Page 102 - Microsoft Word - CHETNA MARCH 2020- APRIL 2020 FINAL
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बना इस आशय से +क वह इन सार% वPतुओं को बेच कर कोई यापार करेगा
और जब उसे यापार म. काफ1 लाभ होगा तो वह एक दन घर आकर अपने
Eपता का गलत तर%के से 5लया हआ सारा धन वापस कर देगा. इतना ह% नह%ं
ु
उसने अपनी इस योजना और घर से चुराए सारे सामान के बारे म. भी अपने
Eपता को अवगत करा दया. उसके Eपता ने जब यह सब सुना तो उ#ह. बुरा तो
बहत लगा पर#तु वे अपने पु( से के वल इतना ह% कह सके +क, 'बेटा, तुमने
ु
काम तो बहत गलत +कया है, मुझे खुशी होती य द अपने इस काम के 5लए
ु
तुम मुझ से मांगते तो शायद म8 तु?ह. मना नह%ं करता?' बाद म. उस लड़के ने
अपना एक छोटा सा यापार का काम आर?भ +कया. उसका यह काम आर?भ
म. तो ठ©क चला मगर एक दन उसम. घाटा होने लगा और अंत म. उसका यह
काम भी बंद हो गया और वह सड़क पर आ गया. बाद म. वह उड़ाऊ पु( के
समान पXचातापी मन से घर वापस आया.
बाइबल म. य द हम इ
ायल% लोगJ के जीवन पर गौर कर. तो उनका भी
यह% हाल था. वे जो क ु छ भी चाहते थे वह उ#ह. तुरंत और उसी समय 5मलना
चा हये था. जब नह%ं 5मलता था तो वे क ु ड़-क ु ड़ाते थे, परमेXवर से उनका
EवXवास ट ू टने लगता था, वे परमेXवर को उटा-सीधा बकने लगते थे; परमेXवर
को उनक1 यह आदत बहत बुर% लगती थी. इसी5लये परमेXवर ने उनको हठ©ल%
ु
कौम भी कहा है. कहने का आशय है +क इ
ायल% +कसी भी बात म. सy नह%ं
कर सकते थे. वे परमेXवर के कामJ के 5लए त;नक भी ती-ा नह%ं कर पाते थे.
जब+क, बाइबल म. परमेXवर के वारा चुनी हई हिPतयJ म. य द अyाहम को
ु
देख. तो उसने 14 साल इसहाक के ज#म का इंतज़ार +कया था. याक ू ब ने राहेल
से शाद% करने के 5लए 13 वष0 तक लाबान के यहाँ उसक1 भेड़-बक<रयां चराकर
म.हनत-मश=कत क1 थी. मूसा ने 40 सालJ तक परमेXवर क1 आLा का पालन
+कया, जंगलJ क1 ख़ाक छानी थी और उसके बावजूद भी वह कनान देश म.
अपने कदम नह%ं रख सका था. इतना ह% नह%ं हमारे उcारकता0 यीशु मसीह ने
30 वष तक परमेXवर क1 आLा 5मलने का इंतज़ार +कया तब जाकर उ#हJने
उसके बाद अपना 5मशन आर?भ +कया था. एक मनुGय ह% ऐसा है वह उसके
उ{तर 5मलने का जरा भी सy नह%ं करना चाहता है. थोड़ी सी भी उसे परेशानी
होती है, जरा सा भी वह बीमार पड़ता है, क ु छ दन भी अगर उसके बुरे आते ह8,
वह डावांडोल होने लगता है. परमेXवर के ;त उसका EवXवास डगमगाने लगता
है. बहत से लोग तो ऐसी क ठन प<रिPथयJ म. परमेXवर को ह% बुरा-भला कहने
ु
लगते ह8.
102 | चेतना प ढ़ये और आगे ब ढ़ये