Page 54 - Not Equal to Love
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सूरज ूकाश
10/01/2014 11.37 am
- हैलो, कै से ह सर?
- कै सी हो छIव?
- f9
- मेर+ बात पढ़+ थी _ या?
- हां
- _ या कहता है मन?
- छfन लो ये श) द मुझको मौन चा5हये
मन को भी नह+ं मालूम 5क मुझको कौन चा5हये?
- ठfक है हम श) द नह+ं छfनगे, बेशक मौन का उपहार दगे,
ले5कन संवाद के दरवाजे खुले रखना। बेशक Oझर भर
जगह हो। हाहा।
- जी, जब भी िलखती हूं उसी दुिनया म रह जाती हूं। बाहर
आना या बैलस बनाना मुOँ कल हो जाता है। और ये बात
मेरे प=रवार के 5हत म नह+ं जाती। जानते ह, मेरा माहौल
मुझे अके ले रहने क, अपनी खुद क दुिनया म खो जाने
क इजाज़त ह+ नह+ं देता।
- मेरे पास इस बचकाने तक< का जवाब नह+ं। कभी तो अपने
प=रवार क इतनी तार+फ करती ह 5क आप दुिनया के
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