Page 189 - Sanidhya 2025
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            खाासिंसयत ह कि� इसे चाारोो � कि�शाा मेे घुुमेाया जाा स�ता ह। घुषण�रो �ा   ए� अ�ौकि�� अनीर्भव �ता ह। बाारिरोशा � समेय पानीी �ी अत्यकिधा�ता
                                                                                      े
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            रोकिहत सिंशावसिं�ंग �ा घुमेनीा ए� सखा� आश्चयय प�ा �रोता ह। मेान्यता ह  ै  से चाट्टाानीं पानीी मेे डाबा जााती ह औरो सप्तधाारोा अपनीा अक्तिस्तुत्व खाो �ता







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            कि� जाो व्यक्ति� सिंशावसिं�गं �ा � परू �ी तरोह घुुमेा�रो मे� स्थाानी परो �ा   ह। अक्टुबारो से फीरोवरोी त� सप्तधाारोा �ी सुं�रोता �खाते बानीती ह। यहॉ
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            �ता ह उस�ी मेनीो�ामेनीा परोी होती ह। �ो गर्भ  �ा यह सिंशावा�य   �ा प्रा�कित� सौं�यय बाहुत खाबासरोत ह। आस-पास � �ोग औरो
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                                                                                    ै
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            अनीूठीी वास्तुु��ा �ा सं��रो नीमेनी �ा ह।       पययट� यहॉ किप�किनी� मेनीानीे आते ह। ै
                                                                                          ं
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            माामाा भाज �ा माकिदर ,बार�र - छत्तीीसगढ़ � �तवाड़ाा सिंजा�े �   छत्तीीसगढ़ पययटनी किवर्भाग बास्तुरो � इनी स्थाानीो � औरो स्माारो�ो �
                                                                                                     े
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            बाारोसरू में� मेामेा र्भाजा �ा मेकि�रो ह। इस मेकि�रो �ा किनीमेाण किछ��   रोखा-रोखााव व सकिवधााओ � � सिं�ए तत्परो ह। �न्द्ीय रिरोजायव पसिं�स बा�
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                                                                              े
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            नीागवशाी रोाजाा बााणासरू नीे 11वीं शाताब्दीी में� कि�या थाा। यह सिंशाव   इनी क्षेेत्रों मेे अपनीा बासिं��ानी कि�या ह। आजा र्भी हमेारो जावानी मेस्तु�ी से
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                                                                                                     ै
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            मेकि�रो ह परोतू मेामेा र्भांजाा मेंकि� �रो � नीामे से ही प्रसिंसद्व ह। �हा जााता   इनी ई�ा�ो मेे किट� ह सिंजास� �ारोण नीक्स�वा� खात्म होनी � �गारो
                                                                              े
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            ह कि� मेामेा औरो र्भांजाा �ो सिंशाल्प�ारो थाे सिंजान्हाां�नीे इस मेकि�रो �ा किनीमेाण   परो ह। पययट�ा � �ी बाढ़ती संख्याा इस बाात �ा � इकि�गत �रोती ह  ै
                                                               ै
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            ए� कि�नी में� ही परू �ा कि�या। मेकि�रो �ा किनीमेाणरो �ा बा�ुआ पत्थरो से   कि� अबा हमे सरोकिक्षेत एव � शाां क्ति�पण�रो� �ा रूप स � बास्तुरो �खा
                                                                                               े
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            हुआ ह। मेकि�रो �ाफीी उचाा ह औरो �ीवारोों परो शा�किचात्र उ�रो हुए ह।   स�ते ह। ै
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                                                                                  ु
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                                                                                        ु
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                                                                                     े
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            मेकि�रो � गर्भयगृह मेे र्भगवानी सिंशाव,गणशा औरो नीरोसिंसंह �ी प्रकिमेता ह।
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            कि�व� ती यह र्भी ह कि� मेामेा र्भाजा �ा ए� साथा �शायनी नीही �रोनीा
                                          ै
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            चााकिहये नीही ता � उनीमे � � मेतर्भ� हो जााता ह।
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            �प्तधाारा जलाप्रपाात ,बार�र - छत्तीीसगढ़ रोाज्य � �तवाडाा सिंजा�े �
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                                ः
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            बाारोसरो से �गर्भग 7 कि��ामेे �ीटरो �ी �रोी परो इ� �रोावती नी�ी परो
            सप्तधाारोा जा�प्रपात ह। यहां इद्राावती नी�ी सात छोटी-छोटी धाारोाआ�  े
                          ै
                                                       ं
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            में� किवर्भासिंजात होती ह औरो �छ �रोी परो किफीरो से अपनी � स्वरूप मे
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            � � आ�रो बाहनीे �गती ह। र्भौगोसिं�� रूप से इस र्भू वैज्ञााकिनी� घुटनीा
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            �ो ‘ब्रेेकिडाग‘ �हा जााता ह। इस सात धाारोाओ � � नीामे र्भी ह-बााधा��  े
                                                  ै
                                         ं
            �ाधाारोा, �किप�धाारोा, पांडाव धाारोा, �ष्ण धाारोा, सिंशाव धाारोा, बााण धाारोा औरो
                                  ृ
                      ं
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            सकिचात्रा धाारोा। इद्राावती नी�ी �ी किवशाा� धाारोा सात र्भागा � � मेे बाहनीा
             ु
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