Page 68 - Rich Dad Poor Dad (Hindi)
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बनना पड़ता है। एक समझदार वय क को अ सर ऐसा लगता है िक आसान प रभाषाओं पर
यान देना मूख ता है।
अमीर डैडी KISS िस ांत म यक़ न करते थे– “Keep It Simple Stupid ”- (मूख , इसे
आसान ही रहने दो)। इसिलए वे हम दो छोटे ब च को सबक़ को आसान बनाते थे और इस तरह
उ ह ने हमारी पैसे क न व को यादा मज़बूत बना िदया।
तो िद क़त या उलझन िकस बात से आती है? या इतनी आसान चीज़ िकस तरह किठन
बन जाती है? कोई ऐसी संपि य ख़रीदता है जो असल म दािय व होती है। इसका जवाब हम
अपनी बुिनयादी िश ा म िमलता है।
हम ‘सा रता’ श द पर यान देते ह और ‘पैसे क सा रता’ को अनदेखा कर देते ह । कोई
व तु संपि है या दािय व, यह क ै से पता चलेगा। अगर आप सचमुच झंझट म फ ँ सना चाह तो इन
श द को िड शनरी म देख ल । म जानता ह ँ िक वहाँ दी ह ई प रभाषाएँ िकसी अकाउंट ट को
अ छी लगती ह गी, परंतु िद क़त यह है िक आम आदमी उ ह पूरी तरह से नह समझ पाता। िफर
भी, हम वय क लोग यह मानने म अपनी तौहीन समझते ह िक कोई चीज़ हम समझ म नह आ
रही है।
छोटे ब च को समझाते समय अमीर डैडी ने एक बार कहा था, “संपि को श द क े नह ,
अंक क े ारा पड़ा जाता है। और अगर आप अंक को नह पढ़ सकते तो आपको संपि और
ज़मीन म खुदे गड ् ढे म कोई फ़क़ महसूस नह होगा।”
“अकाउंिटंग म अंक मह वपूण नह ह , मह वपूण तो वह बात है जो अंक आपको बता रहे ह ।
यह श द क ही तरह है। श द मह वपूण नह होते, मह वपूण वह बात होती है जो श द क े
ज़ रए बताई जाती है।”
कई लोग पढ़ते ह , परंतु यादा समझ नह पाते। यह रीिडंग कॅ ाि हे शन या पढ़े ह ए को
समझने क क़ािबिलयत होती है। और इस े म हम सबक अलग-अलग क़ािबिलयत होती है।
उदाहरण क े िलए, म ने हाल ही म एक नया वी .सी .आर. ख़रीदा। इसक े साथ िनद श पुि तका भी
थी िजसम समझाया गया था िक अपने वी .सी .आर. को िकस तरह ो ाम िकया जाता है। म
शु वार क शाम को आने वाले अपने फ़ े व रट टीवी शो को रकॉड करना चाहता था। पर उस
िनद श पुि तका को पढ़ते-पढ़ते म पागल हो गया। मुझे दुिनया म कोई भी काम इतना मुि कल
नह लग रहा था िजतना िक अपने वी .सी .आर. को ो ाम करना। म श द को पढ़ सकता था
परंतु इसक े बावजूद मुझे समझ म क ु छ नह आ रहा था। मुझे श द को पहचानने म ‘ए’ िमल रहा
था, परंतु उ ह समझने म मुझे ‘एफ़’ िमल रहा था। और यही यादातर लोग क े साथ पैसे क े
मामले म होता है।
''अगर आप अमीर बनना चाहते ह , तो आपको अंक को पढ़ना और उ ह समझना आना
चािहए। ''म ने अपने अमीर डैडी से यह बात हजार बार सुनी है । और म ने यह भी सुना है, ''अमीर
लोग संपि इकट् ठी करते ह , जबिक ग़रीब और म य वग य लोग दािय व इकट् ठे करते ह ।''
यहाँ यह बताया जा रहा है िक संपि और दािय व म या फ़क़ होता है। यादातर अकाउंट ट