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बढ़ते अपराध पर दो म क बीच संवाद
-आयुष सावंत
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मोहन :आज आपने समाचार प पढ़ा था? हमारे मौह े म रात म कछ दुकान क ताल तोड़कर चोर
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सामान लेकर चले गए।
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नेहा : ह , ऐसा कछ िदन पहले भी पास क मोह े म हुआ था। अब तो ये रोज रोज क बात हो गई ह।
मोहन : सह ह। म हलाओ क गहने झपट लेना और रात म दुकान क ताल तोड़ दना तो जैसे आम बात हो
गई ह। पु लस ा कर रह ह।
नेहा : पु लस को शश तो कर रह ह कतु अपराधी बड़ शा तर ह। लगता ह क ये कोई श त गरोह ह। जो
बड़ पेशेवर तरीक से काम रहा ह।
मोहन : सह कह रह हो। लोगो को भी सतक रहना चा हए। सीसीट वी कमरे लगाने चा हए। पु लस को भी
ग बढ़नी चा हए।
नेहा : सह ह। पु लस को भी साधारण कपड़ म घूम-घूम कर पता करना चा हए।
मोहन : बस आ गई। चलो चलते ह।