Page 31 - Annadeepam Hindi Magazine Pratham Ank
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अन्‍नदीपम ‍  प्रथ ‍संस्‍करण ‍


                                                                           ं
               जाता‍है‍दक‍जब‍अमने‍अनवरणत‍अवयवसाय‍से‍तनखरणा‍उनका‍रणग-ऱूम‍दीेखकरण‍प्राय‍दींग‍रणह‍जाना‍
                                                              े
               मड़ता‍है।‍इससे‍साफ‍प्रकट‍है‍दक‍तवश्व‍ ें‍जो‍आग‍बढ़ते‍हैं‍दकसप‍क्षत्र‍ ें‍प्रगतत‍औरण‍तवकास‍दकया‍
                                                                               े
                                                                                   े
               करणते‍हैं, वे‍दकसप‍अन्य‍लोक‍क े‍प्रा प‍न‍होकरण‍इस‍ह ारणप‍िरणतप‍क े‍ह ारण‍हप‍आस-मास‍क े‍लोग‍हुआ‍
               करणते‍हैं।‍बस, अंतरण‍यह‍होता‍है‍दक‍वे‍एक-दीो‍बारण‍की‍हारण‍या‍असफलता‍से‍तनरणाश‍एंवा‍चुम‍होकरण‍

               नहीं‍बैठ‍जाया‍करणते।‍बतल्क‍तनरणतरण, उन‍हारणों-असफलताओं‍से‍टकरणाते‍हैं‍औरण‍एक‍ददीन‍उनकी‍चनरण-
                                             ं
               चनरण‍करण‍तवजय‍या‍असफलता‍क े‍लसंहासन‍मरण‍आऱूढ़‍ददीखाई‍दीेकरण‍सभप‍को ‍ चदकत-तवतस् त‍करण‍
                                                                                       ‍
               ददीया‍करणते‍हैं।‍साथ‍हप‍यह‍भप‍स्मष्ट‍करण‍दीेते‍हैं, अमने‍व्यवहारण‍औरण‍असफलता‍से‍दक‍वास्तव‍ ें‍

               संकल्मवान‍व्यति‍क े‍शब्दीकोश‍से‍असंभव‍ना ‍का‍कोई‍शब्दी‍नहीं‍हुआ‍करणता।


               ‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍इसतलए‍  नुष्य‍ को‍ कभप‍ भप-दकसप‍ भप‍ तस्थतत‍  ें‍ हारण‍  ानकरण,  तनरणाश‍ होकरण‍ नहीं‍ बैठ‍
               जाना‍चातहए।‍अमने‍अवयवसाय-ऱूमप‍रणस्सप‍को‍स य‍की‍तशला‍मरण‍तनरणतरण‍रणगड़ते‍रणहना‍चातहए।‍
                                                                                   ं
               तब‍तक‍तनरणतरण‍ऐसे‍करणते‍रणहना‍चातहए‍दक‍जब‍तक‍क ‍की‍रणस्सप‍की‍तवघ्न-बािा‍या‍असफलता‍की‍
                           ं
                                                                    ा
               तशला‍मरण‍तघसकरण‍उनकी‍सफलता‍का‍तचन्ह‍स्मष्ट‍न‍झलकने‍लगे।‍ ानव, प्रगतत‍का‍इततहास‍गवाह‍

               है‍दक‍आज‍तक‍जाने‍दकतनप‍तशलाओं‍को‍अमने‍तनरणतरण‍अभ्यास‍से‍तघसते‍आकरण, बफ‍की‍दकतनप‍
                                                                 ं
                                                                                                ा
               दीपवारण‍तमघलाकरण‍वह‍आज‍की‍उन्नत‍दीशा‍ ें‍महुंच‍माया‍है।‍यददी‍वह‍हारण‍ ानकरण‍या‍एक-दीो‍बारण‍
                     ें
               की‍असफलता‍से‍हप‍घबरणाकरण‍तनरणाश‍बैठ‍रणहता, तो‍अभप‍तक‍आददी काल‍की‍अंिेरणप‍गुफाओं‍औरण‍
                                                      े
                                                  े
               बपहड़‍वनों‍ ें‍हप‍भटक‍रणहा‍होता।‍लदकन‍यह‍न‍तब‍संभव‍था‍औरण‍प्राप्त‍तस्थतत‍मरण‍हप‍संतुष्ट‍होकरण‍
               बैठ‍रणहना‍न‍आज‍हप‍ ानव‍क े‍तलए‍संभव‍है।
                  े
                                                          िन्यवादी

                                                   जय‍तहन्दी‍।‍जय‍भारणत‍।




                                                                                       े


                                                                                  प्यार   पापा



                                                                                ेरण प्यारण प्यारण मामा

                                                                                            े
                                                                                  े
                                                                                       े
                                                                                ेरण ददील  ें रणहते मामा !!
                                                                                े
                                                                               ेरणप छोटप सप खुशप कतलए
                                                                                                े
                                                                              सब कुछ सह जाते हैं मामा !!
                       ‍‍‍‍‍‍‍‍‍सान्वपक ारणप
                                    ु
                                    ु
                   मुत्रप – श्रप संतोि क ारण,                                 मनरणप करणते हरण  ेरणप इच्छा
                                                                               े

                    सहायकश्रे प II (लेखा),                                 उनक जैसा नहीं कोई अच्छा !!
                                                                                                   े
                                                                               म् प  ेरणप जब भप डांट
                  ‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍क्षे.का,अ रणावतप                                   ुझे दीुलारणते  ेरण मामा
                                                                                             े
                                                                                ेरण प्यारण प्यारण मामा
                                                                                            े
                                                                                  े
                                                                                       े
                                                                              ेरण ददील  ें रणहते मामा !!
                                                                                े

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