Page 35 - Vidyalaya Magazine- Kendriya Vidyalaya Rishikesh
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          एक बार एक व्यक्ति खेत में बैठकर पक्तियों को क्तिहार रहा था तभी उसकी िजर एक क्तिक्त़िया पर प़िी जो बहुत

          स ुंदर थी और उसका एक-एक पुंख इतिा स ुंदर था क्तक वह व्यक्ति उसे देख कर मि ही मि उसे पक़ििे के  बारे में

          सोिता है | पिी उस व्यक्ति को अपिे पास आते हुए देख कर उ़ि जाती है, व्यक्ति की लाख कोक्तििों की

          बावजूद भी वह उसे िहीं पक़ि पाता | आक्त़िर में जब वह थक जाता है तब पिी उसके  पास आकर उसे क्तिढाती

          है | वह झट से उसे पक़ि लेता है | वह उससे बोलता है क्तक अगर वह उसे अपिे सारे पुंख देगी तो वह उसके

          बदले उसे सारी स क्तवधाएुं देगा | पिी को उसकी तरकीब अच्छी लगी | उसिे हाुं कर दी | क्तदि बीतते गए हर रोज

          की तरह उसे वह व्यक्ति सारी स क्तवधाएुं दे रहा था, जब पिी के  सारे पुंख खत्म हो गए व्यक्ति िे उसे जुंगल में छो़ि

          क्तदया | वह पिी इतिी बेबस और लािार हो गई थी क्तक वह अपिे क्तलए खािा िहीं खोज पाती थी, वह उ़ि िहीं

          पाती थी | पिी को लगिे लगा क्तक अब वह क्तकसी काम की िहीं है | इसक्तलए हमें अपिा कायय ख द करिा िाक्तहए

          िाहे उसमें हमें क्तकतिा भी पररश्रम क्यों िा करिा प़िे |

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           क्तिल्मी पदे पर अपिे अक्तभिेताओुं को एक साथ 10 -10 ग ुंडों की क्तपटाई करते हैं या उन्हें


           सीमा पर दश्मिों को मारते देखा है लेक्तकि अगर आपको असल क्तजुंदगी में हीरो देखिे

           हैं तो आपको सीमा पर तैिात उि हीरोज को देखिा िाक्तहए जो खूि को जमा देिे

           वाली ठुंड में भी हमारी सीमाओुं की रिा के  क्तलए जी जाि एक कर देते हैं |

           अगर बहादरी के  सवोच्ि क्तिखर महसूस करिा हो तो जैसलमेरी जैसी गमय

           जगह पर वो बैठकर हमारी सीमाओुं की पहरेदारी करिे वाले सैक्तिकों से

           क्तमलिा िाक्तहए जो जला देिे वाली गमी में भी अपिी परवाह क्तकए

           क्तबिा देि के  क्तलए तत्पर रहते हैं | सेिा आज िा क्तसिय  हमारी

           रिा के  क्तलए सीमाओुं पर प्रभारी का क्तकरदार क्तिभाती है

           बक्तल्क सेिा हमारे क्तलए आुंतररक समस्याओुं में भी सहायक

           क्तसद्ध होती है जैसे बाुंध या प ल टूट जाए या कोई अन्य

           समस्या हो हमारे जवाि जागे हैं तो ही हम िैि से सोते हैं |


                              जय भारतीय सेिा
                                                                                               प्रीति कोतियाल
                                                                                                 कक्षा बारहवीं
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