Page 19 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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यह फ़ ै सला िकया िक पु तक िनि त प से बेहतरीन थी और समाज म इसक बह त ज़ रत थी,
ख़ासकर ऐसे समय म जब दुिनया तेज़ी से बदल रही थी। हम दोन त काल इस िनण य पर पह ँचे
िक म रॉबट क पु तक म सह-लेखक बन जाऊ ँ ।
म ने उनसे पूछा िक उनक े िवचार से िकसी ब चे को िकतनी िव ीय िश ा क ज़ रत होती
है। उ ह ने कहा िक यह ब चे पर िनभ र करता है। अपने बचपन म ही उ ह ने यह जान िलया था
िक वे अमीर बनना चाहते थे और उ ह एक ऐसे िपता व प यि िमल गए थे जो अमीर थे और
जो उनका माग दश न करने क े इ छ ु क भी थे। रॉबट का कहना था िक िश ा ही सफलता क न व
है। िजस तरह क ू ल म सीखी गई बात बह त मह वपूण होती ह , उसी तरह धन संबंधी समझ और
बोलने क कला भी मह वपूण होती ह ।
आगे क कहानी रॉबट क े दो डैिडय क े बारे म है, िजनम से एक अमीर ह और दूसरे ग़रीब।
इनक े ज रए रॉबट उन रह य को बताएँगे जो उ ह ने अपने जीवन म सीखे ह । दोन डैिडय क े
बीच का अंतर एक ख़ास बात उजागर करता है। इस पु तक को म ने बढ़ाया है, इसम क ु छ जोड़ा
और घटाया है और इसे यवि थत करने का काम िकया है। जो अकाउंट ट इस पु तक को पढ ,
उनसे मेरा यही अनुरोध है िक वे अपने िकताबी ान को एक तरफ़ रख द और अपने िदमाग म
रॉबट क े िस ांत को घुस जाने द । हालाँिक उनम से कई िस ांत पहली नज़र म ग़लत लग गे,
अकांउट् स क े िस ांत क बुिनयादी बात को चुनौती देते लग गे, परंतु यह याद रख िक वे एक
मह वपूण ि देते ह िक िकस तरह स चे िनवेशक अपने िनवेश क े फ ै सल का िव ेषण करते
ह ।
जब हम अपने ब च को '' क ू ल जाने, मेहनत से पढ़ने और अ छी नौकरी पाने'' क सलाह
देते ह तो अ सर हम ऐसा सां क ृ ितक आदत क े कारण करते ह । ऐसा करना हमेशा सही चीज़
मानी गई है। जब म रॉबट से िमली तो उनक े िवचार ने शु म तो मुझे च का िदया। दो डैिडय क े
साथ पले-बढ़े रॉबट क े सामने दो अलग-अलग ल य होते थे। उनक े पढ़े-िलखे डैडी उ ह
कॉरपोरेशन म नौकरी करने क सलाह देते थे। उनक े अमीर डैडी उ ह कॉरपोरेशन का मािलक
बनने क सलाह देते थे। दोन ही काम म िश ा क ज रत थी, परंतु पढ़ाई क े िवषय िबलक ु ल
अलग-अलग थे। पढ़े-िलखे डैडी रॉबट को माट बनने क े िलए ो सािहत करते थे। अमीर डैडी
रॉबट को यह जानने क े िलए ो सािहत करते थे िक िकस तरह माट लोग क सेवाएँ ली जाएँ।
दो डैिडय क े होने से कई सम याएँ भी पैदा ह ईं। रॉबट क े असली डैडी हवाई रा य म
िश ा मुख थे। जब रॉबट 16 साल क े ह ए तो उ ह इस बात क कोई ख़ास िचंता नह सता रही
थी, ''अगर तु ह अ छे नंबर नह िमलते तो तु ह कोई अ छी नौकरी नह िमलेगी।'' वे पहले से ही
जानते थे िक उनक े क रयर का ल य था कॉरपोरेशन का मािलक बनना, न िक उसम नौकरी
करना। सच तो यह है िक अगर हाई क ू ल म समझदार और मेहनती परामश दाता नह िमला
होता तो रॉबट कभी कॉलेज भी नह गए होते। वे इस बात को मानते ह । वे दौलत कमाने क े िलए
बेताब थे परंतु वे आिखरकार मान ही गए िक कॉलेज क िश ा से भी उ ह फायदा हो सकता है।
दरअसल इस पु तक म िदए गए िवचार शायद बह त से माता-िपताओं को ांितकारी और
अितशयोि पूण लग गे। कई लोग को तो अपने ब च को क ू ल म रखने म ही काफ मेहनत