Page 9 - TSB ebook
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, अधिराबत्र भी बीि गई, पर कोई सोने का नाम नहीं ले रहा था, होटल क े सीदढयों पर ही फोटोशूट शुऱू। सककि ल
               वाइज़,LDFP वाइज़,िशकों बाि , सम्पूणि भारि क े इस ग्रुप का र्मलन समारोह हो रहा था, नींि ककसे आिी, कौन
               सो सकिा था, *it was once in a lifetime moment for everyone of us. None wanted to miss it.*


               क ु छ घण्टों क े ववराम पचचाि, *िो दिसम्बर* को  सुबह में , उच्च पहाड़ी पर प्स्थि बबड़ला मप्न्िर िशिन, जहां की
               खूबसूरिी, पववत्रिा, दिव्यिा, वैववध्यपूणि िेव ववग्रहों का द्रववडड़यन शैली में स्थापत्यकला ,बन्िरों की टोर्लयां

               खेलने-धमाचौकड़ी में व्यस्ि,रंगबबरंगी फ ू लों की किार, पेड़ों -पहाड़ों पर व्याति हररयाली ,आदि का
               आकषिण.....अब कफर ककसी को हटने का मन नहीं कर रहा था। कफर वही घास पर बैठकर ही फ़ोटो, सेल्फी, बािें

               आदि। साढ़े नौ बजे िक आध्याप्त्मक वािावरण, पुनः ब्रेकफास्ट,चेक आउट। कफर गतपें, फोटोसेशन, ग्रुप
               एप््टववटी, लन्च प्जसमें फे मस डाइतनंग हाइट  *लीची रबड़ी* था। पर call of the duty या कमि ही पूजा है की

               पुकार अब बलविी हो रही थी, वविा लेने का बबछड़ने क े *सोच मात्र से ही सभी क े दिल भारी हए जा रहे थे*,लग रहा
                                                                                           ु
               था जन्मों क े बाि र्मलन हो रहा है।जो आध्याप्त्मक दृप्टट से सत्य भी है ्योंकक परमात्मा कभी ककसी को अकारण

               नहीं र्मलािा, चाहे सुग्रीव राम हों, या क ृ टण सुिामा,या आधुतनक युग में TSB,...
               अिः मेरे र्लए *िीस साल बाि, एक अववस्मरणीय याि* है और रहेगा।




               *पूरा समारोह ,A to Z ककसी गचर प्रिीक्षक्षि पूजा की िरह परफे ्ट, तयोर  एंड flawless था*  व प्जसमें

               सभी को आनन्ि आया ,मीठी यािें सँजोये जा रहे थे,और प्जसके  श्ेटठ प्रबन्धन क े र्लए, हम सब टीम PSG,
               स्वामीनाथन सँग टीम हैिराबाि, ववनय टोंसे सँग टीम चेन्नई अर्भजीि चक्रविी सँग टीम संजीव कपूर...क े

               आभारी, क ृ िज्ञ हैं।    परमात्मा सभी को खुश एवं स्वस्थ रखें, िथा मनोवांतछि ऊं चाइयां प्रिान करें।

                                                           -  Bipin Bihari Pathak

                 I have for long believed that there are no coincidences in our lives. There is a purpose
                 behind everything and with each successive event the belief in this adage has become
                 stronger. TSB was one such event. I Met many of you for the first time but the effervescence
                 with which we shook hands, patted each other’s back, hugged on meeting and bid good
                 bye languidly never showed that it was first meeting. My short stint in SBI and the latest
                 event of TSB has made life richer with numerous pleasant memories.
                 What purpose do memories serve? Each post in this group is testimony to the feelings of
                 William Wordsworth so beautifully penned in Daffodils.
                 “For oft, when on my couch I lie
                 In vacant or in pensive mood,
                 They flash upon that inward eye
                 Which is the bliss of solitude;
                 And then my heart with pleasure fills,
                 And dances with the daffodils.”
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