Page 22 - Annadeepam Hindi Magazine Pratham Ank
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अन्‍नदीपम ‍  प्रथ ‍संस्‍करण ‍




                                                                                           क.‍तन ाला‍क ाररण‍
                                                                                                      ु
                                                                                            े
                                                                                              प्रबंिक‍(गु.तन)
                                                                                                          न
                                                                                        ंडल‍कायाालय‍:‍गुंटरण


                                              रणाष्ट्भािा‍-प्यारणप‍“लहंदीप”


                                                   े
               ‍‍‍‍‍‍‍‍‍लहंदीप‍ वह‍ भािा‍ जो‍ दकसप‍ भप‍ दीेश‍ क‍अतिकतरण‍ तनवातसयों‍ द्वारणा‍ बोलप‍ एवं‍ स झप‍ जातप‍ है, वह‍ रणाष्ट्भािा‍
                                                                                                           े
                                                                    े
               कहलातप‍है| प्रत्येक‍रणाष्ट्‍की‍‍कोई‍रणाष्ट्भािा‍अवश्य‍होतप‍है‍| ह ारण‍दीेश‍भारणत‍की‍रणाष्ट्भािा‍लहंदीप‍है‍जो‍दक‍भारणत‍क‍
                               े
               अतिकतरण‍रणाज्यों‍क‍लोगों‍द्वारणा‍बोलप‍एवं‍स झप‍जातप‍है| दीेश‍की‍रणाष्ट्भािा‍का‍सम् ान‍करणना‍प्रत्येक‍व्यति‍का‍
               कताव्य‍होतप‍है‍|
               ‍‍‍‍‍‍‍‍‍भारणत‍ ें‍संवैितनक‍ऱूम‍से‍बाईस‍भािाओं‍को‍ ान्यता‍दीप‍गई‍है‍मरणन्तु‍लहंदीप‍ऐसप‍भािा‍है‍जो‍सम्मन ा‍दीेश‍को‍
               आमस‍ ें‍जुड़ने‍ ें‍सहयोग‍दीेतप‍है‍| स्वतंत्रता‍से‍मनवा‍भप‍भारणतपयों‍को‍लहंदीप‍ने‍जोड़‍रणखा‍| सभप‍स्वतंत्रता‍सेनातनयों‍जैसे‍
                                                                               े
                हात् ा‍गांिप, सुभाि‍चन्द्र‍बोस, वल्लाभई‍मटल, लाल‍बहादीुरण‍शास्त्प, लाला‍लजमत‍रणाय, जवाहरणलाल‍नेहरु‍आददी‍ने‍
                                                    े
                                                                                                           े
                                                                    े
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                                                                                                     े
               लहंदीप‍को‍सशि‍भािा‍क‍ऱूम‍ ें‍स्वपकारण‍दकया‍| स्वतंत्रता‍प्राप्तप‍क‍मश्चात‍संमन ा‍भारणत‍को‍एक‍सनत्र‍ ें‍जोड़‍रणकने‍क‍
               तलए‍एक‍सशि‍भािा‍की‍आवश्यकता‍ हसनस‍हुई‍|
                                 े
               ‍‍‍‍‍‍‍‍‍अंग्रेजप‍भािा‍क‍स थाकों‍ने‍यह‍चाहा‍दक‍अंग्रेजप‍हप‍भारणत‍की‍रणाष्ट्भािा‍बनप‍रणहे‍| मरणन्तु‍तवचारण-‍तव शा‍क‍
                                                                                                           े
                                                     े
               मश्चात‍इस‍तन ाय‍मरण‍महुंचे‍दक‍अंग्रेजप‍कवल‍मढ़-तलखे‍स ाज‍द्वारणा‍‍हप‍प्रयोग‍ ें‍लायप‍जातप‍थप, इसतलए‍अंग्रेज़प‍को‍
                                               े
               रणाष्ट्भािा‍का‍दीजाा‍नहीं‍ददीया‍जा‍सकता‍था‍| दीनसरणा‍कारण ‍यह‍भप‍था‍दक‍भारणतपय‍दीो‍सौ‍से‍भप‍अतिक‍विों‍तक‍
                                                                  े
               अंग्रेजों‍द्वारणा‍सताए‍गए, वे‍उन‍अंग्रेजों‍की‍भािा‍को‍रणाष्ट्‍भािा‍क‍ऱूम‍ ें‍स्वपकारण‍नहीं‍करणना‍चाहते‍थे‍|
                                                      े
                                                                                                     े
                                                           े
               ‍‍‍‍‍‍‍‍‍अतः‍14 तसतम्बरण‍1949‍को‍संतविान‍क‍अनुछदी‍343‍क‍अनुसारण‍लहंदीप‍को‍भारणत‍की‍रणाजभािा‍क‍ऱूम‍ ें‍
                                                                   े
               स्वपकारण‍दकया‍गया‍| इसतलए‍प्रततविा‍14‍तसतम्बरण‍का‍ददीन‍लहंदीप‍ददीवस‍क‍ऱूम‍ ें‍ नाया‍जाता‍है‍| भारणतविा‍ ें‍लहंदीप‍
                                                                         े
                                                 ं
               से‍सम्बंतित‍अनेक‍प्रकारण‍की‍प्रततयोतगताए, कतव‍सम् लेन‍करणवाए‍जाते‍है‍| आजादीप‍क‍बादी‍भप‍भारणत‍दीेश‍ ें‍अंग्रेजप‍
                                                                                    े
                       न
               फलतप‍फलतप‍रणहप‍मरणन्तु‍दीेशवातसयों‍को‍यह‍ ंजनरण‍न‍था‍ | लहंदीप‍को‍जो‍अतिकारण‍त लना‍चातहए‍था‍वह‍उसकी‍
               अतिकाररण प‍नहीं‍बन‍मायप‍| आज‍भप‍बोलने‍वाले‍को‍हप‍ ान्यता‍दीप‍जातप‍है‍|
               ‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍अमनप‍रणाष्ट्‍भािा‍ ें‍हप‍बातचपत‍करणना‍है‍| जो‍अंग्रेज़प‍नहीं‍जानते‍उसे‍हपन‍दीृष्टप‍से‍दीेखा‍जा‍रणहा‍है| सबसे‍
                       ें
               महले‍ह ‍अमनप‍रणाष्ट्भािा‍को‍सम् ान‍दीेना‍ह ारणा‍कताव्य‍है‍| उसक‍मश्चात्‍सभप‍भािाओं‍को‍सपखने‍ ें‍कोई‍हजा‍नहीं‍
                                                                    े
               है‍| सबसे‍अतिक‍बोलप‍जाने‍वालप‍भािाओं‍ ें‍लहंदीप‍का‍तपसरणा‍स्थान‍है‍| लहंदीप, फीजप, सनरणप‍ना ,  लेतशया‍आददी‍दीेशों‍
                ें‍काफी‍लोगों‍द्वारणा‍बोलप‍जातप‍है| लहंदीप‍एक ात्र‍हप‍ऐसप‍भािा‍है‍जो‍तजस‍प्रकारण‍बोलप‍जातप‍है, उसप‍प्रकारण‍तलखप‍
               भप‍जातप‍है|
               ‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍लहंदीप‍भािा‍ह ारण‍रणाष्ट्‍की‍एकता, सम् ान‍तथा‍तवकास‍का‍आिारण‍है‍| तजस‍प्रकारण‍सभप‍व्यति‍अमने‍दीेश‍की‍
                                   े
               रणाष्ट्भािा‍का‍सम् ान‍करणते‍है, उसप‍प्रकारण‍ह ें‍भप‍अमनप‍रणाष्ट्भािा‍का‍सम् ान‍करणना‍चातहए‍|

                                                     जय‍तहन्दी‍जय‍लहंदीप‍|





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