Page 24 - Annadeepam Hindi Magazine Pratham Ank
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अन्‍नदीपम ‍  प्रथ ‍संस्‍करण ‍


                                                                                             े
                                                                                            क.‍लक्ष् प‍अनुम ा
                                                                                             प्रबंिक‍(स ान्य)
                                                                                 ंडल‍कायाालय‍:ताडेमतल्लगुडे ‍‍




                                     आिुतनक‍जपवन‍ ें‍योग‍का‍ हत्व

                                                                            ें
                       योग‍सबसे‍अच्छा‍यह‍तसखाता‍है‍दक‍‍ह ‍वता ान‍मरण‍वयान‍कदद्रत‍करण‍सकते‍हैं।‍हाल‍हप‍क‍अवययनों‍
                                                                                                    े
                ें, यह‍माया‍गया‍है‍दक‍हरण‍ददीन‍योग‍का‍अभ्यास‍करणने‍से‍ह ारण‍आईक्यन‍औरण‍ े ोरणप‍ ें‍सुिारण‍होता‍है।‍हरण‍
                                                                       े
               ददीन‍ह ारणा‍वयान‍सेल‍फोन, लैमटॉम, टपवप‍औरण‍सा ातजक‍ ावय ों‍से‍नष्‍ट‍होता‍हैं‍।‍लेदकन‍योग‍वता ान‍
               स य‍ ें‍ह ारणप‍जागऱूकता‍ला‍सकता‍है‍औरण‍ह ारणप‍एकाग्रता‍ ें‍सुिारण‍लाने‍ ें‍ दीदी‍करण‍सकता‍है.
                       शहरणवातसयों‍क‍तलए‍योग‍जादीन‍की‍तरणह‍का ‍करणता‍है।‍योग‍क‍तनयत त‍अभ्यास‍से‍स न्वय‍औरण‍
                                                                              े
                                    े
               प्रततदिया‍स य‍ ें‍सुिारण‍हो‍सकता‍है‍औरण‍उन्हें‍अमने‍व्यस्त‍कायाि ‍क‍साथ‍ दीदी‍त ल‍सकतप‍है।‍यह‍उनकी‍
                                                                            े
               एकाग्रता‍ ें‍भप‍सुिारण‍ला‍सकता‍है‍।‍‍औरण‍उन्हें‍अमने‍तवचारणों‍से‍क ‍तवचतलत‍होने‍ ें‍ दीदी‍करणता‍है।यह‍
               हृदीय‍गतत‍औरण‍रणिचाम‍को‍क ‍करणता‍है।
               योग‍से‍शरणपरण‍ जबनत‍होता‍है।‍डॉक्टरण‍इन‍ददीनों‍अमने‍रणोतगयों‍को‍दीैतनक‍आिारण‍मरण‍योग‍करणने‍का‍सुझाव‍दीेते‍

                            े
               हैं।‍उदीाहरण ‍क‍तलए, नई‍ ाताओं‍क‍तलए, योग‍आवश्यक‍है।‍योग‍उनक‍शरणपरण‍को‍ जबनत‍बनाने‍ ें‍ दीदी‍
                                                                               े
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                                                                             े
                                                                        े
               करणता‍है‍औरण‍उन्हें‍वामस‍आकारण‍ ें‍लाने‍ ें‍ दीदी‍करणता‍है।‍इसक‍मपछ‍कारण ‍है, योग‍ ें‍बहुत‍सारण‍स्ट्रलचंग‍
                                                                                                         े
                                                                                                      े
               व्याया ‍शात ल‍हैं।‍यहां‍तक‍दक‍यह‍कल‍शरणपरण‍की‍कसरणत‍है, यह‍एक‍क ‍प्रभाव‍वाला‍व्याया ‍है।
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                       ह ‍40‍क‍आसमास‍ ांसमेतशयों‍को‍खोना‍शुऱू‍करणते‍हैं‍औरण‍50‍तक‍प्रदिया‍कवल‍तेज‍हो‍जातप‍है।‍
               यददी‍ह ‍अमनप‍ ांसमेतशयों‍को‍व्याया ‍करणने‍क‍तलए‍कछ‍भप‍नहीं‍करणते‍हैं, तो‍ह ‍कवल‍क जोरण‍होंगे‍औरण‍
                                                         े
                                                                ु
                                                                                         े
               अमने‍जपवन‍ ें‍स्वतंत्रता‍को‍खो‍दीेंगे।‍लेदकन‍योग‍क‍तलए‍िन्यवादी, ह ‍इस‍प्रदिया‍को‍रणोक‍सकते‍हैं।‍योग‍ ‍ ें
                                                           े
               व्याया ‍का‍एक‍सेट‍शात ल‍होता‍है‍जहाूँ‍आम‍लगातारण‍तवतभन्न‍तस्थततयों‍ ें‍संि  ‍करणते‍हैं।‍ऐसा‍करणने‍से,
                                                                   े
                                                            े
                                                                                                       ें
                                                                                      ें
               ह ‍अमने‍ ांसमेतशयों‍को‍चुनौतप‍दीेते‍हैं‍दक‍वे‍ह ारण‍शरणपरण‍क‍वजन‍का‍स थान‍करण‍औरण‍इसे‍ जबनत‍करण।‍योग‍
               का‍तनयत त‍अभ्यास‍ ांसमेतशयों‍को‍टोन‍करणता‍है‍औरण‍ह ें‍अतिक‍आकिाक‍ददीखने‍ ें‍ दीदी‍करणता‍है।
                                                                              ु
                                                                                                   े
                       ह ारणा‍व्यस्त‍जपवन‍ह ‍लचंता, क ‍ऊजाा‍स्तरण‍या‍यहां‍तक‍दक‍कछ‍ ा लों‍ ें‍अवसादी‍क‍ ावय ‍से‍
                                           ें
                    े
                                                                                           े
               ह ारण‍का ‍औरण‍व्यतिगत‍जपवन‍को‍संतुतलत‍करणने‍क‍तलए‍बनाता‍है।‍ऐसे‍ ें‍योग‍ह ारण‍जपवन‍ ें‍शांतत‍औरण‍
                                                             े
                न‍की‍शांतत‍ला‍सकता‍है।‍आिुतनक‍जपवन‍ ें‍योग‍क‍ हत्व‍ ें‍से‍एक‍यह‍ह ारण‍अतस्थरण‍ऊजाा‍स्तरण‍को‍शांत‍
                                                                                     े
                                                              े
               करणने‍ ें‍ दीदी‍करणता‍है।‍
                       आिुतनक‍जपवन‍ ें‍योग‍का‍एक‍औरण‍ हत्व‍यह‍है‍दक‍यह‍ह ें‍अतिक‍लचपला‍शरणपरण‍बनाने‍ ें‍ दीदी‍
                                                                                                            े
                                े
               करणता‍है‍औरण‍इसक‍मररण ा स्वऱूम, ह ारणा‍जपवन‍थोड़ा‍अतिक‍प्रबंिनपय‍हो‍जाता‍है।‍अक्सरण‍ह ‍घुटने‍क‍
                                                                                           े
                                                                                                       े
               जोड़ों‍क‍दीदीा‍से‍मपतड़त‍होते‍हैं।‍क्योंदक‍यह‍टाईट‍कल्हों‍जांघ‍औरण‍लमंडलप‍की‍हतड्डयों‍क‍अनुतचत‍संरणख ‍क‍
                                                                                                            े
                      े
                                                            न
               कारण ‍घुटने‍क‍जोड़‍को‍तनाव‍दीेता‍है।‍एक‍औरण‍असुतविा‍तब‍होतप‍है‍जब‍ ांसमेतशयों‍की‍अनैतच्छकता‍मपठ‍
                            े
               दीदीा‍ औरण‍ खरणाब‍  ुद्रा‍ होतप‍ है।‍ टाईट‍ है लस्ट्रग‍ रणपढ़‍ को‍ समाट‍ करणता‍ है‍ औरण‍ मपठ‍ दीदीा‍ का‍ कारण ‍ बनता‍ है।‍
                                                      ं
                                            ें
                ांसमेतशयों‍औरण‍संयोजप‍ऊतक‍ ‍संवेदीनशपलता‍खरणाब‍ ुद्रा‍का‍कारण ‍बनतप‍है।इस‍प्रकारण‍आिुतनक‍जपवन‍ ‍ ें
               योग‍का‍ हत्व‍अंतहपन‍है।



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