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आज की िुशनया मे





                                                                        आज की दजननया मे मैंने

                                                                  बदलते िए देि की तस्वीर को देखा िै |
                                                                 ज

                                                                        इस दजननया मे मैंने झूठ को सच

                                                           और सच को झूठ िोते देखा िै |

                                                                             इसी दजननया मे मैंने


                                                                          दजष्टो का सम्मान िोते िए देखा िै|
                                                                                      ज
                                                                      इसी दजननया मे मैंने तो


                                                         कारों में क ज त्तों को देखा िै

                                                                             आज की दजननया में मैंने भगवान की

                                                              तस्वीर को कबाड़े में फ ें कते िए देखा िै |
                                                                                              ज

                                                                 आज की दजननया में मैंने देिों को

                                                             मोिब्बत निीं नफ़रत कराते देखा िै |

                                                                           इसी दजननया में मैंने इंसान को


                                                                                इंसान काटते िए देखा िै |
                                                                                     ज
                                                                              आज की दजननया में मैंने

                                                                              भाई – भाई को लड़ते देखा िै |


                                                                              और संस्कनत को भूलते देखा िै
                                                                           ृ
                                                                           इसी दजननया में मैंने पैसों क े दम पर

                                                                                     ईमान बेचेते देखा |


                                                                          आज की दजननया में तजम मानो या न मानो

                                               लेककन अपनी बातों से मजकरने वाले

                                                                                       इन्सानो को देखा िै |


               नाम  खाट2       मंजजश्री  :

               कक्षा   ब   नवमी  :

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