Page 21 - Annadeepam Hindi Magazine Pratham Ank
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अन्नदीपम प्रथ संस्करण
व्याया आदी पचाहेदकसपभपप्रकारणकाक्योंनकरण,उसकतलएस्थानअवश्यहपउतचतहोना
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चातहए।ऐसास्थानयददीखुलाहरणा-भरणासाफ-सुथरणाहोतोक्याकहना?वास्तव ,व्याया कतलएभप
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उमयुिस्थानहोनाचातहए।बंदीऔरणगंदीेस्थानमरणघुटनेभरणवातावरण ेंव्याया करणनेसेलाभक े
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स्थानमरणउल्टहातनहोसकतपहै।
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कईप्रकारणकरणोगोंकातशकारणहोनामड़सकताहै।इसतलएयहआवश्यकहैदकउतचतऔरणखुले
स्थानमरणहपव्याया दकयाजाए।हरण-भरणखुले ैदीान,नदीपकादकनारणा,कोईमाक,वन-उमवनयादफरण
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दीनरणतस्थतखेतोंकहरण-भरणमेड़भपव्याया कतलएउमयुिस्थल ानेजासकतेहै।
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पी.गरु प्रसाद पी.श्रीदवी
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मप.श्रपदीेवप
श्रपमप.गुऱूप्रसादी द्वि.श्र.सहार्क’(द्विपो)
प्रबधक(सचलन),
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प्रबंिक(संचालन) स.श्रे-।।(तडमो)
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म.का., नल्लर
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क्ष.कार्ालर्, अमरावती
क्षे.कायाालय, अ रणवतप डंलकायाालय,नेल्लनरण
ईश–वन्दना बच्चे
ह सबबालकहैंनादीान। नन्हें– ुन्नेबच्चेह ।
तवनतपकरणनेहेभगवान।
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भारणत बकीह संतान। सपि-सादीे, भोलेह ।
करणोह ारणासदीाकल्या । भेदी-भावसेसदीाहैंडरणते।
मढ़तलखकरणह बने हान। झगडा –रणगडा कभपनकरणते।
करणसदीाह सबकासम् ान। जयतहन्दीकाह बोलेंबोल।
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सदीातवचारणकादीोह ेंवरणदीान।। सबक न ेंत श्रपघोल।
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कदी त लाकरणसाथह चलते।
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रहसदाहमसबसआग।।
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