Page 7 - डी एन ए और पदचिन्ह
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पर मुझे यह नह� समझ आ रहा था �क हमारे पुरे प�रवार को डॉक्टर अंकल ने क्य� बुलवाया था और पापा मम्मी
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�क गभीरता को देखत हए उनस पूछने �क �हम्मत भी नह� हो रह� थी, पर यह बात तो तय थी �क उन्ह�ने �कसी
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�वषय पर अं�तम �नणर्य �लया था और म� उसीका इतज़ार कर रहा था।
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डॉक्टर अंकल के कमरे म एक और अंकल थे, जो व�ा�नक भी थे। उनके पास एक कॉपी म वे हमारे प�रवार के
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बारे म जानकार� लेते हए क ु छ �लखते जा रहे थे। दोन� लोग पापा मम्मी से उनके �व�भन्न �रश्तदार� के बारे म �
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पूछ ताछ कर रहे थे और उसी कॉपी म �लखत जा रहे थे। क ु छ सवाल� का तो जवाब पापा स्वयं ह� दे रहे रहे थे और
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क ु छ एक के �लए वह फोन करके घर के बुज़ुग� से बात भी कर रहे थे।
उनलोग� का मुख्य सवाल तो यह� था �क दादाजी के ल�ण हमारे प�रवार म �कसी और को तो नह� है और अगर है
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भी तो उसका असर �कतना और कहाँ तक है।
मुझे तो ज्यादा मज़ा इसम आ रहा था �क व�ा�नक अंकल हमारे प�रवार को एक मान�चत्र के रूप म प्रस्तुत कर
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रहे थे।मरे पूछने पर उन्ह�ने बताया �क पा�रवा�रक मान�चत्र को वंशावल� कहा जाता है। हमार�
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वंशावल� म पुरुष सदस्य� को वगाक ृ �त से और म�हलाओ को गोलाक ृ �त से दशार्या गया था। वैवा�हक
संबंध� को चौकोर और गोल� के बीच सरल रेखा से दशार्या गया था। खड़ी रेखा से उनके बच्च� को
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�दखाया गया था। इस प्रकार से पूर� वंशावल� तैयार होने के बाद हम क ु छ ऐसा �चत्र �दखाई �दया –
इस मान�चत्र म जो सदस्य अटैिक्सआ से पी�ड़त थे उनके �लए लाल रंग का चुनाव �कया गया था। उन्ह�ने हम �
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समझाया �क दादाजी के डीएनए म क ु छ बदलाव है, वैसे तो वंशाणु म उत्प�रवतर्न सभी को अपने आप म अनूठा
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बनता है और दादाजी को भी ऐसे बहत से उत्प�रवतर्न ह� पर एक उत्प�रवतर्न उनके अटैिक्सआ जीन म भी पाया
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गया जो �क नह� होना चा�हए था और यह� उत्प�रवतर्न उनक� सार� समस्याओ का क� द्र �बंदु था।
दादाजी के जीन म ऐसी क्या बात थी जो जो उन्ह� इस राह ले आयी थी, इस समझन के �लए यह उदाहरण देखा जा
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सकता है जैस बचपन म म� �लखत समय कभी कभी अ�र या शब्द� को दोहरा कर �लखता था जैस-
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