे एक दीघक्भ ाजलक िी्वनशलै ी की ओर ले िािे
ह,ैं सथानीय अथव्भ य्वसथा में सहयोग करिे ह,ैं
ऐसाभोजनजजसमेंसभीप्रकारके
प ो ष क त त व म ौ ज दू ह ो ं उ स े ‘ स पु र फ ू ड ’ का नाम ददया गया। जबसे इस वतम्त ानमहामारीनेहमारेजीवनको प्रभाववतवकयाहैतबसेसपू रफूड का हमारे जीवन में एक अलग ही महतव स्ावपत हो गया ह।ै
जुलाई 2021
आहार काांति 3
 कशिाबदीसेभीकमसमयपहलेकी बाि ह,ै िब घर मेंयतद कोई बचचा बीमार हो िाए िो मािा-तपिा सबसे पहले घरेलू
और अच्ी पाररससथतिक समझ बनािेह।ैं
सं भ्व है तक भारि में कई ऐसे आहार हों िो तक इनमानदंडोंपरखरेउिरिेहों।तक्रि,ु यहां हम अधधक प्रजसधि आहारों पर धयान कें तरिि करेंगे
िो तक हमारे पूरे देश में प्रयोग में लाए िािे हों। आदश्भ रूप म,ें ्वे आय्वु दवे के पूणि्भ ा्वादी दशन्भ में तफटबठैिेह।ैंआय्वुदवेकेइसदशन्भकेअनसुार प्रत्के पौधा, िड़ी-बूटी और भोिन अपने
प्राकृ तिक रूप में आहार का भाग होिे ह,ैं िसै े तक त्वटाधमन और खतनि पदाथ।्भ
सपूरफूड-आंवलायाभारतीयआंवला/ गसूबेरी
भारि का एक देशी फल आं ्वला या भारिीय
आं ्वला के पड़े को भारिीय सं सकृ ति में स्वाध्भ धक पत्वत ्वृक्ष माना िािा ह।ै इसका ितै ्वक नाम तफलानथस एमबजलका ह।ै इस चमतकारी, अपने आप में सं पूण्भ प्रतिरोधक क्षमिा बढाने ्वाले आहार का उपयोग आय्वु तवै दक, जसधि और यूनानी िसै ी पारं पररक भारिीय द्वाओं म,ें वयं िनों में और यहां िक तक शमै पू के भारिीय सं सकरणों में भी तकया िािा था।
हबल्भ शोधकिा्भ त्वधध भाटटया जलखिी हैं तक आं ्वले का उपयोग ‘‘5,000 ्वष्भ परु ानी पारं पररक भारिीय धचतकतसा प्रणाली आय्वु दवे - मखु यिः
नसुखोंयायंूकहेंतक‘दादीमाूँके नसुखों’’की ओर ही देखिे थ।े इन नसु खों से बचचों का उपचार तकया िािा था, उनहें त्वशषे प्रकार का भोिन और ्वायोला तदया िािा था। और यह अधधकिर चमतकाररक रूप से काम करिे थ!े यतद हम इनके बारे में सोचें िो यह नसु खे या आहार सं सकृ ति
एक ज्ान के रूप में एक पीढी से दूसरी पीढी िक पहुंचिेरह।ेतक्रि,ुिसै-ेिसैेपरर्वारछोटेहोिे चले गए और हमारी सं सकृ ति एक धभन्न सं सार से प्रभात्वि होिी चली गई, यह ज्ान तनिन्भ में कहीं खो गया।
अब, िी्वन शलै ी और अपक्षीय रोगों से परेशान वयककि आि एक त्वकलप की खोि में
ह।ै और इन परेशातनयों का मखु य कारण है हमारी भोिन सं बं धी आदि।ें ऐसा भोिन जिसमें सभी प्रकार के पोषक ित्व मौिूद हों उसे ‘सपु रफू ड’ का नाम तदया गया। िबसे इस ्विम्भ ान महामारी ने हमारे िी्वन को प्रभात्वि तकया है िब से सूपरफू ड का हमारे िी्वन में एक अलग ही महत्व सथातपि हो गया ह।ै सोशल मीतडया पर लगािार सतकय रहने ्वाले लोग तनि नये सपु रफू ड पशे करिे रहिे ह,ैं साथ ही यह दा्वा भी करिे हैं तक यह सूपरफू ड आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमिा को बढाने और
  



































































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