Page 16 - Annadeepam Hindi Magazine Pratham Ank
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अन्‍नदीपम ‍  प्रथ ‍संस्‍करण ‍


                   ैं
                                                                                                            े
            काज‍ ‍हाथ‍बंटातप‍है‍।‍बहन‍बनकरण‍वह‍अमने‍भाई‍की‍दीपघाायु‍की‍का ना‍करणतप‍है‍।‍बहन‍अमने‍भाई‍क‍
                                                           ें
                                                                                              े
             ंगल य‍जपवन‍की‍का ना‍करणतप‍है‍।‍संतविान‍ ‍बेटप‍को‍तमता‍की‍संमति‍ ें‍भाईयों‍क‍स ान‍बरणाबरण‍
                                                                                    े
            का‍अतिकारणप‍बना‍ददीया‍है‍मरणन्तु‍शायदी‍हप‍कोई‍बहन‍है‍जो‍अमने‍अतिकारण‍क‍तलए‍लड़तप‍है‍।
                        े
                     ां‍क‍ऱूम‍ ें‍नारणप‍क‍त्याग‍औरण‍िैया‍की‍सप ा‍को‍दीेखा‍जा‍सकता‍है‍।‍नारणप‍दीया, क्ष ा,   ता‍
                                       े
            एवं‍करु ा‍की‍ र्ता‍है‍।‍वह‍उमांसुओं‍का‍स ुद्र‍मप‍जातप‍है‍औरण‍उफ‍तक‍नहीं‍करणतप‍।‍मतत‍एवं‍मत्नप‍
                            न
            त लकरण‍माररणवाररणक‍जपवन‍को‍स्वगा‍भप‍बना‍सकते‍हैं‍।‍नारणप‍घरण‍ ें‍रणहकरण‍जो‍काया‍करणतप‍है, उसकी‍
            की त‍नहीं‍लगाई‍जा‍सकतप‍।


                    नारणप‍नौकरणप‍भप‍करणतप‍है, बच्चे‍तथा‍मररणवारण‍को‍संभालतप‍है, घरण‍का‍का ‍भप‍करणतप‍है‍।‍ वय‍

                                                           ं
                                                                                          े
            युग‍ ें‍भारणतपय‍नारणप‍की‍प्रततष्ठा‍क ‍हो‍गई‍थप‍मरणतु‍स्वािपनता‍संग्रा ‍ ें‍नाररणयों‍क‍ हत्त्वमन ा‍योगदीान‍
                                                                                     े
            क‍कारण ‍उनकी‍प्रततष्ठा‍मुन‍:‍बढ़प‍‍।‍आज‍भारणतपय‍स ाज‍ ें‍नारणप‍को‍मुरुिों‍क‍स ान‍अतिकारण‍प्राप्त  हैं‍
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                                               े
            ।‍जपवय‍क‍सभप‍क्षेत्रों‍ ैं‍वह‍मुरुिों‍क‍साथ‍किे‍से‍किा‍त लाकरण‍का ‍करण‍रणहप‍है‍।‍आज‍अनेक‍उच्च‍मदीों‍
                                                             ं
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            मरण‍ तहलाएं‍अतसन‍हैं‍।
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                    दीहेज‍प्रथा, बाल-तववाह, सतप‍प्रथा‍तथा‍तविवाओं‍क‍प्रतत‍बुरणा‍व्यवहारण‍आज‍भप‍प्रचतलत‍है‍।‍
                                                         े
            नव‍विुओं‍को‍जलाने‍की‍एवं‍उन्हें‍आत् हत्या‍क‍तलए‍ जबनरण‍करणने‍की‍घटनाएं‍आज‍भप‍मढ़ने‍एवं‍सुनने‍
                                   े
            को‍त लतप‍हैं‍।‍इस‍सबक‍बावजनदी‍यददी‍दीेखा‍जाए‍तो‍नारणप‍की‍दीशा‍ ें‍बहुत‍सुिारण‍हुआ‍है‍वह‍अमने‍तमता‍
            या‍मतत‍मरण‍तनभारण‍नहीं‍है‍।‍वह‍मढ़-‍तलखकरण‍अमने‍मैरणों‍मरण‍खड़प‍है‍।

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                                                                                              टप.ज्योत्सना‍‍

                                                                                सहायक‍श्रे प-III (तकनपकी)
                                                                                      ंडल‍कायाालय, कननाल‍



                                           भारणत‍ ें‍युवकौशल‍तवकास


            कौशल‍तवकास‍क्या‍होता‍है:-



                                                                                                       े
                                                  े
                    कौशल‍तवकास‍से‍संबंि‍भारणत‍क‍युवाओं‍को‍तकनपकी‍ऱूम‍से‍हुनरण ंदी‍बनाना‍है।‍मढ़ाई‍क‍साथ‍
                      े
            साथ‍ उनक‍ अंदीरण‍ ऐसप‍ योग्यताओं‍ का‍ तवकास‍ करणना‍ है‍ तजससे‍ वे रणोजगारण‍ प्राप्त‍ करण सकते‍ हैं।‍ उनको‍
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            आर्थाक‍स्वतंत्रता‍प्राप्त‍हो।‍युवाओं‍क‍अंदीरण‍जब‍तक‍तकनपकी‍कौशल‍का‍तवकास‍नहीं‍होगा‍तब‍तक‍वे‍
            सहप‍तरणह‍से‍रणोजगारण‍नहीं‍प्राप्त‍करण‍माएंगे।‍कौशल‍होना‍बहुत‍आवश्यक‍है।


                    हुनरण ंदी‍युवा‍अमना‍खुदी‍का तबजनेस‍उधॎयोग‍शुऱू करणते‍हैं‍औरण‍तबजनेस ैन‍बन‍जाते‍हैं।‍इस ें‍ना‍
                ा
            तसफ‍वे‍अच्छा‍मैसा‍क ाते‍हैं‍बतल्क‍दीनसरण‍लोगों‍को‍रणोजगारण‍दीेकरण‍स ाज‍का‍उत्थान‍करणते‍हैं।‍भारणत‍
                                                    े



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