Page 188 - Sanidhya 2025
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�ारायणपीाल मदिदोंर ,बस्तुर� छेत्तीसगाँढ़ कां बस्तर जि�ल मा ऑफ़ कांवे ‘ (अमारिरकांं) स कांी �ंतेी ही। यही एकां चीनांं पुत्थर गाँ�ं ही ै
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जिचीत्रकांोटे �लप्रतेंते कां पुंस इद्रींवेतेी और नांंरगाँी नांदेी कां सगाँमा पुर �ो लंखंो� कांरोडो� वेर्ष पुरंनांी ही। इसकांी देीवेंरं� पुर हींथाी कांी स�ड़
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नांंरंयणीलंल गाँं्र मा ही �हीं भगाँवेंनां जिवेष्णु कांं नांंरंयणीपुंल माजिदेर ही। सी रचीनांंए जि�स जिडपु स्टेोनां कांहीं �ंतें ही। �माीनां स उठौतेी
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इसकांं जिनांमांणी 11वेी� शतेंब्दोी मा चीक्रकांंटे कां जिछेदे कां नांंगाँवेशी स्टेलग्मांइटे हुई एवे छेते स लटेकांतेी स्टेलक्टंइटे स�दे चीनां कां पुत्थर
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रं�वेश कां रं�ं �गाँदेीश भर्षणी द्वांरं हुआ थां। प्रंरभ मा यही माजिदेर कांी सरचीनांंए प्रमाखं आकांर्षणी कांं कांन्द् ही। यही सरचीनांंए अत्युते धीीमाी
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गाँजिते स बनांतेी ही इसजिलए इसकांं बनांं अभी भी �ंरी ही। गाँ�ं कां
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धीरंतेल मा कांई छेोटे -छेोटे पुोखंर भी ही जि�नांमा � अधीी माछेजिलयं ही मा ं
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ढकां पुंए �ंते ही। इसकां अजितेरिरक्त गाँ�ं मा अधीर मा पुलनां वेंल े
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झाी�गाँर,संपु,माकांड़ी,चीमागाँंदेड़ आजिदे पुंए �ंते ही। गाँ�ं कां अते मा े
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स्टेलग्मांइटे जिशवेजिलगाँ ही। गाँ�ं मा संल र टेोची एवे गाँंइड कांी सहींयतें
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स घामां �ंतें ही। गाँ�ं मा �ंनां कांं रंस्तं बनांंयं गाँयं ही जि�समा ं
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एकां-एकां कांरकां हीी कांोई �ं सकांतें ही। मांनांसनां मा यही गाँ�ं बदे �
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रहीतें ही। ै
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यगल गणश मदिदोंर,बारसीर� छेत्तीसगाँढ़ कां देतेवेंड़ं स 40
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जिकांलंमा �ीटेर देर बंरसर नांंमाकां एकां �गाँही ही। बंरसर नांंगाँवेश �ंीय
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रं�ंओ � कांी रं�धींनांी थाी। प्रंचीीनां कांंल मा � यही नांगाँरी कांं�ी
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समाद्वा थां। यहीं कां शंसकांो द्वांरं बहुते संर माजिदेर और तेलंब बनांंए
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जिशवे माजिदेर थां जिकांन्त पुरवेतेी कांंल मा इस माजिदेर कां गाँभगाँ हृ मा जिवेष्णु ु गाँए ही जि�स कांंरणी इस माजिदेर और तेंलंबं� कांी नांगाँरी कांहीं �ंतें ही।
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कांं प्रजितेमां प्रजितेष्ठांजिपुते कांी गाँई। माजिदेर कांी वेंस्तकांलं पुर चींलक्यो यहीं लगाँभगाँ 147 माजि� देर ही इसजिलय इस देवेनांगाँरी भी कांहीं �ंतें ही।
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शली कांं प्रभंवे जिदेखंतें ही। इस माजिदेर कांं जिनांमांणी उड़ीसं कां यहीं पुर जिवेश्व कांी तेीसरी सबस बड़ी पुत्थर स जिनांजिमाते यगाँल गाँणीश कांी
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कांंरीगाँरो द्वांरं हुआ थां। यही माजिदेर लंल पुत्थर स � बनांं हुआ ही और प्रतेीमां गाँणीश माजिदेर मा � �ंजिपुते ही। इस गाँणीश माजिदेर कांं जिनांमांणी
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लगाँभगाँ 70 �ीटे उचीं ही। माजिदेर कांं जिनांमांणी �गाँजिते पुर हुआ ही और
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इसकांं जिशखंर बहुते जिवेशंल ही। माजिदेर कांं द्वांर आलकांते ही। माजिदेर
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वेंस्तकांलं कांी जिदृजिष्ट् स पुवे �ंजिभमाखं अष्ट्कांंणी� �ंीय जिनांजिमाते ही ै
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जि�सकांं उपुरी भंगाँ संते रथाो� कांं ही। इस माजिदेर मा एकां जिशलंलखं भी
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ही �ो कांी आठौ �ीटे उचीं ही। इसमा यही जिलखंं हुआ ही जिकां
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जिशवेजिलगाँ,सय-चीद्रीमां कां अलंवें गाँंय और बछेड़ कांी आकांजिते उकांरी
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गाँई ही। यही माजिदेर खं�रंहीो कां माजिदेर कां समाकांंलीनां ही। माजिदेर अभी
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भंरतेीय पुरंतेत्व सवेक्षेणी द्वांरं सरजिक्षेते ही।
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कटमसीर गफा,जगदोंलपीर� छेत्तीसगाँढ़ कां �गाँदेलपुर स 27
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जिकांलोमाीटेर देर कांंकांर घांटेी रंष्ट् र ीय उद्योंनां ही �हीं पुर एकां कांटेमासर
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गाँ�ं ही। इसकांी खंो� 1900 मा पुंस कां कांोटेसर गाँंवे कां
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आजिदेवेंजिसयं द्वांरं जिशकांंर कांं पुीछें कांरते हुए कांी गाँई थाी। 1951 मा े जिछेदेकां नांंगाँवेश �ं कां रं�ं बंणींसर नां 11वेी� शतेंब्दोी मा � जिकांयं थां।
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डॉक्टर शकांर जितेवेंरी द्वांरं इसकांं सवेक्षे� �ंणी जिकांयं गाँयं थां। भंरते इसमा� गाँणीश कांी एकां प्रजितेमां 7 �ीटे उचीी और देसरी संढ� 5 �ीटे
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कांी सबस गाँहीरी गाँ�ं ही। यही गाँ�ं 330 माीटेर लबं और 20 स 72 उचीी ही। एकां हीी चीट्टोंनां स माजितेयं बनांंई गाँई ही। अधीोवेस्त् और
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माीटेर चीड़ं ही। इसकांी तेलनांं जिवेश्व कां सबस लम्बी गाँ�ं ‘कांंल्र्सवेंर यज्ञोोपुजिवेते धींरणी जिकांए हुए आसनां� प्रजितेमांए ही। छेोटे प्रजितेमां जिद्वाभ�ी
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ही और बड़ी प्रजितेमां चीतेभ�ी ही। देोनांो� प्रजितेमांए एकांदेतेी ही और
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माजितेयो� कां भंवे अलगाँ-अलगाँ जिदेखंंई देते ही। माजिदेर और माजिते कांी
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देखंरखं पुरंतेत्व जिवेभंगाँ द्वांरं हीोतेी ही।
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बतीसीा मदिदोंर, बारसीर� छेत्तीसगाँढ़ कां देतेवेंडं जि�ल कां बंरसर मा े
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बतेीसं माजिदेर कांं जिनांमांणी जिछेदेकां वेश कां नांंगाँवेशी रं�ं सोमाश्वर देवे
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कांी पुत्नीी रं�माजिहीर्षी गाँगाँमाहींदेवेी नां 11वेी� शतेंब्दोी मा जिकांयं थां। यही
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माजिदेर 32 स्तभं पुर जिटेकांी ही इसजिलए इस बतेीसं माजिदेर कांहीं �ंतें
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ही। माजिदेर मालते� जिशवेंलय ही। यही माजिदेर चीतेभ� आकांजिते मा ही ै
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जि�समा 8 पुकांजि� तेयं� मा कांल 32 स्तभ ही �ो पुत्थरो � कां ही। इस
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माजिदेर मा देो गाँभगाँही ही जि�समा जिशवेजिलगाँ �ंजिपुते ही। एकां जिशवेजिलगाँ कांी
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