Page 23 - कबिता संग्रह.docx
P. 23
शंका
----------
मस गछ ु कल गछ ु उ दैन फोन कती खेरै
हेलो भ न न स दैनौ के मा बजी यती धेरै
ला छ कतै त ो मन न ठ ु र पो भयो क
मेरो साथ वना पनी हाँ न स ने ठा यौ क
सायद तमीलाई कामको भार पो पय क
त ो च चल मन कतै अ तै पो सय क
फोन कलले मेरो कतै ड टव पो गय क
देशी हेन नजरमा कतै अ पो पय क
मस गछ ु कल गछ ु उ दैन फोन कती खेरै
हेलो भ न न स दैनौ के मा बजी यती धेरै
बाबुराम प थी "गु मेल "
त घास गु मी