Page 14 - Annadeepam Hindi Magazine Pratham Ank
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संपादक की कलम से............


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                       राजभार्ा हहंदी क कायाषन् वयि क नलए गत 70 साल से हो रही प्रयास तो काफी
                                        े
               सफल हुआ मगर इसक नलए नजतिा िकारात् मक प्रचार प्रसार हुआ उतिा सकारात् मक
                                                                                               े
                                                                                          े
               िहीं हो पाया। यह भी एक कारण हो सकता है कक राजभार्ा हहंदी क बार में जब कभी
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               भी िकारात् मक बातें होती है तो उस बात की खंिि क नलए खासकर हहंदी सेिानियों क
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               पास आवश् यक ज्ञाि प्राप् त ि हो।


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                                                                                                             े
                       हहंदी को लेकर हमेिा एक िकारात् मक सोच यह है कक हहंदी कवल हहंदी कदवस क
                                                                                          ं
               समय ही याद आती है और बाद में उसे एक पुरािे कपिे में बांर्कर ऊचे पर रख देते हैं।


                                                                                           े
                       खैर  बात  जो  भी  हो  इस  िकारात् मक  सोच  को  दूर  करिे  क  नलए  हहंदी  क
                                                                                                             े
               कायाषन् वयि  क  नलए  बुनियादी  स् तर  से  िुऱू  करिा  चानहए।  आर्ुनिक  युग  में  सूचिा
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               प्रौद्योनगकी को एक साथ लेकर चलते हुए दूसरी ओर कायाषलय क सभी अनर्कारी एवं
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               कमषचाररयों  को  हर  कदि  हहंदी  नसखािा  भी  नितांत  आवश् यक  है।  यानिकक  हर  नवभाग

                                                                                                             े
               अपिे-अपिे कायाषलय में अपिे-अपिे नवभाग से संबंनर्त कायषकलापों को हहंदी में करिे क
               नलए एक नवभागीय पाठ्यक्रम बिािे की आवश् यकता है। नजससे ि कवल सभी अनर्कारी
                                                                                        े
               एवं  कमषचाररयों  को  राजभार्ा  हहंदी  क  प्रनत  ज्ञाि  बढ़ेगा  बनल्क  अपिे  कायाषलय  से
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               कायषकलापों क बार में भी जािकारी हानसल होगी।
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                       हहंदी  में  काम  करिे  क  नलए  हहंदी  िब् द  भंिार  की  नितांत  आवश् यकता  है।  श् ब् द
                                                                                                          ु
               भंिार बढािे क नलए हहंदी गीत, हहंदी नसिेमा, हहंदी िािक, हहंदी समाचार पत्र से कछ
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               िब् दों को हर कदि िोि करिा चानहए।







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                                                                                  सहायक महाप्रबंर्क (हहंदी)

                                                                                            क्षे.का. अमरावती


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