Page 4 - Vigyan Raatnakar June 2021
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जून 2021
विज््नक वकत्ब पव़ि क’ मोवहत भ’ गेल्ह आ हुनकर एकट् व्य्ख््न सुनर चछल गेल्ह। सुनल्क ब्ि ओकर् छलखलवन, नथथी के लवन, गत्त् लगौलवन आ डेिी के पठ् िेलछखन् ज्वह सँ प्रभ्वित भ’ क’ ओ फै र्डे कें अप्पन िैज््वनक सह्रक आ सछचि बन् लेलछखन्। परन्ु डेिी के पत्ी के नज़रर में अप्पन गरीबीक क्रण खटकैत रहलछखन् आ ओ नोकरी हुनक् िो़िर प़िलवन। तत्चि्त, फै र्डे अप्पन विछभन्न खोज जेन् वक विद्ुत चुम्बकीर प्रेरणक खोज ; प्रक्श आ चंुबकत्व के बीच पवहल प्ररोग्त्मक क़िीक खोज; बेंजीनक खोज आवि सँ अप्पन न्म इवतह्स मे स्छणयाम अक्र मे छलखि् लेलछथ। क्ल्ंतर मे अवहन् कतेको मह्न िैज््वनक भेल्ह छजनकर गरीबी, विज््न के प्रवत हुनकर प्रेम, वनष््, आ कतयाव्यपर्रणत् मे ब्धक नवह भेलवन। अलफ्े ड नोबेल होछथ, अथि् श्रीवनि्स र्म्नुजन, ब् िटू ् नोबेल पुरस््र प्बर बल् ल्रनस पॉउछलंग वकनको गरीबी प्ि् नै िो़िलकैन। वहनक् सबमे जे एकट् सम्नत् रहवन तकर् कहल ज्इत अछि ‘स्इंवटवफक टेम्पर’ ब् हुनकर सहज िैज््वनक स्भ्ि। रवि ‘स्इंवटवफक टेम्पर’ कें पररभ्वरत कै ल ज्र त’ इ’ जीिनक एकट् तरीक् अछि ज्वह मे मनुक्ख अपन व्यिह्र मे िैज््वनक दृवष्कोण के ढ्छल लैत अछि, आ अपन वनत्य जीिन मे िैज््वनक पधिवत के उपरोग करैत िछथ। एकर पररण्मस्रूप, पूित्ि, भौवतक ि्स्तविकत्क अिलोकन, परीक्ण, पररकल्पन्, आ विश्ेरण जीिनक अछभन्न भ्ग बवन ज्रत अछि। ‘िैज््वनक स्भ्ि’ एकट् दृवष्कोणक िणयान करैत अछि ज्वह मे तकयाक अनुप्ररोग श्वमल अछि। त’ रवि इ’ कही जे चच्या, तकया , आ विश्ेरण िैज््वनक सोचक महत्वपूणया अंग होइत अछि, त’ कोनो अवतशरोवति नवह होएत आ रवि हम सब इ’ तीनू कें अपन् जीिन मे श्वमल क’ ली, तँ कहल ज् सकै त अछि जे हम पूणया रूपेण िैज््वनक सोचक सम्ज मे
‘साइकं िरिक िम्पे ि’ र्ीवनक एकिा ििीका अछि र्ाचह मे मनक्खु अपन व्यवहाि मे वज्ै ाननक दृष्टिकोणकेढामललिैअछि।
सम्वहत क’ लेलहुँ। रवि, वमछथल् के सम्बधि मे ब्त करी, त’ इ’ तीनू हमर सबहक जीिनक एकट् अछभन्न अंग रहल अछि आ एखनो अछि, बस एकर् ‘िैज््वनक- सोच’ रूपी प्थर पर घछस क’ पीजेन्इ जरुरी अछि ज्वह सँ’ अपन सोच में विज््न के सम्वहत क सकी। श्स्त्थया के रूप मे चच्या, तकया , तथ् विश्ेरणक महत्त्व वमछथल् मे सबविन रहल अछि । भ्रती -मंडनक जो़िी आ शं कर्च्रयाक श्स्त्थया वमछथल्क बच्् सँ ’ बू़ि धरर सब वकरो जनैत िछथ। इ श्स्त्थया म्त्र ि्ि विि्ि नवह िल प्रत्युत जेन् नि घरक वनम्याण मे नीिं िेल ज्इत अछि तवहन् इ मैछथल सम्जक सोच कें नीिंअछिआएकर्ऊपरहमकेहेनघरठ्रकरब से हमर् सब पर वनभयार करैत अछि। सम्जक वनम्याण व्यवतिस’होइतअछिआबच्ेिरस्बवनक’सही अथया मे सम्जक सृजन करइत िछथ। त्वह ल’ क’ रवि बच्् -बुच्ी मे स्इंवटवफक टेम्पर विकछसत करल ज्र त’ सम्ज मे एवह सोचक संच्र होरत आ िैज््वनक सोचक सम्ज मे थि्पन् भ’ सकैत अछि। एकट् च्रर बरखक बच्् स’ जखन इ पूिल गेल जे ठनक् पवहले वकरैक िेख्रत अछि आ ब्ि मे एकर आि्ज़ सुन्रत अछि ? त’ बच््क जि्ब िल जे वबजली चमकल्क ब्ि अह्ँ कें ओकर आि्ज़ सुन्रत आ अवह सँ’ ई बूझर मे आओत जे ठनक् अह्ँ सँ कतेक
िरू ठनवक रहल अछि आ रवि अह्ँ कें एकर आि्ज़ नवह सुन्रल त’ बुछझरौ अह्ँ कें ऊपर खसत। इ जि्ब अह्ँ कें हंसर पर मज़बूर क’ िेत परन्ु एकरे स्इंवटवफक टेम्पर कहल ज्इत अछि वकरैक त’ इ बच्् के जीिनक विछभन्न रहस्क क्रणक तल्श करर के र स््भ्विक प्रिृवत्त िवन।
िेखल ज्र त’ बच्् सभक िज्ै ्वनक स्भ्िक सीध् संबंध ओवह म्हौल सँ होइत अछि ज्वहमे ओ रहैत िछथ। एवह क्रणे हम कहब जे बच्् के प्लन- पोरणक शलै ी पर वहनकर सब के िज्ै ्वनक सोचक विक्स बहुत हि तक वनभरया करैत अछि। आधवुनक स म धिृ म छ ै थ ल स म ् ज म े ह म र ् स ब क े ब च् ् ब च्ु ी क े प्रश्न पिु ब्क लले प्रोत््वहत करब्क च्ही नै वक ओकरे सि्ल पछू ि क’ हतोत््वहत करी। अगर हुनक् मन मे कोनो सि्ल िवन त’ हुनक् कनीक सह्रत् करी आ अपने िम पर जि्ब त्कर िी । टीिी के मनोरंजनक बज्र िज्ै ्वनक क्ररिया मक लले बसे ी समर िेल ज्र। हम अह्ँ शतरंज खले ् खले ् क’ अपन बच्् कें िज्ै ्वनक सोच मे मज़िे ्र तत्व जोव़ि सकइत िी जे हुनकर त्वकयाक अनरिु मण और रणनीवतक कौशल के विकछसत करर मे मिि करत। कॉस््रिहेंशन पसै जे प़िल् स’ बच््क ज््न मे सधु ्र होरब्क संग - संग हुनकर िज्ै ्वनक स्भ्िो के पोरण हेतवन। हुनकर िज्ै ्वनक अन्रे ण कें प्रोत््वहत करब्क लले अपन स्म्टयाफोन पर उपलब्ध पहेली आ मस्स्तष्क टीज़र के सिैि उपरोग करी। छसधि्तं -आध्ररत छशक्् व्यिथि्क संगे अपन् सबकेव्य्िह्ररकउन्मखुछशक््प्रण्लीकव्यिथि् प्र्थवमक स्तर पर के न्इ जरुरी अछि। ज््तव्य अछि वक 1976 मे िज्ै ्वनक दृवष्कोण, म्निि्ि आ ज््न्जनया आ सधु ्रक भ्िन् कें भ्रतीर संविध्न मे सिप्रया थम मलू कतव्यया (ध्र् 51 (ज))क रूप मे श्वमल करल गले आ ई करर बल् भ्रत िवु नर्क पवहल िेश अछि।
नि वमछथल्ंचल मे अछभल्र् ई अछि जे विद््थजीगण थि्वपत िैज््वनक छसधि्ंतो पर सि्ल उठ्बछथ - च्हे ओ न्यूटनक वनरम हो ब् आइंस्ीन के छसधि्ंत । जखन अपन् सब एकट् ज्ंच अछभविन्य्स कें प्रोत््वहत करबै, तखने विज््न ि्स्ति मे विज््न बनैत अछि। समर आवब जेल अछि जे िेशि्सीक सं गे सं गे मैछथल कें वद्रत रहछथ आ नि पौधक िैज््वनक सोच कें नीक सँ’ पटबछथ। आइ के िवुनर् फुछसक सूचन्, आ अवनछचितत् सँ’ भरल अछि, त्वह ल’ क’ बच्् के िैज््वनक स्भ्िक विक्स लेल बहुत प्ररत् करर प़ित से वनछचित बुझू। परञ्च, हमर अह्ँक ई प्रर्स ज़रूर सफल होरत, ई हमर पूणया विश्व्स अछि। आधुवनक मैछथल सम्ज मे छशक््क प्रवत ज्गरूकत् िेछख सकब, से बुझन् ज्इत अछि। आब वकरो प़िोसी कें विज््न पढैत िेछख, विग्भ्रवमत नवह होइत िछथ आ अपन् वहस्ब सँ विरर के चुन्ि करैत िछथ। वकनको आछथकया स्थिवत सँ प्रभ्वित भ’ क’ आब वमछथल् मे बच््क भविष्य वनम्याणक क्ज नवह होईत अछि। वमछथल्ि्सी एकट् नि सम्जक वनम्याणक विस अप्पन डेग ब़ि् िेने िछथ जकर पररण्म अवगल् वकिु िरया मे िेख्र ल्गत, से विश्व्स अछि।