Page 58 - Not Equal to Love
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सूरज ूकाश
                                      - म समझ सकता हूं।

                                      - अजीब बात है ना 5क  चार Iवषय*  म पोः ट मेजुएट को
                                        इस संयुN प=रवार म इस तरह क Oज़ंदगी जीनी पड़ती
                                        है। अपने िलए कोई ः पेस नह+ं। गुंजाइश होते हुए भी
                                        गुंजाइश नह+ं।
                                      -  अजीब बात तो ये भी है 5क चार Iवषय* म पोः ट मेजुएट

                                        क शाद+ एक आढ़ती से होती है। मेरा कहना बुरा लग
                                        सकता है। हो सकता है ये आपके  पित का खानदानी पेशा
                                        हो और वे आपके  _ लास फे लो भी हो सकते ह, आपके
                                        बराबर पढ़े िलखे हो सकते ह ले5कन आपक बातचीत से
                                        तो यह+ लगता है 5क आप शाद+ म और प=रवार म सब
                                        कु छ होते हुए भी बेचैन ह। कु छ है जो िमिसंग है Oजसक
                                        आपको तलाश है। म आपके  मन क पीड़ा समझ सकता

                                        हूं।
                                      - म पी5ड़त और वो सब नह+ं हूं। ले5कन एक चीज है।
                                        इंटेले_ चुअल ज़/रत। उसी से_टर म मेरे सब खाने खाली
                                        ह। आस पास कोई भी नह+ं है Oजससे अपने मन क बात
                                        कह सकूं  या 5कसी चीज को ले कर बहस कर सकूं । आप
                                        कह सकते ह... वह+ मुझे कु छ न कु छ करने, सोचने और

                                        महसूस करने के  िलए हमेशा ूे=रत करती रहती है। ले5कन
                                        नतीजा िसफर ह+ रहता है। अब आप िमले ह तो अपने
                                        आपको हलका भी कर देती हूं और अपनी बकवास से
                                        आपको परेशान भी। सॉर+ सर।

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