Page 4 - VIGYAN RATNAKAR_Oct_2021
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अक्टूबर 2021
विज्ानक अिदान
पाथर पर पाथर िछस िछसकऽ भेल रहय आनगक ननमा्षण अन्ेरण करइत ननत नव पुनन
नानप लेलहँ धरती आ चान।
भारत मायक मृदलु मानटपर अगछणत रत्क प्रादभु ा्षव केओ शटून्य केर अन्ेरक तऽ
नकनको खोजल 'रमन प्रभाव।
आजानदक अमृत उत्सव पर करब क्राुंनतवीरक यशगान
बीतल बरखक अवलोकन कऽ परखब नवज्ानक अवदान।
पराधीनता बन्न टुनटतनह बनल शोध सुंस्ान कतोक
नवज्ानीगण भऽ स्तुंत्र जत
काज ररसच्षक करछथ ननधोख।
अछभनव अनुसुंधानक वलपर बढल नवकासक पथ पर देश 'हररतक्राुंनत' ओ 'श्वेतक्राुंनत' सम
सफल सुखद पररणाम अशेर।
रामानुजन, रमण, भटनागर हरगोनवुंदक अथक प्रयास
वसु, प्रफु ल्, भाभा अरु बोसक भेटल पररश्रमक फल खास।
अुंतररक्मे अपननह उपग्ह अपन ध्वु ीय प्रक्ेपण यान
सटूपर कम्पटूटर स्नननम्षत स्नननम्षत रेलवे, जलयान।
नवज् कलामक ननददेशनमे
गढल नमसाइलक नवनवधप्रकार
पोखरन के र परमाणु परीक्ण पेखल चनकत सकल सुंसार ।
महामारर सन िातक ल्स्नत अुंकु श हेतु जुटल नवज्ान कोनवि वैल्क्सन बना स्देशी
नवकट सुंकटक देल ननदान।
नटूतन भारत के र प्रणयनमे रहछथ समुद्त जे अनवराम
तानह महामानवक कीनत्षकें नतछशर भऽ हम करी प्रणाम।
- आभा झा
गांधीजी विज्ान आ मानि वििेक कें बराबर स्ान दबे ाक पक्षधर छलाह। ओ छोट उद्ोग, छोट मशीन, विकें द्ीकरण, पययािरण आ अत्यधधक उपभोक्ािाद सं बचबाक पक्षधर छलाह।
कतेक प्रासाुंनगक अछि, से कहबाक लेल कोनो साक्ष्यक आवश्यकता ननह।
हनक चरखा वा नमक आुं दोलन नवदेशी दासता के र नवरोधक प्रतीक िल आ स्देशी आओर कु टीर उद्ोगक प्रनत हनकर ननष्ा कें दशा्षबैत िल। बहत गोटा अनह बात सुं भ्रनमत भ’ जाइत िछथ जे चरखा वा कुटीर उद्ोग प्राचीनताक ननशानी िी, जकर आधुननक युग में कोनो आवश्यकता ननह। मुदा चरखा त’ प्रतीक िल। गाुंधीजी िोट उद्ोग, िोट मशीन आ िोट शहर, िोट बसाहनट आ ग्ाम स्राज्यक पक्धर िलाह। आई चीनक नवकास मे ओतुका िोट-िोट उद्ोगक की योगदान िैक, से दनु नया के र सामने अछि। ओकर गाम- गाम मे गणेशजीक मटूनत्ष सुं ल’ के राखी आ कम्पटूटर उत्पाद बनैक िैक आ ओ नवश्व बाजार कें अपन सामान सुं पानट देने अछि। गाुंधीजी ओनह दश्षनक नहमायती िलाह, जतय नवज्ानक जनकल्ाणकारी उपयोग सुं कोनो नवरोध ननह िलैक।
गाुंधीजी के र लिु उद्ोग स्देश्ाी आत्ननभ्षरता, व्ापक रोजगार आ पया्षवरण प्रेम सुं जुडल िल। ओ नवज्ान नवरोध सुं जुडल ननह अछि। हनका एकटा नवदेशी पत्रकार जखन भारतक लेल इुंग्लैंिक औद्रौगीकरण मॉिल अपनेबाक बात पुिलकछन् त’ ओ कहलछखन् जे जखन एतेक िोट इुंग्लैंिक औद्रौगीकरण, मशीनीकरण समटूचा दनु नया कें गुलाम बना कें ओकर पया्षवरण कें चरौपट क’ रहल अछि त’ भारत सन नवशाल देशक व्ापक मशीनीकरण सुं त’
ई समटूचा सृनष् नष् भ’ जैत। अनह सुं बनढया त’ ई जे भारतके कनहयो मशीनीकरण ननह हए। गाुंधीजी के र एहन वक्तव् कें नवज्ान नवरोधी मानन लेल जाइत अछि, जे उछचत ननह। ओ एकटा सुंदभ्ष मे ई बात कहने िलाह। आई दनु नया पया्षवरण सुं कट, क्ाइमेट चेंज, तापमान, अनावृनष्, ओजोन समस्ा, पेयजल आ परमाणु समस्ा सुं जटूछझ रहल अछि। भयुंकर महामारी, कलैं सर, नकिनी इत्यानद बेमारी चहुंओर लोक कें तबाह क’ रहल िैक। एखुनका समय मे गाुंधीजी के र नवचारक प्रासुं नगकता आर बनढ जाइत िै क। हनक कथन िलछन् जे प्रकृनत लग मनुक्खक आवश्यकता पटूरा करबाक सामर््ष त िैक, मुदा ओ ओकर लोभक पटूनत्ष ननह क’ सकै त अछि।
अाई इुंटरनेट, आनटन्षफछशयल इुंटेछलजेंस आ वच्षुअल ररयछलटी के र युग मे मनुक्ख द्ारा कयल जा सकै बला बहत रास काज तकनीक लग जा रहल अछि आ मशीन आओर मनुक्खक बीच सुं बुं ध पर समटूचा दनुनया मे एकटा बहस चछल रहल अछि। एना मे गाुंधीजी फेर मोन पडैत िछथ। गाुंधीजी नवज्ान आ मानव नववेक कें बराबर स्ान देबाक पक्धर िलाह। ओ िोट उद्ोग, िोट मशीन, नवकें द्ीकरण, पया्षवरण आ अत्यछधक उपभोक्तावाद सुं बचबाक पक्धर िलाह। ओ मशीनीकरण केर कारण एकटा मनुक्ख द्ारा दोसर मनुक्खक शोरण के र नवरुद्ध िलाह। अनह महामारी आ पया्षवरण सुं कटक समय मे दनु नया कें हनकर गप्प फे र में मोन पनड रहल िैक।