Page 22 - Grasshopper Magazine
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कवर  टोरी


            मथुरा की लठमार होली...  िसर चढ़कर बोली
              वृ दावन और मथुरा की होली िजसने नह  देखी िफर उसने इस
               योहार का असली रंग नह  देखा। बसंत पंचमी से शु& रंग का उ सव
            मथुरा या कह' पूरे )ज *े+ म' 50 िदन, तक चलता है। मथुरा म' बरसाने
            की होली दुिनया भर म' /िस1 है। बरसाना राधा जी का गांव है जो मथुरा
            शहर से क़रीब 42 िकमी दूर है। यह  खेली जाती है लठमार होली।
            वृंदावन, नंदगांव और बरसाना समेत पूरी मथुरा क9:ण की बांसुरी पर
            िथरकती और अबीर-गुलाल की  म=ती म' नजर आती है। बरसाना की
            लठमार होली भगवान क9:ण क? काल म' उनक? @ारा की जाने वाली
            लीलाA की याद िदलाती है। माना जाता है िक क9:ण अपने सखाA क?
            साथ इसी /कार कमर म' फBटा लगाए राधारानी तथा उनकी सिखय, से
            होली खेलने पहुंच जाते थे तथा उनक? साथ िठठोली करते थे िजस पर
            राधारानी व उनकी सिखयां Eवाल, पर डGडH बरसाया करती थ । ऐसे म'
            लाठी-डGड, की मार से बचने क? िलए Eवाल वृंद भी लाठी या ढाल,ल,
            का /योग िकया करते थे जो धीरे-धीरे होली की परंपरा बन गया। आज
            भी यह परंपरा वैसे ही िनभाई जाती है जैसे भगवान Lी क9:ण क? समय म'
            /चिलत थी। बाद म' इसी परMपरा ने लठमार होली क? &प म' पूरी दुिनया
            म' अपनी पहचान बना ली।


            बरसाना से आता है राधा जी का  यौता
              का हा बरसाने म  आए जैयो, बुलाय गई राधा  यारी...  जैसे
            गीत, से बरसाना की लठामार होली से ठीक एक िदन पहले फाग
            आमं+ण लीला होती है। मा यता है िक राधा रानी =वयं क9:ण और
            उनक? सखाA को बरसाना आकर होली खेलने क? िलए बुलाती हN।
            इस लीला क? िलए राधा जी की एक सखी बरसाना से नंदगांव जाती
            है।  योते म' बरसाना से एक मटकी म' अबीर गुलाल व दि*णा रखकर
            उसे भेजा जाता है। यह सखी जब नंदभवन म' पहुंचती है तो वहां खुशी
            का माहौल हो जाता है। नंदभवन म' उसका =वागत स कार िकया
            जाता है। बरसाना से होली का  योता आने की सूचना नंदगांव वाल,
            को दी जाती है। बरसाना से भेजा गया गुलाल नंदगांव म' बांटा जाता
            है और सब होली खेलने बरसाना जाने की तैयारी करने लगते हN।
            लठमार होली से पूवP भी एक ऐसी होली होती है िजसकी एक झलक
            पाने क? िलए लोग कRछ ही िमनट, म' 600 फीट ऊVचे )Wांचल पवPत
            X=थत राधारानी क? मंिदर म' पहुंच जाते हN। दरअसल, यह वह मौका
            होता है जब नंदगांव का एक हुYरयार बरसाना की गोिपय, से होली
            खेलने का  यौता मंजूर कर िलए जाने की सूचना देने राधा रानी क?
            मंिदर आता है तब उसकी आवभगत म' न क?वल उसे भरपेट लड ्ड[-
            िमठाई िखलाई जाती है, बX\क उस पर लड ्ड[ भी बरसाये जाते हN। टन,
            लड ्ड[ इस मौक? पर आम जनता क? बीच लुटाये जाते हN, इसी वजह से
            इसे लड ्ड[ होली भी कहा जाता है।


            पु ष  को मिहला  की तरह नाचना पड़ता है
               =थानीय िनवासी पंकज शमाP बताते हN िक बरसाने म' ऐसी परंपरा हN
            िक Lी क9:ण क? गाँव नंदगाँव क? पु^ष बरसाने म' घुसने और राधा जी क?
            मंिदर म' aवज फहराने की कोिशश करते हN और बरसाने की मिहलाएं उ ह'
            ऐसा करने से रोकती हN। यहां तक िक डGड, से पीटती भी हN।  अगर कोई
            पु^ष पकड़ म' आ गया तो उसे न िसफc मिहलाA की तरह Lृंगार करना
            होता है बX\क सब क? सामने नाचना भी पड़ता है, िफर इसक? अगले
            िदन बरसाने क? पु^ष नंदगांव जा कर वहाँ की मिहलाA पर रंग डालने
            की कोिशश करते हN। यह होली उ सव क़रीब सात िदन, तक चलता है।
            बरसाना की लठमार होली )ज की 50 िदन की होली का मुdय आकषPण
            होती है। कहा जाता है िक Lीक9:ण मिहलाA का बहुत सMमान करते थे
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