Page 51 - karmyogi
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" अिंत पथ "






                                                                                                                          िली िो र्िाल


                                                                                                                     अब किा बुझि को ि,
                                                                                                                                                  े
                                                                                                                                      ँ
                                                                                                                                                              ै
                                                                                                                         िलता यि िफर

                                                                                                                                                              ै
                                                                                                                                                  े
                                                                                                                     अब ििीं थर्ि को ि,
                                                                                                                    अिंत िाथ िैं िुड गए


                                                                                                                            िव निर्ामण क,
                                                                                                                                                       े

                                                                                                                         पंख लग अब तो
                                                                                                                                         े
                                                                                                                          उच्िाकांक्षाओं क
                                                                                                                                                        े

                                                                                                                                  उडाि क,
                                                                                                                                                 े
                                                                                                                           कदर्ों क नििां
                                                                                                                                           े

                                                                                                                                                                े
                                                                                                                              े
                                                                                                           क्षक्षनति क उि पर बुला रि िैं,
                                                                                                                थर् गई िंद िािें तो तया
                                                                                                                                              ँ
                                                                                                                                                                 े
                                                                                                          पविार अिंत पथ पर िा रि िैं।
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