Page 103 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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आज क क़ज़ दार सोसायटी दो बात मानती है। पहली यह िक ख़ुद का घर एक िनवेश होता है।
और दूसरी यह िक तन वाह बढ़ने पर ख़च भी बढ़ना चािहए या एक यादा बड़ा घर ख़रीद लेना
चािहए। बढ़ते ह ए ख़च क े कारण प रवार यादा क़ज़ म फ ँ स जाते ह और उ ह पैसे क और यादा
तंगी का सामना करना पड़ता है, हालाँिक वे अपनी नौक रय म लगातार तर क़ रहे ह और
उनक तन वाह लगातार बढ़ती जा रही है। इसे हाई र क िलिवंग या बह त जोिखम भरी
जीवनशैली कहा जाता है, और इसका कारण यह है िक ऐसे लोग म पैसे क समझ नह होती।
1990 क े दशक म नौक रय म भारी कटौती से यह बात पता चली िक म य वग पैसे क े
मामले म िकतना असुरि त है। अचानक, कं पनी प शन लान क जगह पर 401k लान आ गए
ह । सोशल िस यु रटी िनि त प से संकट म है और इसे रटायरम ट का सहारा नह बनाया जा
सकता। म य वग म घबराहट का माहौल पैदा हो गया है। आज एक अ छी बात यह है िक
यादातर लोग यह बात समझते ह और इसिलए उ ह ने यूचुअल फ़ं ड ख़रीदना शु कर िदया है।
िनवेश म ह ई बढ़ोतरी क े कारण ही हमने टॉक माक ट म इतनी तेज़ी देखी है। आज, म य वग
क बढ़ती माँग को पूरा करने क े िलए नए-नए यूचुअल फ़ं ड बनते जा रहे ह ।
यूचुअल फ़ं ड इसिलए लोकि य ह य िक वे सुर ा क े तीक ह । औसत यूचुअल फ़ं ड
ख़रीदने वाले आदमी नौकरी म , टै स और मॉट गेज चुकाने म , अपने ब च क कॉलेज क फ़ स