Page 67 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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आसान ह , परंतु इन िच   क े  सहारे उ ह ने दो छोटे ब च  को ठोस और गहरी न व पर दौलत का

               बड़ा महल बनाना िसखाया।

                     िनयम 1. आपको संपि  (assets) और दािय व (liabilities) का अंतर पता होना चािहए,
               और हमेशा संपि  ही ख़रीदनी चािहए। अगर आप अमीर बनना चाहते ह , तो आपको बस इतना
               ही जानने क  ज़ रत है। यह पहला िनयम है। यही इकलौता िनयम है। यह बह त आसान लगता
               है। परंतु  यादातर लोग  को यह पता ही नह  है िक यह िनयम िकतना मह वपूण  है।  यादातर
               लोग पैसे क  सम याओं म  िसफ़    इसिलए उलझे रहते ह   य िक उ ह  यह पता ही नह  होता िक
               संपि  और दािय व म   या फ़क़    होता है।

                     “अमीर लोग संपि  इकट् ठी करते ह । ग़रीब और म य वग य लोग दािय व इकट् ठे करते ह ,

               और मज़े क  बात यह है िक उन लोग  को यह लगता है िक वे संपि  इकट् ठी कर रहे ह ।”

                     जब अमीर डैडी ने माइक और मुझे यह बताया तो हमने सोचा िक वे मज़ाक़ कर रहे ह । हम
               दो ब चे अमीर बनने का रह य जानने क े  िलए इतने हैरान-परेशान थे जबिक उसका जवाब
               इतना आसान था। यह इतना  यादा आसान था िक हम  इस बात पर सोचने क े  िलए बह त देर तक
               ठहरना पड़ा।

                     “संपि   या होती है?” माइक ने पूछा।

                     “अभी उस बारे म  िचंता मत करो,” अमीर डैडी ने कहा। “अभी िसफ़    इस िवचार को अपने
               िदमाग़ म  घुस जाने दो। अगर तुम इसे आसानी से समझ सकते हो, तो तु हारी िज़ंदगी क  एक

               योजना होगी और तु ह  िज़ंदगी भर पैसे क  कभी िद क़त नह  आएगी। यह आसान है, इसीिलए
               इसे अनदेखा कर िदया जाता है।”

                     “आपका मतलब है िक हम  बस इतना ही जानने क  ज़ रत है िक संपि   या है, यह
               जानने क े  बाद हम उसे हािसल कर ल  और अमीर बन जाएँ?” म ने पूछा।

                     अमीर डैडी ने हामी भरी, “हाँ, यह इतना ही आसान है।”

                     “अगर यह इतना आसान है तो िफर हर आदमी अमीर  य  नह  बन जाता?” म ने पूछा।

                     अमीर डैडी मु कराए। “ य िक लोग संपि  और दािय व म  फ़क़    नह  कर पाते।”

                     मुझे याद है म ने पूछा था, “वय क लोग इतने मूख  क ै से हो सकते ह । अगर यह इतना

               आसान है और इतना मह वपूण  है तो हर कोई इसे जानना या खोजना  य  नह  चाहता?”

                     संपि  और दािय व  या होते ह , यह समझाने म  अमीर डैडी को बस क ु छ ही िमनट लगे।

                     बड़े लोग  को यह िनयम समझाने म  मुझे बह त किठनाई होती है।  य ?  य िक बड़े लोग
                यादा  माट  होते ह । म ने अ सर देखा है िक  यादातर लोग आसान िवचार  को नह  समझ पाते।
               इसका कारण यह है िक उनक  िश ा अलग तरह से ह ई है। उ ह  दूसरे  ोफ़ े शन स ने पढ़ाया है,
               जैसे ब कस , अकाउंट ट् स,  रयल ए टेट एज ट् स फ़ायन िशयल  लानस  इ यािद।  यादातर बड़े लोग
               क े  सामने मुि कल यह होती है िक उ ह  बह त क ु छ भूलना पड़ता है और एक बार िफर से ब चा
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