Page 56 - Spagyric Therapy Part- 1st (5)
P. 56
ू
े
े
े
ै
ै
े
नतीजतन वह ठोस और भारी होन क कारण पानी म डब जाता ह इसक वपरीत जब कोई डाय रया स पी ड़त होता ह तो
े
मल को बड़ी आँत म ठहरन का व नह मलता उसस कछ कम मा ा म ही पानी का न कासन हो पाता ह ऐस म ूल
े
ु
ै
े
पानी म तैरता रहता ह मल क रंग घन व आ द को भा वत करन वाला एक मह वपूण कारण ह खा पदाथ म मौजूद
ै
े
े
ै
ख नज वटा म स व अ य पोषक त व का भली-भां त ए जॉब शन हो पाना। होता यह ह क कई बार आपक
ै
पेन या टक ल ड सामा य ढग स काम नह कर पाती नतीजतन पाचन सही ढग स ना हो पान क कारण बड़ आकार क े
े
े
े
ं
े
ं
े
े
े
ु
ह क पील रंग का, चब क अ धकता वाला मल न का सत होता ह जो पानी म तैरता रहता ह कछ मामल म ूल क े
ै
ै
भीतर गैस क मौजूदगी क कारण भी वह तैरता रहता ह। बहरहाल, आपका मल ठोस हो या नह तैरता रहता हो, बस 70
ै
े
े
स ताह, दन म तीन बार 200 मली. क मा ा म ीन जूसेस का सेवन कर। इसस अ का पाचन और अंत ड़यो ारा
े
पोषक त व का ए जॉव शन सही ढग स होन लगता ह चब का चयापचय बेहतर ढग स होता ह और ूल पानी म डबन े
े
ं
ं
े
ू
ै
ै
लगता ह यही उसक सही त ह।
ै
ै
जूस तैयार करन का तरीका
े
े
जूस तैयार करन क लए सफ ताजा स जय को ही योग म लाय। आप अपनी पसंद और वाद क अनुसार स जय क े
े
े
े
े
े
े
‘कॉ बनेशन’ को अलग-अलग अनुपात म लेकर जूस तैयार कर सकत ह। स जय क योग स पूव थोड़ी दर क लए
े
े
े
े
लाल दवा यानी पोट शयम परमै नेट क घोल म भगोकर रख द उ लेखनीय ह क इन स जय क उपज बढ़ान व उ ह
े
ै
े
े
सुर त रखन क लए फ ट लाइजस व पे टसाइड का योग आम ह। फर भी आपक जानकारी क लए बता दता क
े
ै
े
ं
े
म इन स जय को पोट शयम परमै नेट म भगोकर नह रखता दरअसल म मानता क कडनी और लवर ल ज करन े
ं
क बाद शरीर क रोग तरोधक मता इतनी मजबूत हो जाती ह क फ ट लाइजस वगैरह क भाव को आसानी स े
े
ै
े
े
े
ै
यू लाइज कर दती ह वैस ऑग नक स जया मल तो उ ह योग म लाना यादा उपयु होता ह। जूसर क सहायता स े
े
ं
े
जूस तैयार कर ग फर म सर कम ाइडर को योग म ला , स जय को धोकर उनक छोट-छोट टकड़ कर ल और फर
े
े
ु
े
े
ं
े
े
जूसर म डाल द आव यकता हो तो ही जूस को छान अ यथा नह छानन क लए बड़ छदो वाली छननी को ही योग म
े
े
े
ै
ै
े
े
लाय अ यथा आपको फायदमंद फाइबर स वं चत रहना पड़ सकता ह। अगर तैयार जूस बचा रह जाता ह तो ज म रख
े
ु
द परंत इस बात का यान रख क इस जूस को अ धकतम एक स डढ़ दन तक ही योग म लाया जा सकता ह। मसलन
े
ै
े
े
े
े
अगर आपन सुबह जूस तैयार कया हो तो उस अ धकतम सर दन शाम तक ज म रखकर इ तेमाल म ला सकत ह।
ु
ं
इस बात पर वशेष यान द क स जया ब कल ताजी हा। य द आप जूस को और अ धक समय तक ज म रखना
ंे
े
चाहत हो तो सुबह 5.30 बज मंडी स श वे जटब स खरीद 2 घंट क भीतर जूसर स जूस नकाल ल इसक बाद इसको
े
े
े
े
े
े
े
े
े
े
े
ला टक क बोतल म भरकर 2 घंट क लए जर म रख द जसस क इसका तापमान बफ जमन क करीब आ जाए
े
े
े
े
े
ले कन जम नह । फर इसको नकाल कर बाहर ज म रख दत ह। ऐसा करन स इसक खराब होन क या बेहद
े
े
े
ै
ै
धीमी हो जाती ह और इस स ताह भर इ तेमाल म लाया जा सकता ह।
े
डोजेज
त दन तीन बार 200-200 मली. क मा ा म रोजाना कल 600 मली. जूस का सेवन कर। अपन शरीर क दशा और
े
ु
े
े
ृ
उसक ‘टोलर स लेवल’ को यान म रखत ए इस ाक तक औष ध ( ीन जूस) क मा ा को बदलत र हए। दरअसल जूस
े
क मा ा, स जय क कॉ बनेशन वगैरह म थोड़ ब त हेर-फर स इसक औषधीय गुण म कोई वशेष कमी दखन को नह
े
े
े
े
े
े
े
े
े
े
े
ु
े
मलती आप स जय क कॉ बनेशन या जूस क मा ा सु न त करन क लए वतं ह। मेर कछ म न तो सुबह क
े
े
चाय को बंद करक उसक ान पर हरी स जय क रस का सेवन करना शु कर दया ह। रात म खान-पान क गड़बड़ी
ै
े
े
े
े
या कसी अ य वजह स ए स डट क शकायत हो गई हो तो सुबह ीन जूस क सेवन स एक नए दन क शु आत क
े
ै
े
जा सकती ह। इसक सेवन स एक ह त क भीतर ही आप अपनी तमाम शारी रक सम या म चम कारी लाभ महसूस
े
े
कर ग।
े