Page 20 - Annadeepam Hindi Magazine Pratham Ank
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अन्नदीपम प्रथ संस्करण
मप.सुजाता
प्रबंिक(गु.तन)
डंलकायाालय, कादकनाडा
घ ंडपबरणगदी
एकजंगल बहुततवशालबरणगदीकामेडाथा।तालाबकदकनारणकईझात डयाूँउगआईथीं।जब
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भपतेजहवाचलतपतोबरणगदीकामेड़शानसेसपिाखडारणहताऔरणउसकीशाखाएंआस ानकतरणफ
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उठींरणहतीं।मरणन्तुतेजहवासेदकनारणउगपझातडयबतबलकलझुकजातीं।
एकददीनबरणगदीगवासेबोला–हेझातडयों, तुम्हेंतोवाकईरणोनाचातहए।हल्कीसपहवाभपतुम्हें
झुकादीेतपदीेतपहै। ुझेदीेखो, ैंताकतवरणबरणगदीह ेशातसरणउठाएखाडा रणहताहुूँ।बरणगदीकीघ ंडभरणप
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बातेंसुनकरणझात डयबबोलीं–हेबरणगदीभाई, ह ारणतलएतुम्हेंइतनादीुखपहोनेकीआवशकतानहींहै।
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तेजहवाह ारणाबालभपबांकानहींकरणमातपक्योंदकह उसकआगेझुकजातपहैंइसतलएटटतपनहींहैं।
मरणन्तुअबतुम्हारणाअंततनकटहै।
थोडप हपदीेरण ेंतनफानआनेलगाऔरणते ज-ते जहवाऍंचलनेलगीं।ह ेशाकीतरणहखडा बरणगदी
जड़सेउखड़गयाऔरणज़ पनमरणतगरणगयामरणन्तुझात डयबतनफानपहवाओंकसा नेझुकग औऔरणबचग औ।
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व्याया कलाभ
स्वस्थ तस्तष्कसदीैवस्वस्थशरणपरण ेंहपहोताहै।संसारण ेंप्रत्येक हामुरुिनेस्वास््य
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को हप ानवपय सुंदीरणता का ुख्य लक्ष ाना है । तंदीुरुस्तप माने क तलए व्याया आवश्यक है।
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तनय मनवाकअमतनतस्थततऔरणशतिकअनुसारणत लनेवालेस यकअनुसारणव्याया करणतेरणहनेवाला
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व्यतिजपवनकासच्चारणस,वास्ततवकआनंदीअवश्यमालेताहै।व्याया करणनेकाएकलाभस्वास््यरणक्षा
औरणशरणपरणकोतनयत त-स्वस्थबनाएरणखनातोहपहै,व्याया करणनेवालाह ेशाप्रसन्नहपरणहताहै।
प्रसन्नताउसकीएकबहुतबड़पऔरण हत्वमन ाउमलतब्िकहपजासकतपहै।व्याया आदी पको
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क जोरणऔरणतचड़तचड़ानहींहोनेदीेता।सबतरणहकरणोगोंसेभपतनयत तव्याया करणनेवालाव्यतिबचा
रणहताहै।
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व्याया कईप्रकारणकहोतेहैं।तरणहतरणहकखेलखेलना,दींड-बैठकमेलना,दीौड़लगाना,कबड्डप
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खेलना,कश्तपलड़ना,योगाभ्यासयाआसनकरणना,तैरणना,नृत्यकरणना,एवंनौकायानआददीसभपव्याया
हपतोहै।प्रातःकालखुलेस्थानमरणभ्र करणना,जोरण-जोरणसेखुलपसांसलेनाभपव्याया है।
दीो-चारणदकलो पटरणतकथोड़ातेज-तेजचलनेसेभपएकतरणहकाव्याया होजायाकरणताहैयहप
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कारण है दक कछ लोग सुबह कायाालय जाते स य घरण से कछ महले हप तनकल मड़ते हैं औरण दीो-चारण
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दकलो पटरणमैदीलचलनेकबादीहपबसआददीमरणसवारणहुआकरणतेहैं।
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