Page 3 - Vigyan Raatnakar June 2021
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आमुख कथा
 आधनु िक ममथिलञा मे
   डॉ. रवींद्र कु मार झा
छचत् पर जरर क’ त’ भस्म भ’ ज्इत अछि लेवकन ओवह ि्उर सँ पुनः जन्म लइत अछि आ अवहन् अपन अस्स्तत्व बचओने रहैत अछि। जखन पेट ख्ली रहैत अछि, तखन म्त्र ओकर् भरर के लेल मनुक्ख़ सोचइ िछथ आर वकिु नवह। एवह िश् मे विज््नक ब्त के न्इ कतहु स’ सं भि नवह। वकन्ु, एवह ठ्म हम मह्न इत्लिी गछणतज् ‘वनकोलो फोटं ्न् ट्ट्यास्लिर्’ के उि्हरण र्खर च्हब छजनकर आछथयाक स्थिवत बहुत ख़र्ब रहवन और ब्लपन में वपत्क मृत्यु सँ’ िःु ख सै गुण् बव़ि गेलवन। एक बेर जखन फ़्ंस वहनक् शहर पर हमल् के ने िल, तखन वनकोलो एकट् चचया में शरण लेने रहछथ परन्ु वबधन् के छलखल्ह् के ट्रर सकइत अछि। एकट्
आधुननक मैछथल समार् कला आ साचहत्यक पूर्ा सरदखन कयलनन,पिञ्चअथथोपार््जनलेल ममछथला सँ बहिाय पिलनन।
फ््ंसीसी सैवनक वहनकर जब़ि् आ त्लु के कृ प्ण सँ’ क्वट िेलक आ मरल बुछझ िोव़ि िेलक। एवह घटन्क ब्ि वनकोलो कवहरो नीक स’ ब्छज नवह सकल्ह। वहनकर जीिनी छलखवनह्र अरनोलडो म्सोत्ती छलखैत िछथ जे चौिह बरखक अिथि् मे वनकोलो एकट् छशक्क लग िणयाम्ल् छसखर गेलछथ। वकन्ु विध्त् ब्म रहछथन्। ज् धरर अंग्ेजी िणयाम्ल्क ‘के ’ (k) तक पहुँचलछथ, आछथकया ह्लत अत्यछधक ख़र्ब भ’ गेलैन आ फीसक जोग्र नवह भेल्क क्रण िोब्र् म्स्र स्हेब लग नै गेल्ह आएकट्फैक्टट्रीमेंमोनम्ररक्जकररलगल्ह। मुि्, दृढ इक््शवति आ विज््नक प्रेम के क्रण आई बैछलछस्क के क्ेत्र में वहनकर रोगि्न कें विज््न जगत लोह् म्नैत िवन। एक्े ट् वकरैक, हम कतेको उि्हरण ि’ सकइत िी। मह्न िैज््वनक म्इकल फै र्डे के ब्त करी त’ वहनको जन्म बहुत गरीब पररि्र मे भेल िलवन, बू़ि वपत् हरिम बीम्रे रहछथन् त’ सबट् भ्र न्छन्ट् फैर्डे केर कप्प्र पर रहवन। तेरह बरख के उम्र मे फै र्डे कें छजल्दस्ज के क्ज करर प़िलवन। िोक्न मे कखनोक्ल वकत्ब पर गत्त् लगबैत- लगबैत समर भेटैन त’ पइव़िरो लछथ। एवह रिम में कवहरो मह्न रस्रनज् हम्फ्ी डेिीक
जून 2021 3
    वज्ै ञानिकसोचकसमञावशे
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रौ ! अह्ँ के बौआ कोन विरर लेलैथ स्इंस
की कॉमसया ? रवि अह्ँक जन्म अस्ी के
िशक मे भेल अछित’ मैवटट्रक के पररण्म घोवरत भेल्क ब्ि ग्मक बेसी िल्न पर ज़रूर सुनने होरब। भ’ सकै त अछि जे एवह कथ् के अहँ एकट् प्त्र होइ। वमसर जीक ब्लक स्इंस ल’
क’ पढ्लछथ आ इंजीवनरररगं के ल्क ब्ि बं गलौर
में क्रयारत िछथ आ ओतर फलैट लेबर बल् िछथ। पूसक ज़्ि मे घूर लग बइस क’ एवह तरहक सुमधुर ब्त करइत सुवन क’ अन्र्से मोन मे आइब गेल जे फलैट लेल् सँ विज््न के कोन सम्बधि?
 आधुवनक मैछथल सम्ज मे विज््नक प्रवत आछथयाक आसवति अन्यथ् नै िै। ई सम्ज कल् आ स्वहत्यक पूज् सविखन करलवन, परञ्च अथथोप्जयान लेलवमछथल्सँसविखनबहर्रपरलवन।एवहिशक मे घर िो़िर बल् मैछथल सबके हम ‘फीवनक्’ के उपम् िैत िी। ग्ीक पौर्छणक छखस्् के वहस्ब सँ’ फीवनक् एकट् छच़िै होइत अछि, जे प्ंच सै िरया धरर जीवित रहैत अछि आ सूरया द््र् प्रज्छलत अप्पन
 



















































































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