Page 184 - BEATS Secondary School
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कहािी



             कहािी                           सबको साथ लेकर चलें
             सबको साथ लेकर चलें
                                             पृथा दलाल, कक्षा 8
             पृथा दलाल, कक्षा 8



             सटदफयों क  मौसम थ । शसज़क्कम के  एक छोिे से ग ाँव में त बड़तोड़ बफफ  पड़ रही थी। मुन्नी और उसकी म ाँ
                                             सटदफयों क  मौसम थ । शसज़क्कम के  एक छोि
             आज ब ज र की ओर ननकले हैं। ब ज र पहाँचने के  शलए उनको शहरी इल के  में आन -ज न  करन  होत  थ  े से ग ाँव में त बड़तोड़ बफफ  पड़ रही थी। मुन्नी और उसकी म ाँ
                                                    ु
             जो उनके  घर से करीब आधे घांिे की दूरी पर थ । वे हफ्ते में एक ब र ब   र ज ते थे और आज तो बड़ी
                                             आज ब ज र की ओर ननकले हैं। ब ज र पहाँचने के  शलए उनको शहरी इल के  में आन -ज न  करन  होत  थ
                                                                                                          ु
             बफफ  पड़ी थी। मुन्नी को ब ज र ज ने क  बबल्क ु ल मन नहीां थ  मगर आज जब म ाँ ने उसको आलस पर एक
             लांब -चौड़  भ र्ण टदय  तो वह और ड ांि ख ने के  ल यक नहीां रही। उसने सोच  कक चलो कोई नहीां, आज के
                                             जो उनके  घर से करीब आधे घांिे की दूरी पर थ । वे हफ्ते में एक ब र ब   र ज ते थे और आज तो बड़ी
             शलए चली ज ती हाँ त कक कल मैं एक घांि  और सोने को म ाँग लूाँगी। ब ज र ज ते-ज ते मुन्नी ने देख  कक
                              ू
                                             बफफ  पड़ी थी। मुन्नी को ब ज र ज ने क  बबल्क ु ल मन नहीां थ  मगर आज जब म ाँ ने उसको आलस पर एक
             पूर  इल क  बफफ  की मोिी च दर से ढक  हआ थ । ठांडी-ठांडी हव  चल रही थी ज़जसके  शरीर को छ ू ते ही
                                                   ु
             लगत  जैसे वह अपने आप ही हमसे दोस्ती करने आ गई हो और प्य र की झप्पी देकर म नो ग ाँवव शसयों
                                             लांब -चौड़  भ र्ण टदय  तो वह और ड ांि ख ने के  ल यक नहीां रही। उसने सोच  कक चलो कोई नहीां, आज के
             को बत  रही हो कक लो मैं आ गई हाँ। पेड़ों पर एक भी पत्त  टदख ई नहीां दे रह  थ । पेड़ों पर शसफफ  बची थी
                                              ू
                                             शलए चली ज ती हाँ त कक कल मैं एक घांि  और सोने को म ाँग लूाँगी। ब ज र ज ते-ज ते मुन्नी ने देख  कक
             उनकी िहननय ाँ। ऊपर देखो तो सूर  टदख ई नहीां दे रह  थ । रुई जैसे ब दलों ने पूर  आसम न अपने आगोश
                                                                       ू
             में ले रख  थ । जब मुन्नी ने बफफ  ह थ में उठ ई तो उससे एकदम ठांडे-ठांडे प नी की बूांदें िपक रही थी।
                                             पूर  इल क  बफफ  की मोिी च दर से ढक  हआ थ । ठांडी-ठांडी हव  चल रही थी ज़जसके  शरीर को छ ू ते ही
                                                                                                         ु
             मुन्नी के  रोंगिे खड़े हो गए थे।
             क ु छ ही देर में मुन्नी और उसकी म ाँ ब ज र पहाँच गए। ब ज र में पहाँचते ही उसकी म ाँ ने जल्दी-जल्दी
                                             लगत  जैसे वह अपने आप ही हमसे दोस्ती करने आ गई हो और प्य र की झप्पी देकर म नो ग ाँवव शसयों
                                                        ु
                                                                           ु
             सब्जी और जो क ु छ भी घर क  स म न खरीदन  थ  वह खरीद  और दोनों घर की ओर चल टदए। अगले
                                             को बत  रही हो कक लो मैं आ गई हाँ। पेड़ों पर एक भी पत्त  टदख ई नहीां दे रह  थ । पेड़ों पर शसफफ  बची थी
                                                                                                 ू
             टदन सोमव र को जब वह स्क ू ल गई तो देख  कक कोई उससे ब त नहीां कर रह  थ । उसकी सबसे अच्छी
             दोस्त भी उससे ब त नहीां कर रही थी। मुन्नी ने सोच  कक ररय  मुझसे ब त क्यों नहीां कर रही है, आज तो
                                             उनकी िहननय ाँ। ऊपर देखो तो सूर  टदख ई नहीां दे रह  थ । रुई जैसे ब दलों ने पूर  आसम न अपने आगोश
             वह नई लड़की के  स थ ही ब त कर रही है। मुन्नी अके ले बैठी थी। उसको रोन  आ रह  थ । वह घर आई
                                             में ले रख  थ । जब मुन्नी ने बफफ  ह थ में उठ ई तो उससे एकदम ठांडे-ठांडे प नी की बूांदें िपक रही थी।
             तो देख  कक म ाँ ने उसक  मनपसांद हलव  बन य  थ । मीठी-मीठी सुगांध के  स थ क जू एवां ककशशमश की
             सुगांध भी आ रही थी। मुन्नी आर म से बैठकर हलव  ख ने लगी। दूसरी तरफ म ाँ बर मदे में बैठी हई च य
                                                                                                      ु
                                             मुन्नी के  रोंगिे खड़े हो गए थे।
             की चुस्की ले रही थी। वह म ाँ के  प स गई और कह , ‘म ां, आज स्क ू ल में क ु छ बहत बुर  हआ। आज ररय
                                                                                               ु
                                                                                       ु
                                             क ु छ ही देर में मुन्नी और उसकी म ाँ ब ज र पहाँच गए। ब ज र में पहाँचते ही उसकी म ाँ ने जल्दी-जल्दी
             ने मुझसे ब त तक नहीां की।’ म ाँ ने मुझे समझ ते हए कह  कक तुम जर  उधर देखो। उसने देख  कक एक          ु                              ु
                                                            ु
             गचडड़य  क  छोि  स  बच्च  उड़ने की कोशशश कर रह  थ  और उसकी म ाँ बच्चे को उड़ने में कोई मदद नहीां
                                             सब्जी और जो क ु छ भी घर क  स म न खरीदन  थ  वह खरीद  और दोनों घर की ओर चल टदए। अगले
             कर रही थी। मुन्नी ने कह , ‘उसकी म ाँ उसको मदद क्यों नहीां कर रही है म ां?

             म ाँ ने कह , ‘मुन्नी, क ु छ चीजों में शसख ने की जरूरत नहीां पड़ती। उड़न  हमें खुद ही सीखन  होग  और जब
                                             टदन सोमव र को जब वह स्क ू ल गई तो देख  कक कोई उससे ब त नहीां कर रह  थ । उसकी सबसे अच्छी
             हम उड़न  सीख ज एां तो कफर हमें दूसरों को भी सांभ लन  च टहए, उनकी मदद करनी च टहए। क्योंकक अगर
                                             दोस्त भी उससे ब त नहीां कर रही थी। मुन्नी ने सोच  कक ररय  मुझसे ब त क्यों नहीां कर रही है, आज तो
             हम उनको इस वक्त मदद करेंगे तो हम असल में उनकी मदद नहीां करेंगे। हो सकत  है कक वह हम री
             मदद से और भी अप टहज हो ज एाँ। क्य  पत  ररय  भी यही कर रही हो!
                                             वह नई लड़की के  स थ ही ब त कर रही है। मुन्नी अके ले बैठी थी। उसको रोन  आ रह  थ । वह घर आई
             ररय  को ब त समझ में आ गई।
                                             तो देख  कक म ाँ ने उसक  मनपसांद हलव  बन य  थ । मीठी-मीठी सुगांध के  स थ क जू एवां ककशशमश की


                                             सुगांध भी आ रही थी। मुन्नी आर म से बैठकर हलव  ख ने लगी। दूसरी तरफ म ाँ बर मदे में बैठी हई च य
                                                                                                                                                                                           ु


                                             की चुस्की ले रही थी। वह म ाँ के  प स गई और कह , ‘म ां, आज स्क ू ल में क ु छ बहत बुर  हआ। आज ररय
                                                                                                                                                                               ु
                                                                                                                                                                   ु

                                                                                                                        ु
                                             ने मुझसे ब त तक नहीां की।’ म ाँ ने मुझे समझ ते हए कह  कक तुम जर  उधर देखो। उसने देख  कक एक

                                             गचडड़य  क  छोि  स  बच्च  उड़ने की कोशशश कर रह  थ  और उसकी म ाँ बच्चे को उड़ने में कोई मदद नहीां


                                             कर रही थी। मुन्नी ने कह , ‘उसकी म ाँ उसको मदद क्यों नहीां कर रही है म ां?


                                             म ाँ ने कह , ‘मुन्नी, क ु छ चीजों में शसख ने की जरूरत नहीां पड़ती। उड़न  हमें खुद ही सीखन  होग  और जब



                                             हम उड़न  सीख ज एां तो कफर हमें दूसरों को भी सांभ लन  च टहए, उनकी मदद करनी च टहए। क्योंकक अगर
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