Page 25 - कबिता संग्रह.docx
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छोरा छोर को तोते बोल गुमाए
म ह को आि मयता गुमाए
आफ तह को भावना मक स ब ध गुमाए
खै के ाि तको लागी
िजवन भर भागी रह
भा दा भा दै भएको पनी सव व गुमाए !
बाबुराम प थी "गु मेल "
त घास , गु मी
मदहोस
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यी ओठले त ो क पमा के ह ले देऊ
लाजलाई लाज कै घु टै ले आज छो न देऊ
ब देज नलगाउ यी मेरा ह के ला ह
त ो मैदानमा रमाइ रमाई खे न देउ
ब समय रो कयोस ् एकै छन एकचोट
हराउन देउ आज मलाई तमी मै समेट
झाईदेउ त ै पस मा यक अंग अंग
मठो वर गु जाउ आउ हामी संगै संगै
तातो सासको ग त सँगै स मपमा ब न देऊ