Page 26 - Annadeepam Hindi Magazine Pratham Ank
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अन्नदीपम प्रथ संस्करण
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जाताहै।वस्तुतःई ानदीारणपएकऐसागु हैजोइसज्ञानकउतचतप्रयोगकोसुतनतश्चतकरणतपहै।
उदीाहरण कतलयेज्ञानसेयुिएकअतिकारणपई ानदीारणपकअभाव ेंभ्रष्टहोकरणसंमन ास ाजका
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नुकसानकरणसकता है।इसकअलावाई ानदीारणप सेरणतहतएकज्ञानपव्यतिअमने ज्ञानकाप्रयोग
स ाजकोनुकसानमहुूँचानेकतलयेभपकरणसकताहै।
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सन ेंई ानदीारणप
सा ातजक न्याय की प्रातप्त तथा प्रशासन ें दीक्षता क तलये शासन व्यवस्था ें ई ानदीारणप
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अतनवायाहोतपहै।जानकारण ानतेहैंदकशासन ेंई ानदीारणपकीउमतस्थततकतलयेप्रभावपकाननन,
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तनय , तवतनय आददीकी आवश्यकताहोतपहै।साथहपयहभपआवश्यक हैदकइनकाअनुमालन
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प्रभावपतरणपकसेकरणायाजाए।मारणदीर्शातातथाउिरणदीातयत्वजैसेगु शासन ेंई ानदीारणपकोबढ़ाने
ेंसहायक ानेजातेहैं।‘सनचनाकाअतिकारणअतितनय ’ जैसेकदी ोंद्वारणामारणदीर्शातातथा‘तसटपज़न
चाटरण’ व ‘सवोि ॉडल’ जैसे कदी ों ने उिरणदीातयत्व की भावना को ज़बनत करणने ें हत्त्वमन ा
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भनत कातनभाईहै।जहाूँएकओरणई ानदीारणपआंतररणकऱूमसेअनुशासनसेसंबंतितहोतपहैवहींभारणत
ेंलोकजपवनसेअनुशासनददीन-प्रततददीनक होताजारणहाहै।मतश्च पदीेशों ेंव्यतिउच्चमदीोंमरण
महुूँचनकसाथहपकानननकप्रततसम् ानकाभावतवकतसतकरणलतेहैंऔरणशासनवगाभपकानननोंका
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मालनई ानदीारणपवअनुशासनकसाथकरणताहै।मरणतुभारणत ेंअतिक-से-अतिकशतिकासंकन्द्र
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इसत्यकासनचकहोतपहैदकवहदकससप ातककानननसेमरणजाकरणक करणसकताहै।
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शासनतथाई ानदीारणपकदीाशातनकआिारण
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शासनतथाई ानदीारणपकाआिारणमारणमररणकदीशानतथारणाजनपततकदीशानदीोनों ेंदीेखाजासकताहै।
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प्लेटो, अरणस्तनऔरणहपगलजैसेकईदीाशातनकोंनेशासनतथाई ानदीारणपकातववेचनदकयाहै।
अरणस्तन:
अरणस्तनकअनुसारण, “रणाज्यहपव्यतिकोव्यतिबनाताहै।” इसकथनकाभावयहहैदकरणाज्य
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अमनप लप्रकतत ेंहपनैततकसंस्थाहैऔरणकोईभपनैततकसंस्थाबेई ानपकआिारणमरणनहींचल
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सकतप।अरणस्तनकअनुसारण, रणाज्यअतस्तत्त्व ेंइसतलयेआयाथादक नुष्यकाजपवनसुरणतक्षतरणहे
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ककतुयहतनरणतरणइसतलयेचलाक्योंदकयह नुष्योंकजपवनकोबेहतरणबनाताहै।
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श्रप द्भगवद्गपता:
गपता का बल स्वि ा मालन मरण है। रणाजा का ि ा तबना स्वाथा क ई ानदीारणप से रणाज-काज का
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संचालनकरणनाहै।अतःरणाज्यवप्रशासन ेंई ानदीारणपअतनवायाहै।
“कोईभपप्रतसतद्धई ानदीारणपतजतनपस ृद्धनहींहोतप”
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