Page 24 - Grasshopper Magazine
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कवर  टोरी












































            और मुसीबत क
 समय म  हमेशा उनकी र ा करते थे।  यह माना जाता है िक भगवान  एक दूसरे पर फ3ल4 की बरसात भी की जाती है। फ3ल4 से होली का चलन अब देश
            क  ण ने लठमार होली को नारी सश#तीकरण का $तीक बनाया था।   क
 अDय क  ण मंिदर4 म  भी शु. हो गया है। फ3ल4 से होली क
 साथ टQसू क
 फ3ल4
                                                            से बने रंग4 से भी होली खेली जाती है। मथुरा की होली की िवशेषता यह है िक यहां
                                                            $ाक ितक रंग4 से होली खेलने पर Rयादा जोर रहता है। यहां रंग और अबीर क
 िलए
            लाठी बरसाने का नेग भी पाती ह  मिहलाएं           फ3ल4 क
 $योग पर Rयादा जोर रहता है। पहले फ3ल4 क
 साथ ही िविभS रंग4 की
               बरसाना म  िशि का अनु मंगल बताती ह' िक बरसाना की होली म  आज भी  िमट ्टी को भी रंग4 क
 िलए इJतेमाल िकया जाता था। लताU और पेड़4 क
 फ3ल4 व
            िनभाई जाती ह' परंपराएं। ,ज म  होली क
 दो .प िमलते ह'। एक ओर जहां यहां होली  पW4 को पानी म  डाल कर रंग तैयार िकया जाता था। पलाश और टQसू क
 फ3ल बहुत
            पर ल0 की बरसात होती है तो दूसरी तरफ फ3ल4 की, लेिकन बरसाने की लठमार  गहरे रंग वाले होते ह' तो इDह  पानी म  उबाल कर रंग तैयार िकया जाता है। चुकYदर
            होली अपने आप म  अनूठी है। इस होली म  मिहलाएं पु7ष4 पर लाठी बरसाती ह'।  आिद सZ[जय4 से भी रंग बनाये जाते ह', लेिकन अब होली पर भी आधुिनकता का
            पु7ष सर क
 ऊपर छतरीनुमा चीज रखकर बचाव करते ह'।  नंदगांव और बरसाने  रंग चढ़ रहा है िजससे रसायिनक रंग4 का इJतेमाल भी अब होने लगा है।
            क
 लोग मानते ह' िक होली की लािठय4 से िकसी को चोट नह> लगती है। अगर चोट
            लगती भी है तो लोग घाव पर िम@ी मलकर िफर शु. हो जाते ह'। लठमार होली
            फाAगुन महीने की शु#ल प  की नवमी को मनाई जाती है। ऐसी पौरिणक माDयता है  ... और इनकी िजंदगी म  भी रंग भर जाती है होली
            िक बरसाने की औरत4 की लाठी िजसक
 िसर पर छE जाए, वह सौभाFयशाली माना   उनकी िजंदगी की शाम बेहद अक
ली ह'। न कोई अपना है और न तो कोई सहारा
            जाता है। GHालु या पु7ष, औरत4 या कह  हुIरयाIरन4 से िसर पर लाठी का JपशK  दूर दूर तक नजर आता है। इनकी िजंदगी म  कोई रंग नह> ह'। तन सफ
द साड़ी तो मन
            कराते ह'। वे लाठी चलाने क
 बदले नेग म  7पये व उपहार भी देते ह'। इस होली का  दुख4 से िलपटा हुआ है। वृंदावन म  देश क
 कई कोन4 से आई िवधवाएं रहती ह'। पIरवार
            सीधा संबंध भगवान क  ण और राधा क
 $ेम से है। लोग रंग खेलते व#त भगवान  क
 लोग इDह  यहां छोड़ देते ह'। िजस पIरवार क
 िलए ये अपने सपने चूAह  म  हवन कर
            Gीक  ण क
 भजन और फाग गाते ह'।                   देती ह', वही पIरवार दुख क
 समय इDह  िवधवा बता घर से बाहर फ]क देता है। इन
                                                            िवधवाU क
 जीवन से रंग खPम हो जाते ह', लेिकन मथुरा की होली इनक
 सूने जीवन
                                                            म  रंग भर जाती है। वषK 2013 से िवधवाU क
 िलए भी होली की परbपरा शु. हुई है।
            रंग क  साथ फ ल  की होली                         वृंदावन म  िवधवाU की होली का चलन पागल बाबा क
 मंिदर से शु. होकर अब
              रंग4 से होली तो हर जगह खेली जाती है लेिकन मथुरा म  फ3ल4 से होली का  कई क  ण मंिदर4 म   िवJतार ले चुका है। काDहा की िवशेष क पा $ाcत ऐसी मिहलाU
            नजारा बहुत अनूठा होता है। यहां रंग4 की जगह फ3ल बरसाये जाते ह'। मथुरा क
  क
 िलए सुलभ नाम की एक Jवयं सेवी संJथा होली का आयोजन कराती है। होली पर
            क  ण मंिदर4 म  होली क
 अवसर पर सांJक ितक कायKMम4 क
 आयोजन होते ह' िजसम   िवधवाएं फ3ल व गुलाल उड़ाकर Gी क  ण क
 साथ होली खेलती ह'। लठमार होली क
            कलाकार राधा-क  ण का .प धारण कर नृPय करते ह' और फगुआ क
 गीत गाते  बाद िवधवाU की होली मथुरा की होली म  सबसे लोकि$य हो रही है। हो भी #य4 न
            ह'। इस अवसर पर रासलीला का आयोजन भी होता है। इसम  नृPय क
 साथ-साथ  िकसी क
 सूने जीवन म  रंग भरने का इससे खूबसूरत मौका कहां िमलता है।
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