Page 7 - माँ की पर्णकुटी
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ब ती क  नव  ववा हत वर-वधु व बेट -दामाद                 नव  ववा हत बेट -दामाद
        को ब ती से कार म  लाकर मं दर दश न, सरस पाल र म

        ना ता, होटल म  भोजन एवम घर म   मठाई एवम उपहार
        देकर ब ती म   वदा कर "मुँह  दखाई क  र म " क  जा
        रह  है।

        पण क ु ट   से  आया  प रवत न--------------------
         श ा  के     त  ललक-  जहाँ

        वष   2012  म ,  माताय   अपने
        ब च   को  "माँ  क   पण क ु ट "
        से घरेलू काय  के   लए उठा ले

        जाती  थीं,  तीन-चार  ब चे
        सरकार    क ू ल  म   पढ़ने  जा
        रहे थे I आज हर मां-बाप क
        इ छा  है   क  उनका  ब चा
        पि लक  क ू ल म  पढ़े, "माँ क

        पण क ु ट " पर   त दन जाए I
        इसी  का  नतीजा  है   क  आज
        सायंकाल पण क ु ट  पर  ब च
        क  सं या 80 -90 तक रहती

        है, पि लक  क ू ल म  60 एवं
        सरकार       व      अ य         क ू ल    म      30             ब चे     पढ़ने      जा      रहे     ह       I
         व छता- आज ब चे साफ-सुथरे रहने लगे ह ,   त दन  नान, द त मंजन करने लगे ह  I  व छ कपडे पहनने लगे ह  I

        साथ ह  अपने प रजन व अ य ब च  को भी  व छता के   लए  े रत करने लगे ह  I अपनी झोप ड़यां के  अंदर व आस-
        पास भी सफाई रखने लगे ह  I

        शाकाहार - अपनी "अनोखी माँ" के   े रत करने पर अनेक ब च  व प रजन  ने  वपर त प रि थ तय  के  बावजूद भी मीट
        खाना छोड़  दया है I

        ईमानदार -ब च  को   त दन  वत रत क  जा रह  टॉ फय  से ईमानदार  के   लए  े रत  कया जा रहा है I  ार भ म
        ब चे जब भी झूठ बोलकर एक से अ धक टॉफ  मांगते, तो उनसे पूछने पर सच बोलने पर एक और टॉफ  द  जाती थी,
        इसका प रणाम यह  नकला क  आज सभी ब चे एक से अ धक टॉफ  या अ य कोई सामान देने पर लेने से मना कर

                                                    क बल  वतरण   देते ह  I क ु छ ब चे जैसे  व णु,  न तन, सुमन, क ु लद प,
                                                                 सलोनी  व  उसक   म मी  अ य  आ द  ने  तो,  खेलते  /
                                                                 काय   करते  समय   पये  या  अ य  सामान   मलने  पर
                                                                 वा पस  देकर  अ य ब च   को भी  े रत  कया है तथा

                                                                 समाज म  ब ती का नाम रोशन  कया है I आज ब ती
                                                                 के   आस-पास  रहने  वाले  स जन  व  इनके    क ू ल    क
                                                                  धानाचाय     भी  इन  ब च   क   ईमानदार   क   तार फ
                                                                 करते नह ं थकते  ह  I
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