Page 2 - Vigyan Raatnakar June 2021
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April 2021
संपादकीय
पञारिस्थिरिकी
पुिर्जीविक समय
जून 2021 | खंड 1 | अंक 4
प्रध्न संप्िक नकु ल प्र्शर
प्रबंध संप्िक कवपल वत्रप्ठी
संप्िक म्निधयान कं ठ
पर्मशया मंडल अछखलेश झ् (अध्यक्) आलोक कु म्र प्रक्श झ् संजीि छसन्् रौशन झ्
सुभ्र चन्द्र
वडज्इन पीर्लीवडज्इन
पत्र्च्रक पत्
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वडस्क्ेमर/अस्ीकरण
‘विज््न रत््कर’ मे प्रक्छशत लेख एिं लेखकगण द््र् प्रस्तुत विच्र, छचत्र आविक लेल विज््न प्रस्रक कोनो छजम्ेि्री नवह अछि। ‘विज््न रत््कर’ मे प्रक्छशत लेख एिं विच्र आवि कें वबन् कोनो शल्कु िेने पुनः प्ररोग करल ज् सकै रे, मुि् त्वह लेल ई उल्ेख करब आिश्यक होरत जे अमुक स्मग्ी विज््न रत््कर सं लेल गेल अछि आ तें स्भ्र/सौजन्य विज््न प्रस्र अपेछक्त अछि।
डॉ. नकुल पाराशर
विश्व पर्यािरण वििस के र आरोजन विगत 50 बरखसँ अनिरत भ रहल अछि। पवहल बेर 5 जून 1972 कें ई आरोजन कएल गेल
िल। इहो बेर हम सभ भ्रतमे कोविड मह्म्रीक िोसर लहररक घट्टोपक मध्य एकर आरोजन करब। हम सभ जखन कखनो पर्यािरण के र चचया करर िी त अस्ी आ नब्े केर िशकमे छचमनी सभसँ उठैत धुइर्ंक ध्रसँ बनल मोटर बिरी मोन पव़ि ज्इत अछि। संगवह, मोन पव़ि ज्इत अछि हमर् सबहक अविरल-वनमयाल प्रि्वहत होइत निी सभमे वगरैत फै क्टरी आ आन उत््िन कें द्र सबहक मोटगर मोटगर थ्ल-कीचक ध्र। एवह पररस्थिवतमे बिल्ि लेल सरक्रीआगैर-सरक्रीिनुुतरहकअछभर्नीलोकवन बध्इ के र प्त्र िछथ। एखन बहुत वकि भेल अछि आ बहुत वकि ब्की अछि। एवह बीच जैि विविधत् पर बहुत विपरीत प्रभ्ि प़िल अछि। विश्व िन्यजीिन प्रवतष््न (डब्ूडब्ूएफ) के र 2020 के र मोत्वबक पछिल्पच्सबरखमेिवुनर्भररकअ़िसठप्रवतशत सँ बेसी प्रज्वत खत्म भ गेल अछि। तवहन्, पछिल् पच्स बरखमे खेती लेल भूवमक विक्स के र चलते िैछश्वक जैि विविधत्मे सत्तरर प्रवतशत ह््स भेल अछि। एहने ह््स िन्च््वित क्ेत्र केर क्ेत्रफलमे सेहोिेखलगेलअछि।ि्स्तिमे,िवुनर्भररमे,शीरया प्ंच ट् िैछश्वक चुनौती सभके सूची िेखी त, बेसीतर ओ सभ हमर् सबहक प्ररस्थिवतकी, एकर नोकस्न, भरप्इ आ ओकर् स््भ्विक करब्सँ सम्बस्धित अछि। जलि्रु पररितयान के र रोकथ्म आ अनुकू लनमे विफलत्सँ अनेक समस्् उत्न्न होइत अछि जेन् वक: समुद्र सभमे तेल-ररस्ि, रेवडरो एस्क्टि पि्थया सबहक ररस्ि, संगवह, सुन्मी-भूकम्प आ तूफ्न ि् ज््ल्मुखी विस्ोट एहन प्र्कृ वतक आपि् सभ सेहो आबैत अछि। विशेरतः अविकछसत आ विक्सशील िेश सभमे प्ररस्थिवतकी सुध्र आ पुनजजीिनक विश्मे बहुत क्ज ब्ँचल अछि। मोट्मोटी इएह सभ एवह बरखक विश्व पर्यािरण वििसक थीम अछि। एवह विश्मे जनज्रूकत् के र प्रर्स सभसँ वकिु पररण्म भेटल अछि, स्मूवहक प्रर्स के र असर भेल अछि।
एखनहु, शरुु आत हमर् सबहक अपन् घरसँ करब्क अछि। व्यवतिगत रूपँे, हमर् सबहक पवहल ि्वरत्व बनैत िैक जैि विविधत् कें फे र सँ थि्वपत करब। एवह विश्मे हमर सबहक सहरोग एवह ब्तसँ वनध्याररत होइत अछि जे हम सभ की खरीिर िी ि् की उपभोग करैत िी। एवहमे हमर् सबहक ज्गरूक प्रर्स के र महत्वपूणया भूवमक्मे अछि। हम सभ अपन सं गी न्गररक सभकँे अपन उपरोग-उपभोग म्िे
सही वनणयार लेब्मे के हन
भूवमक् र्खैत िी, सेहो
पर्यािरण संरक्णमे महत्वपूणया
रोगि्न करैत अछि। हमर् सबहक
व्यिह्रसँ जनज्गरूकत् आबैत अछि आ एवहसँ बज्रक रणनीवत सेहो वनध्याररत होइत अछि। हम सभ िेख रहल िी जे पछिल् िू िशक के र मध्य ऑगगेवनक तरक्री आ फल सभ बेश लोकवप्रर भेल अछि। एवह तरहेँ, ई व्यिह्र सभसँ वनजी क्ेत्र सेहो प्रभ्वित होइत अछि। उत््िन प्रवरिर् सभ अपन थि्वनक प्ररस्थिवतकी के र अनुप्लनमे क्ज करैत अछि आ तें, ओ उत््िक सभ अपन् व्य्प्र व्यिह्र मे ठोस आ िीघयाजीिी नीवत सभ पर अमल करैत अछि।
हमर् सबहक ग््मीण आ शहरी आब्िीक वमश्रण सेहो प्ररस्थिवतकी पुनजजीिनमे महत्वपूणया भूवमक् र्खैत अछि। सं रुति र्ष्ट्र के र अनुम्न अछि जे 2050 धरर िवुनर्भररक अस्ी प्रवतशत लोक शहरी क्ेत्रमे वनि्स करर ल्गत। एकर स्पष् अथया अछि
जे प्ररस्थिवतकी पुनजजीिनमे शहरी क्ेत्रक रोगि्न बेसी महत्वपूणया भ जेतैक। प्ररस्थिवतक नोकस्न केर वनरंत्रण आ म्नित् लेल प्रकृवतक संरक्ण
हेतु र्जनीवतक इच््शवति आ प्रभ्िी श्सन सेहो महत्वपूणया क्रक अछि। स््स्थ्य, भोजन, जल आ स्ंस लेब्क लेल स्च् हि् आवि एहन अक्ट्य म्नक अछि ज्वह आध्र पर सम्पूणया म्नि ज्वतक अस्स्तत्व वटकल अछि।
ग््म्य आ शहरी, िनु ु इल्क्मे, प्रकृ वत सं रक्ण
के र विश्मे इस्ू ल आ छशक्क सबहक भूवमक् सेहो बड्ड पैघ हेतैक। रुि्िगया सेहो, संच्रक आधुवनक म्ध्यम सबहक उपरोग क प्ररस्थिवतक असंतुलन सम््रब्क विश्मे सभसँ प्रभ्िी ितू बवन सकै त अछि। एवह सबहक ब्िो, प्रर्स चलैत रहत। सेनेगलसँ छजबूती धरर िृहि हररत छभवत्त एकट् एहने बहुर्ष्ट्रीर प्रर्स अछि। ई प्ररोग अफ्ीक्मे भेल अछि। एहन बहुत वकि करब्क अछि। ऑक्ीजनक स्ोत, हमर सबहक प्र्कृ वतक फै क्टरी अथ्यात् िन्य क्ेत्रमे उत्तरोत्तर िृवधि अवनि्रया करब्क च्ही। अन्यथ्, बहुत िेरी भ जेतैक!
अपने सभ सुरछक्त रही, आ एवह सँ बव़ि क आनछदित रही! आनंवित मस्स्तष्क से िृहत्तर शवति सुवनछचित हेतैक।
Email: nakul.parashar@vigyanprasar.gov.in































































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