Page 28 - Vidyalaya Magazine- Kendriya Vidyalaya Rishikesh
        P. 28
     गींगा
                    गूंगा की क्या बाि कऱूूं ,                    वह क ै सी घड़ी थी I
                                गूंगा उदास है                                 सुनिे ही भागीरथ क े  स्वर को,
                    वह जूझ रही है खुद से,                        वह दौड़ पड़ी थी I
                                   मगर बदहवास है                               मतहमा यह देश की,
                    न अब वह रूंग ऱूप है,                         गररमा यह सूंस्क ृ ति की I
                                    न वह तनखार है                              क ु छ कीतजए उपाय,
                    गूंगा अब फूं सी है,
                                                                 प्रदूषण भगाइए,
                                    बाूंधों क े  जाल में कहीं
                                                                                गूंगा पर आज आ रही
                    नहरों क े  जाल में,
                                                                 आओ क ु छ करें,
                                     सर पीट-पीट रो रही,
                                                                                गूंगा बजाएूं,
                    शहरों क े  जाल में,                          इसे शुद्ध बनाएूं
                                      नाले सिा रहे हैं,
                    खा-खा क े  पान थूकने वाले सिा रहे हैं I
                                       आई थी बड़े शौक से,
                    शूंकर को छोड़कर,
                                       तवष्णु को छोड़कर,
                    अपने घर को छोड़कर,
                                     खाsई थी अपने आप में,





