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अपने इस अंि को शमटा हदया
मााँ, तू न िोती तो,
तेरा यि बेटा न िोता,
सब जान कर भी तू अंजान िै,
बेटे की चाि मे आज भी परेिान िै,
तजम्िें तो सब पता िै मााँ,
इस दजननया की रीत,
कफर भी न जाने कै से,
बना रखी िै इनसे प्रीत,
मजझे इस जमाने को,
करीब से देखना िै मााँ,
जो एक ढोंगी की तरि,
बेटी लक्ष्मी िै, किती िै मााँ,
मााँ, तू भी बेटी िै,
क्यों? मजझे आने न हदया,
बेटे की चाि में तूने,
प्यारी बेटी को आखखरी नींद सजला हदया |
नाम : सायंतानी बनजी
कक्षा ; 8 ब
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