Page 234 - Udaan Trial Book
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फर स दो ती
र क गो वामी ( ह द श का)
याद आत ह मुझ व दन ब त,
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जब थी न कोई च ता , न कोई फ बदलाव
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जाता था कस वह समय बीत र क गो वामी ( ह द श का)
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फरसत नह ह आज करन का भी यह ज़ ।
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अचानक कछ बदला - बदला सा लग रहा ह ै
एक साथ हँसत , एक साथ खेलत े चार ओर
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एक साथ झूलत , एक साथ मचलत े कछ तो ज़ र बदला ह ै
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न हो मलना एक दन भी तो या ह यह बदलाव ?
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रह जात एक- सर स मलन को तरसत । सच म आ ह ै
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या सफ़ मन का धोखा ह ।
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व पल आज जब भी याद आत ह जहा पहल कवल धूल
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सवाए आँस क नह कछ द जात ह स भर थ पेड़ क प े
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जसम न था कोई छल , न कोई उ य आज वही प े
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स मन स दो ती नभाना ही था जीवन ह रयाली स ह झूमत े
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का ल य । प ी जहा पहल े
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बाहर आन स भी डरत थ े
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दन बदलत गए , जुड़ हम अपन अपन काम स े आज खुल आसमान म
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इतन त ए क अछत होत गए उन पल स े दखो कस व ह उड़ती ?
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तता क कारण आज व नह ह हमार पास
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दल चाह तो भी नह जा सकत उनक पास । बाहर नकलन पर सुनाई पड़ती थी जो आवाज़ े
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कसी एक न त ता छा गई ह आज उन सब म
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ऐ दो त आ , ताज़ा कर अपनी उन पुरानी याद को पास स दखन पर भी जो दखता था धूँधला
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जब भी मल व , जी ल फर स उन पल को अचानक वह कस दख रहा ह साफ़ और उजला ।
माना क आज हम र ह एक- सर स े अ त – त सा
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पर या यह नह ह संभव क मल हम जीवन जो था इसान का
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फर स । ख लेना पड़ रहा ह ै
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आज उस अपन घर का
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हँस फर स , खेल फर स े य क यह एक
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ठ फर स , मनाए फर स े जगह ह जसका पता ह हम सबको
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मचल फर स , लहराए फर स े जहा रहकर हम रख
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हा फर स , हा फर स । सकत ह सुर त अपन जीवन को
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तो धोखा नह , ह यह आज क स ाई
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यह दल पाना चाहता ह उन दो त को बदलाव तो आया ह हम
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फर स े सब क जीवन म भाई
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जनक चल जान का गम रह गया इस जीवन स े इनम स कछ बदलाव
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ऐ दो त आ,भूलकर आज क इस तता को अ ह तो कछ बुर े
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खूब याद कर ग हम अपन उस बचपन को । बुर को छोड़कर
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य न अ क साथ हम सब जुड़ ?
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अ ाई क ओर अगर
हम सब मलकर बढ़ग साथ
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रख सकग हम फर
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एक - सर क हाथ म हाथ ।
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