Page 108 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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यान रख िक इस िबंदु पर म अपनी तन वाह पर िबलक ु ल भी िनभ र नह ह ँ। म ने संपि वाले
कॉलम को भरने म जीतोड़ कोिशश क थी और म इसम सफल भी ह आ था, िजसक े कारण आज
म आिथ क प से आजाद हो गया ह ँ। अगर म आज अपनी नौकरी छोड़ भी दूँ तो भी मेरी संपि य
से इतना क ै श लो आता रहेगा िक मेरा ख़च आसानी से चलता रहेगा।
मेरा अगला ल य यह होगा िक मेरी संपि य से आने वाले अित र क ै श लो को िफर से
संपि वाले कॉलम म िनवेश कर िदया जाए। मेरे संपि वाले कॉलम म िजतना यादा पैसा जाता
है, मेरा संपि वाला कॉलम उतना ही बढ़ता रहता है । मेरा संपि वाला कॉलम िजतना यादा
बढ़ता है वहाँ से उतना ही यादा क ै श लो आता है। और जब तक म अपने ख़च को आने वाले
क ै श लो से कम रखता ह ँ तब तक म यादा अमीर बनता रह ँगा। और यान देने वाली बात यह है
िक मेरी आमदनी शारी रक मेहनत से नह , बि क दूसरे ज रय से हो रही है।
जब तक पुनिन वेश क यह ि या चलती रहती है म अमीर बनने क राह पर तेज़ी से
चलता रह ँगा। अमीरी क असली प रभाषा देखने वाले क िनगाह म होती है। आप कभी अ यिधक
अमीर नह हो सकते।
इस आसान सबक़ को याद रख :
अमीर संपि ख़रीदते ह ।
गरीब क े वल खच करते ह ।
म य वग दािय व ख़रीदता है परंतु यह सोचता है िक वह संपि ख़रीद रहा है।
तो िकस तरह म ने अपने काम से काम रखा? इस सवाल का जवाब या है? मै डॉन ड क े
मािलक क बात सुन ।