Page 129 - Sanidhya 2025
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            दि�ल्लीी से प्रयाागरााज तक:

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            माहींाकाभ काी एका आध्यास्थि�माका यात्राा



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            हींल हीी मा माझा जिदेल्लीी स प्रयंगाँरं� तेकां कांी एकां जिवेशर्ष यंत्रं कांरनां कांं सौभंग्य जिमालं। यही यंत्रं नां जिस� भौगाँोजिलकां थाी, बस्थि� आत्मां कांो छे
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            �ंनां वेंली एकां आध्यांस्थित्माकां और संस्कजितेकां अनांभजिते थाी। टेनां स स�र कांरते हुए �ब मा प्रयंगाँरं� पुहुचीी, तेो मानां मा गाँगाँं मायं कां देशनां और
                                                              े
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            माहींकांभ स्नांनां कांी श्री�ं उमाड़ रहीी थाी। मानेनां माहींकांभ कां देौरंनां टेटे जिसटेी मा रुकांनां कांं जिनांणीय जिलयं, �ो जिकां उत्तर प्रदेश सरकांंर द्वांरं अ�ंयी
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            रूपु स बसंई गाँई एकां भव्य व्यवे�ं थाी। यहीं हीर एकां सजिवेधीं कांं ध्यांनां रखंं गाँयं थां — सरक्षें, स्वच्छतें और भस्थिक्त कांं मांहीौल। रंते हीोते हीी
                                                                                                      े
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            चींरो� ओर “हीर हीर गाँगाँ” कां �यकांंरो� स वेंतेंवेरणी गाँ� उठौं। वेही दृश्य और वेही ध्वजिनां आ� भी मार मानां मा गाँ�तेी ही — �स स्वय गाँगाँं मायं
                                                                                ं
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            भक्तो� कांो आशीवेंदे दे रहीी हीो�।
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            अगाँली सबही मा भी ही�ंरो� श्री�ंलओ� कां संथा गाँगाँं स्नांनां कां जिलए जिनांकांली। �स हीी मानेनां गाँगाँं मा डबकांी लगाँंई, मानां मा एकां अलौजिकांकां शंजिते कांं
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            अनांभवे हुआ। यही माहींकांभ कांं पुंवेनां अवेसर थां — �हीं हीर आ�ं, हीर �ंजिते, हीर भंर्षं कां लोगाँ एकां संथा स्नांनां कांर रही था। इतेनांी भीड़ हीोते  े
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            हुए भी वेहीं एकां अनांशंसनां और व्यवे�ं बनांी हुई थाी, �ो कांंजिबल-ए-तेंरीफ़ ही। रंज्य सरकांंर द्वांरं जिकांए गाँए प्रमाखं प्रबधी उत्तर प्रदेश सरकांंर
                                                                                                  े
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            नां इस भव्य आयो�नां कां जिलए कांई व्यंपुकां और सव्यवेस्थि�ते प्रबधी जिकांए:
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                   लंखंो� श्री�ंलओ� कां जिलए टेटे जिसटेी, जि�समा जिब�ली, पुंनांी, शौचींलय, जिचीजिकांत्सां और भो�नां �सी सजिवेधींए उपुलब्ध थाी�।
                                                            ै
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                   सरक्षें व्यवे�ं हीते भंरी सख्यं मा पुजिलस बल, RAF, और डोनां कांमारो� कांी तेनांंतेी।
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                   सं�-स�ंई और कांचीरं प्रबधीनां कां जिलए 24x7 कांंयरते स�ंई कांमाी और आधीजिनांकां माशीनां। ं
                                                                     ं
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                   स्वंस्थ् सवेंओ� कां जिलए अ�ंयी अस्पतेंल, एबलस और प्रंथाजिमाकां जिचीजिकांत्सां कांद्री।
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                   यंतेंयंते और भीड़ जिनांयत्रणी कां जिलए स्पशल टेजि�कां प्लांनां और शटेल बस सवेंए।
                          ु
                                                                       े
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                   जिडजि�टेल सजिवेधीं �स लंइवे अपुडटे, माोबंइल ऐपु और सचीनांं कांद्रीो� कां मांध्यामा स जिदेशं-जिनांदेश और �ंनांकांंरी।
                                                              व
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            इनां सभी प्रयंसो� नां श्री�ंलओ� कांो एकां सरजिक्षेते, सजिवेधीं�नांकां और भस्थिक्त-पुणी वेंतेंवेरणी प्रदेंनां जिकांयं। अखंंड़ो� कांी भव्य उपुस्थि�जिते नां इस
                                      ु
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            अनांभवे कांो और भी जिदेव्य बनांं जिदेयं। उनांकां शंहीी स्नांनां और पुंरपुरिरकां झांजिकांयो� नां वेंतेंवेरणी मा एकां अलगाँ हीी ऊ�ं भर देी। माहींकांभ मा  ं
                                                                                                  ु
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            अखंंड़ो� कांी भंगाँीदेंरी देखं कांर ऐसं लगाँं मांनांो इजितेहींस और वेतेमांनां एकां हीी क्षेणी मा जिमाल गाँए हीो�। सबस जिवेशर्ष बंते यही रहीी जिकां प्रयंगाँरं�
                                                                                े
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            और वेहीं कां लोगाँ जिकांस तेरही माहींकांभ �स जिवेशंल आयो�नां कांो सभंलते ही, यही अनांभवे कांरनांं अपुनां आपु मा एकां प्ररणीं ही। प्रशंसनां, �ंनांीय
                                                                                    ं
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                                   व
            जिनांवेंसी और स्वयसवेकां जि�स समापुणी और सवें भंवेनांं कां संथा कांंमा कांर रही था, वेही भंरतेीय सस्कजिते कांं एकां सशक्त उदेंहीरणी ही। यही यंत्रं
                                             ू
            मार जिलए कांवेल एकां तेीथा नांहीी� थाी, यही आत्मां कांो छे �ंनां वेंलं अनांभवे थां। गाँगाँं मायं कां देशनां और माहींकांभ स्नांनां नां मानां, मास्थिस्तष्क और आत्मां
                                                 े
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                       व
            कांो एकां नांई ऊ�ं देी, जि�स शब्दोो� मा पुरी तेरही बयं कांरनांं मास्थि�ल ही।
                              े
                                                                                                 ू
                                                                                     श्रीीमती बदिबता ज�
                                                                                            ु
                                                                                     पीत्नीी श्रीी सी�ील ज�, IG
                                                                                                 ू
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