Page 10 - TSB ebook
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I know that when I will close my eyes and reminisce about you all, a smile is bound to dance
and a warm feeling envelope me. ………………… Sanjay Upreti
Quiz Q : Name the magazines brought out by all the 4
ldfp centres
STC सॉल्ट लेक से TSB का सफ़र
सच कहूँ तो शायद यह मेरे जीवन की गाथा क े दो ऐसे पड़ाव हैं जजन्हें मैं कभी भूल नहीीं सकता। पहला वो
वक्त था जब जीवन की शुरुआत हो रही थी। पहली बार देश क े कोने-कोने से आए करीब 90 प्रोबेशनरी
ऑजिसर साॅ ल्ट लेक ट्रेजनींग सेंट्र में जमले तो सब एक दू सरे क े जलए अजनबी थे, लेजकन साढे छः महीने की
ट्रेजनींग क े दौरान हम सबोीं क े बीच एक ऐसा अट्ू ट् बींधन स्थाजपत हुआ जो आज भी कल्पना क े परे प्रतीत होता
है। यह आत्मा का बींधन है। आप इसमें वैचाररकता, बौद्धिकता या वैज्ञाजनकता नहीीं खोज सकते। वक्त बीतने
क े साथ-साथ यह बींधन जदनोीं जदन अदृश्य ऱूप से जवलुप्त होने की जगह और प्रगाढ होता गया और इसकी
पराकाष्ठा ट्ीएसबी क े ऱूप में सबके सामने आई। सॉल्ट लेक में हम चार सजकि ल क े प्रोबेशनसि थे - पट्ना,
कलकत्ता,भुवनेश्वर और नॉथि ईस्ट। स्वाभाजवक ऱूप से इन्हीीं राज्ोीं क े लोगोीं की सींख्या अजधक थी, लेजकन
दजिण क े भी अनेक लड़के नाॅ थि ईस्ट सजकि ल में थे। के रल का ओवी पट्ना सजकि ल क े जलए चुना गया था।
करीब 25 वर्षों क े बाद जब वह इींट्र सजकि ल लेकर के रल वापस गया तो वह हमारे जदलोीं में बस चुका है। एक
जदल का ररश्ता बन चुका है। उसकी उन्मुक्त हूँसी उसका ट्रेडमाकि है। मुझे याद है जब वह आरा का रीजनल
मैनेजर था कभी-कभी मस्ती में भोजपुरी भी बोलने लगता था, कु छ वैसे ही जैसे साॅ ल्ट लेक क े जदनोीं में हममें
से कु छ बींगला बोलने की कोजशश करते थे। राजीव याद आ रहा है मुझे। शुरुआत से ही शरारती और स्माट्ि।
सींजचता क े साथ उसकी चुहलबाजजयाूँ और अमेररकन स्टाइल में अींग्रेजी बोलना - आधी दुजनया घूम चुका था
बैंक जॉइन करने क े पहले ही। मचेंट् नेवी में था न। अब राजीव अमेररका में सेट्ल हो चुका है, लेजकन वह
हमेशा से ..जदल से ..भक्त .. आई मीन भारतीय रहा है। राजीव क े साथ कमलाकर और आशुतोर्ष की खूब
जमती थी। कमलाकर अध्यि बन गया है पट्ना सजकि ल ऑजिससि एसोजसएशन का और आशुतोर्ष ..
चुम्मा..एद्धिस बैंक को जनहाल कर रहा है। एक तरि जहाीं जजींदाजदली का दररया बहता था, दू सरी तरि कु छ
पढाकू ट्ाइप क े भी लोग थे जैसे जववेक श्रीवास्तव, आभास, अरुण सारींगी, अमल पुष्प आजद। इस तरह क े
सारे लोग IAS IPS बनकर जीवन में कािी आगे बढ चुके हैं और बड़े-बड़े पदोीं पर आसीन हैं। इन दोनोीं तरह
की प्रवृजत्तयोीं का सींगम एक ऐसे शख्स क े ऱूप में था जजसे आज पूरा 88 बैच तातश्री क े नाम से पुकारता है।
तात ने आउट् होने क े पहले ही सींऩॎयास ले जलया है और आजकल मोदी की भूजम को सुशोजभत कर रहे हैं।
व्हाट््सएप ग्रुप में उनकी जनरींतर सजियता बनी हुई है - दोनोीं ऱूपोीं में - मौजलकता एवीं बौद्धिकतापरक
जवचारक पीओ 88 ग्रुप में एवीं उन्मुक्त तथ्यपरक भौजतकता व साींसाररकता क े व्याख्याकार क े ऱूप में गोआ
ग्रुप में।
हम अिर आपस में जमलते हैं तो साॅ ल्ट लेक डेज़ की चचाि जनकल ही पड़ती है। सभी मानते हैं जक वह हम
सभी क े जीवन का गोल्डन पीररयड था। शायद हम सभी लड़कोीं क े जलए वह पहला दौर था जब 70-75
लड़कोीं क े साथ 15 -16 लड़जकयाीं भी एक ही हॉस्टल में रह रही थीीं। मैं अभी महसूस करता हूँ जक लड़जकयोीं