Page 187 - Sanidhya 2025
P. 187
बस्तर
छत्तीीसगढ काा हृदय
�
ै
ु
े
�
बस्तर सभंगाँ , छेत्तीसगाँढ़ कांं एकां सदेर और आजिदेवेंसी बहुल क्षेत्र ही �ो
े
अपुनांी प्रंकांजितेकां सदेरतें और समा� संस्कजितेकां जिवेरंसते कां जिलए �ंनांं
�
�
ु
ृ
ृ
ृ
�ंतें ही। यहीं आ� भी कांई �गाँही अछेतें �ल ही। लजिकांनां जिपुछेल कांछे
�
े
े
ू
ै
ै
ु
े
ै
े
देशकांो स यही क्षेत्र नांक्सलवेंदे स प्रभंजिवेते रहीं ही। जि�र भी इस नांक्सलवेंदे
े
े
े
ृ
कां बीची �ंनांीय लोगाँो नां प्रंकांजितेकां सौन्दयतें एजितेहींजिसकां स्मांरकांो कांो सही�
व
े
े
ै
कांर रखंं हुआ ही। य स्मांरकां जिस� पुत्थर और इटेो� स बनांी इमांरते नांहीी
�
े
ं
व
े
े
�
ृ
बस्थि� इस क्षेत्र कां गाँौरवेशंली इजितेहींस, कांलं तेथां सस्कजिते कांं पुरिरचींयकां
े
ु
े
ही। नांक्सल क्षेत्र मा सशस्त् बल खंंसकांर कांन्द्ीय रिर�वे पुजिलस बल नां शंजिते
े
े
व
ै
�
ं
ू
ै
व
ं
े
�
�ंजिपुते कांरनां मा अभते पुवे योगाँदेंनां जिदेयं ही। आ� इसकांं ज्वालते उदेंहीरणी
ू
े
े
ृ
व
व
ै
ही जिकां पुयटेकां बखंौ� हीोकांर स्तर कां प्रंकांजितेकां सौन्दय और स्मांरकां कांो
�
े
े
े
देखं रही ही। बस्तर मा �लप्रपुंते, नांजिदेयं, पुहींड़, �गाँल अभयंरण्य, माजिदेर,
�
ै
�
े
े
ू
ऐजितेहींजिसकां ईमांरते आजिदे हीर �गाँही जिमाल �ंयगाँ। इन्हेी मा स कांछे माहीत्वपुणी व
ु
े
े
�
ै
�ंनांो� कांं जिवेवेरणी इस प्रकांंर ही -
े
े
ं
�
कि�त्र�ोट जलाप्रपाात,बस्तर छोत्तेंसगेढ़ा के ब�र सिजोल मा इ�ावतां नदां
ः
�
पर दिचत्रकेोटा जोलप्रपाता हीं। इसकें उचाई 90 फंटा और चड़ााई 150 मांटार
ै
ै
ं
े
े
(बरसाता मा) हीं। यहीं छोत्तेंसगेढ़ा केा सबस ज्याादाा जोल कें माात्रा वाला
ु
े
ँ
ै
ं
ै
जोलप्रपाता हीं सिजोस ‘भाारता केा दिनयाग्रा‘ भां केहींा जोाताा हीं। वर्षाा ऋता मा यहींा
य
े
ै
�
केा वाताावरणों बहुता रोमााचकेारं हींोताा हीं। जोलप्रपाता के पास नौकेा दिवहींार
े
े
े
ु
ं
केा एके अद्भुुता अनभाव हीं। राता मा जोलप्रपाता केो दाखन के सिलए प्रकेाशे कें
ै
उत्तेमा व्यवस्थाा हीं।
ै
े
े
�
दतश्वरी माकिदर,दतवााडा़ःा दाताश्वारं मााताा केा मादिदार छोत्तेंसगेढ़ा राज्या के
�
ं
े
ः
ं
�
ं
े
े
े
े
�
�
�
ै
दातावाड़ाा सिजोला के शेदिकेनं और �दिकेनं नदां के सगेमा पर ल्किस्थाता हीं। यहीं एके
�
प्राचंन परातााल्कित्वके और आध्यााल्कित्मके के� हीं। तात्र च�ामासिणों के अनसार यहीं
ु
ं
े
ै
�
ु
�
ू
ै
�
ै
ँ
भाारता के 52 व शेल्कि�पंठ हीं। माान्यताा हीं दिके सतां केा दााता यहींा दिगेरा था।
े
ं
े
�
े
यहीं केाकेतांय शेासकेो� कें इष्ट दावं थं। यहीं मादिदार राजोा अन्नाामा दाव द्वाारा
14वं� शेतााब्दीं मा दादिक्षणों भाारतांय शेलं मा बनाया हुआ हीं। वतामाान मादिदार केा
ै
े
ं
�
य
ै
े
पनदिनमााणों 1880 ई0 मा � वारगेल के राजोा दिहींरला दिचतार न केरवाया। यहीं
ु
े
े
�
य
े
य
ु
ै
ै
े
ब�र सभाागे कें केलदावं हीं। दाताश्वारं मााताा कें मादिता 6 भाजोाओं वालं हीं जोो
ु
�
े
�
ु
�
ृ
�
ु
े
�
य
े
ै
�
दिके केाल पत्थर कें हीं। मादिदार प्रागेणों मा गेभा गेहीं,माहींामा�पमा,माख्य मा�प
े
�
ै
�
�
े
ै
और सभाा मा�प हीं। मादिदार सागेौन के 24 �भाो पर खड़ाा हीं। प्रवशे द्वाार पर
ं
�
गेरूड़ा �भा ताथा दिवष्णु दाशेावताार मा दिवराजोमाान हीं।
ै
ु
े
े
तीरथर्गढ़ जलाप्रपाात,बस्तर छोत्तेंसगेढ के ब�र सिजोल के केाकेर घााटां
े
�
े
ः
्
�
े
े
ै
राष्ट ी ंय उदाय �ान मा� तांरथगेढ़ा जोलपप्र �ाता ल्किस्थाता हीं। यहीं जोगेदालपरु स 35
दिकेलोमांटार कें दारं पर हीं। झरन कें उचाई लगेभागे 300 फंटा हीं। यहींा केा
े
ू
ॅ
ॅ
ै
ै
ॅ
झरना केई झरना मा बटा केर संढंऩ नमाा रूप मा प्रकेटा हींोताा हीं सिजोसस े
�
ं
ै
ु
ं
�
एके सदार दृश्य प्रकेटा हींोताा हीं। मानगेा और बहींार नदां पर ल्किस्थाता यहीं
ु
ू
ै
ै
े
ं
जोलप्रपाता च�ाकेार रूप मा हीं। यहींा एके प्राचंन सिशेव-पावतां मादिदार भां हीं।
ँ
�
�
य
े
े
े
ू
ू
अक्टबर स फरवरं ताके यहीं जोगेहीं घामान के सिलए बहींतार हीं। ै
े

