Page 36 - Annadeepam Hindi Magazine Pratham Ank
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अन्‍नदीपम ‍  प्रथ ‍संस्‍करण ‍


                                                                           ें
                                                                                        े
                       इसपतलए ह ारणा फजा है क े ह  लड़दकयों का सम् ान करण , उनको आग बढ़ाएं तजतनप ख़ुशप
               बेट क े जन्  क े स य ख़ुशप  नाई जातप है, उतनप हप ख़ुशप ह  बेटप क े जन्  क े स य भप  नानप
                  े
                                                                           ें
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               चातहए। ह  बेटा -बेटप वाला अंतरण त टाना होगा। यह अन ोल खजाना हरण दकसप को नहीं त लता।
                                                ्
               हरण तमता को बेटप नहीं त लतप लेदकन बेटप को तमता जऱूरण त ल जाता है, चाहे वह ससुरणाल घरण  ें
               जाकरण त ले। बेटप से हप बहन मलप,  ा इत्याददी ररणश्ते बनते हैं। ह ारण घरण  ें अगरण बेटप नहीं है तो बहु
                                                   ूँ
                                                                              े
               को हप बेटप स झना चातहए , वैसा हप आदीरण ,  ान सत्कारण होना चातहए औरण बेटप को भप अमने

               सास -ससुरण को  ाता -तमता क े सम् ान स झना चातहए।


                       एक बेटप को जो संस्कारण अमने बचमन  ें ददीए जाते हैं वो संस्कारणों को लेकरण वह अगल घरण
                                                                                                       े
                                                                                ं
               भप जातप है  अच्छप तरणह से तनभातप है, इसपतलए कहते हैं क े बेरटया सब की प्यारणप होतप हैं। एक
               नाजुक कलप की तरणह होतप हैं बस उनको संभाल करण रणखने की जऱूरणत होतप है तादक वह अमनप
                          ै
               खुशबु को फ़लातप रणहे।

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                                                                                            प्रबंिक(सा ान्य)‍
                                                                                           ं
                                                                                     स्थानात ‍तेलांगना‍क्षेत्र‍

                               ‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍फरण‍फरण‍फरण‍उड़प‍मतंग


                        फरण‍फरण‍‍फरण‍मरण‍उड़प‍मतंग                        हवा‍की‍गाड़प‍मे‍चढ़‍भागप

                         वो‍दीेखो‍वो‍आस ान‍तक                              डोरण‍लगा ‍से‍य ते‍अग
                        सरण‍सरण‍सरण‍सरण‍चढ़प‍मतंग

                                                                           ढपल‍अभप‍दीे‍दीेना‍उसको

                                 े
                       तचतड़यों‍क‍संग‍तचतड़यों‍जैसप                          खींचा‍तो‍कट‍गई‍मतंग
                              ु
                        फ़रण‍फ़रण‍फ़रण‍उड़‍रणहप‍मतंग
                          ु
                                   ु
                                                                        इिरण-उिरण‍उड़‍ दी ातप‍–‍सप

                         उससे‍त लने‍चलप‍मतंग                               कहाूँ‍न‍जाने‍तगरणप‍मतंग

                        बादील‍से‍महचान‍है‍उसकी                           आस ान‍की‍सैरण‍को‍तनकलप
                                                                            ऊचप‍ऊचप‍चढ़प‍मतंग
                                                                              ूँ
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