Page 6 - VIGYAN RATNAKAR_Oct_2021
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पाबनन-वतहार
  निरात्त्र मे विज्ानक तत्व
सुभाष चन्द्र
धन्य िछथ हमर सभक प्राचीन ऋनर-मुनन, जे अपन दरटूदछश्षता के चलते जानह ननयमानद कें प्रनतपादन कयलाह, ओकरा आई नवज्ान
छसद्ध कय रहल अछि। कोरोना काल हअय वा पाबनन- नतहार। नवज्ान नमछथलाक लोक सुं स्ार कें अपनरौलक। नमछथला मे नवशेर पाबनन-नतहार मे उपवास करब, लोक व्वहार मे अछि। एकर पािाुं नवज्ान अछि।
एखन शारदीय नवरात्र कें समय अछि। एनह मे नरौ नदन व्रत आ नवशेर सुंयम राखल जाइत अछि। एकर कारण के वल धानम्षक नही,ुं अपनत नवज्ान अछि। दरअसल चैत्र आ आछश्वन मास कें नवरात्र के दरौरान के वल भारत मे ननह, बल्ल्क सगरो दनु नया कें मरौसम बदलैत अछि। एक मरौसम सुं दोसर मरौसम मे जयबाक काल नकिु मरौसमी रोग-व्ाछध के पसार बेसी होमय लागैत अछि। एनह कालावछध मे अबैत अछि शनक्त कें नरौ नदन। देवी शनक्त कें साधना ननह छसफ्ष हमरा अहाुं कें शनक्त प्रदान करैत अछि, अनपतु हनका लगाओल गेल भोग सुं सेहो नदव् ऊजा्ष भेटैत अछि।
नवरात्र के नरौ नदन मे जे हवन सनमधा आनद, देशी िी के सुंग देल जाइत अछि, ओ वातावरण के कीटाणु सभके नाश करैत अछि। सुंगे िी कें आहूनत सुं प्राणवायु ऑक्सीजन कें ननमा्षण होइत अछि, एनह कारणें प्राचीन काल सुं ऋनर लोकनन ननत्य होम कें आह्ान करैत आनब रहल िछथ।
हम देवी भगवती को अनप्षत करय वाला भोग- प्रसाद कें गप्प करी, त ओनह मे गरौिृत, शक्कर, दधटू , मालपुआ, केले, मधु, गुड, नाररयल आनद नदव् ऊजा्ष कें स्ोत अछि। नवज्ान कें भारा मे कहल जाएतएनहसभवस्ुमेसभीप्रकारकेकैल्शियम, नवटानमन्स कें समावेश होइत अछि, जे बेहतर स्ास्थ्य आ ऊजा्ष हमरा सभकें दैत अछि। एनह सुं हमर सभक इम्युननटी मजगटूत रहैत अछि। कोरोना काल मे ई कहब ननह जरूरी जे इम्युननटी कें
लय क लोकक छचुंता कतय धरर रहैन्।
सभनकओ अपन इम्युननटी कें बटूस्
करबा लेल उताहल रहलाह। नवरात्र
मे लोक अपन इम्युननटी कें बटूस् करय
िछथ।
साछत्वक आहार के व्रतक पालन करबा सुं देहक शुनद्ध होइत रहल अछि। कहलरौ जाइत अछि जे स्च् मन मुं नदर मे सेहो ईश्वर कें स्ायी ननवास होइत अछि। तानहुं नवरात्र अपन शनक्त
मे वृनद्ध करबा लेल उपवास,
सुंयम, पटूजन व साधना कयल
जाइत अछि। मुंत्र मे कतेक सामर््ष
अछि एकरा न्यटूरोलॉजी कें िॉक्र सभ समय-समय पर छसद्ध कय चुकल िछथ। नमछथला मे पुंनित लोकनन कें कहब िैन्
- देवता त मुंत्र आ कम्ष कें अधीन होइत िछथ।
माइुंिफुलनेस कें मतलब होइत अछि सचेतन। उपवास एकटा एहन तरीका अछि जानह सुं कोनो लोक अनुंत आनुंद आ आनुंदक लेल नदव् शनक्त कें आह्ान कय सकै त िछथ। भरौनतकवादी युग मे आत्सुरक्ा बि जरूरी होइत अछि। तानहुं नवरात्र उपवास सुं देह कें बि आराम भेटैत अछि। उपवास सुं पाचन तुंत्र कें ते आराम भेटैत िछथ सुंगे सुंग लोक स्युं कें आुंतररक नदव्ता सुं सेहो जुडैत अछि। आमतरौर पर देखबा मे
निरात्र के नौ वदन मे जे हिन सममधा आवद दसे ी घी के र सगं दले जाइत अधछ ओ िातािरण के र कीटाणु सभक नाश करतै अधछ। एवह कारणें प्राचीन काल सं ऋबि लोकनन ननत्य होम कें
अबैत अछि जे नवरानत्र या कोनो आन उपवास के दरौरान लोक झटूठ बाजब, चुगली करब, ईष्ा आनद करबा सुं बचैत िछथ। जानहुं सुं हनक अुंदर नकारात्क ऊजा्ष कें प्रवेश ननह होइत अछि। एहन मे लोक स्युं कें लेल सकारात्क रूप सुं आत्ननधा्षररत नवकल्प ताकैतिछथ।
एकटा गप्प आर। नवरात्र व्रत सुं देहक निटॉक्सीफनकशन होइत अछि। यानी नवराक्त पदाथ्ष देह सुं ननकलैत अछि। निटॉक्सीफनकशन कें मतलब नवरहरण। मुख् रूप सुं नवरात्र साल मे दटू बेर मनाओल जाइत अछि। एक बेर चैत्र मे आ दोसर आछश्वन। ई दनु टू समय ऋतुसुंछध कें अछि। आयुवदेद के अनुसार, गप्प करी त एनह समय मे माुंस, मोट अनाज, शराब, प्ाज, लहसुन सन खाद् पदाथ्ष सुं परहेज केनाए नहतकर। सुंगनह नकारात्क ऊजा्ष सुं सेहो बचब जरूरी होइत अछि। एनह मरौसम मे देह कें प्रनतरोधक क्मता कम होइत अछि। बीमार होबाक सुंभावना अछधक रहैत अछि। एनह दरौरान उपवास राखबबेहतरहोइतअछि।मनआआत्ाकेसुंगेसुंग देह कें मजगत होयब बड्ड जरूरी।
देश के जानल-मानल कम्युननटी मेनिसीन एक्सपट्ष िॉ अरुण शमा्ष कहैत िछथ जे कोरोना काल मे सभ नकओ अपन इम्युननटी कें लेल उताहल रहल। जनद हम सब अपन खान पान आ नदनचया्ष सुधारर ली त इम्युनननट अपने आप बढल रहैत अछि। आधुननक जीवनशैली मे नदनचया्ष बि महत्व रखैत अछि।
कोरोना के समय मे नवरानत्र पटूजा के सुंबुंध मे गप्प पटूिैत ओ कहैत िछथ जे पटूजा जरूरी अछि, मुदा जीवनक कॉस् पर ननह। कोरोना कें ननयम कें पालन
करैत जे जतय िी, ओतय पटूजा करी। जे नकओ कोरोना कें दोसर िोज यानी वैक्सीन ननह लगरौने िछथ, ओ जरूर याद सुं लगा लैछथ। नमछथलाक सुंस्ार नीक रहल अछि। हमर धम्ष-पुराण मे बहत रास गप्प वैज्ाननकता कें आधार अछि। ओनह मे सुं नवरानत्र सेहो
अबैत अछि।
  आह्ान करतै
आबब रहल छधथ।
   





































































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