Page 10 - डी एन ए और पदचिन्ह
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हमार� ख़ुशी का �ठकाना न था पर अब हम यह सोच रहे थे, �क इस डीएनए को अगर पर��ण के �लए �दया जाए
तो इनका वै�ा�नक अंकल कर�ग क्या? �फर उन्ह�ने बताया �क डीएनए म अटैिक्सआ के वशाणु को वे लोग
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पीसीआर या पोल�मरेज़ चेन �रएक्शन के द्वारा शाम तक लाख� गुना बढ़ा ल�ग और �फर अटैिक्सआ के जीन �क
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कॉपी का प्रव�धर्त रूप हम अपनी आख� से देख सकते ह�।
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आश्चयर्च�कत हो गए! है ना!!
वै�ा�नक अंकल ने बताया �क यह तभी संभव होता है जब प्रव�धर्त वशाणु को �कसी रसायन के द्वारा बाँधा जाय े
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और उसे एक जेल� जैस पदाथर् म डालकर �वद्दुत प्रवा�हत �क जाए। इस काम को करन के �लए पहले आपको
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अटैिक्सआ के जीन को न�लका म से �नकाल कर अधर् तरल जेल के अंदर अविस्थत छेद म डालना पड़ता है,
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डीएनए का प्रभार ऋणात्मक होता है तो यह पूरा का पूरा डीएनए, यन्त्र के ऋणात्मक छोर से दूसर� धनात्मक
छोर क� ओर �वद्दुत प्रवा�हत करने पर जान लगता है।
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दादाजी के डीएनए �क दो प्र�त�ल�प म से जो स्वस्थ प्र�त�ल�प थी उसक� लम्बाई, बाक� डीएनए �क तरह छोट� थी
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और अटैिक्सआ वाले डीएनए �क प्र�त�ल�प बार बार दोहराने �क वजह से काफ� लम्बी थी। अब �वद्दुत प्रवाह के
समय जो छोट� प्र�त�ल�पया थी, वह तो यन्त्र के दूसर� तरफ तेज़ी से भागन लगी पर अटैिक्सआ वाला डीएनए
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धीरे धीरे आग बढ़ने लगा, जैस बड़ी- सी अटैची लेकर क ु ल� धीरे -धीरे ट्रेन �क तरफ जा रहा हो!
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�नयत समय के बाद जब उस अधर् तरल जेल को �नकाल कर पराब�गनी �करण� के नीचे देखा गया, तो म�न देखा
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�क �कसी नमून� �क दो प्र�त�ल�प अलग अलग जगह� पर �दखाई दे रह� थी और �कसी दूसरे नमून� म वह एक ह�
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जगह �दखाई दे रह� थी। अब मुझे समझ म आया �क पापा के डीएनए को भी ऐसे ह� तरल जेल के अंदर डालकर
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वैद्दुतीक प्रवाह से चलाया जाएगा। अगर पापा के अटैिक्सआ के जीन सामान्य हए तो वह एक ह� जगह �दखेगा
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और अगर दादाजी �क तरह हआ तो जो प्र�त�ल�प लम्बी हो गयी होगी वह सामान्य डीएनए से अलग �दखेगा।
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आइये! म� आपको अपने प�रवार क� अधर् तरल जेल क� फोटो �दखाता हँ। क्या आप बता सकते ह� �क अब अगर
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वै�ा�नक हमारे प�रवार �क वंशावल� बनाना चाह�ग तो वह कै सा �दखेगा?
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